दक्षिण अफ्रीका की टेक कंपनी ने बिलडेस्क को खरीदा, 4.7 अरब डॉलर में हुआ सौदा

प्रोसस की योजना बिलडेस्क को पेयू (PayU) के साथ जोड़ने की है. इस सौदे के बाद बिलडेस्क के तीनों फाउंडर करीब 3500-3500 करोड़ रुपये के मालिक बन गए हैं.

South African tech company buys BillDesk, deals for $4.7 billion

image: pixabay, कंपनी के तीन फाउंडर बने 3500-3500 करोड़ रुपए के मालिक

image: pixabay, कंपनी के तीन फाउंडर बने 3500-3500 करोड़ रुपए के मालिक

पेमेंट गेटवे, बिलडेस्क को दक्षिण अफ्रीका की टेक-दिग्गज नैस्पर्स (Naspers) की निवेश फर्म प्रोसस (Prosus) ने खरीद लिया है. ये सौदा 4.7 बिलियन डॉलर में हुआ है. प्रोसस की योजना बिलडेस्क (BillDesk) को पेयू (PayU) के साथ जोड़ने की है. इस सौदे के बाद बिलडेस्क के फाउंडर एम.एन. श्रीनिवासु, कार्तिक गणपति और अजय कौशल तीनों करीब 3500-3500 करोड़ रुपये के मालिक बन गए हैं. इस अधिग्रहण से पहले तीनों की कंपनी में करीब 31 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी.

बिलडेस्क को एम.एन. श्रीनिवासु, कार्तिक गणपति और अजय कौशल ने 1 जनवरी 2000 में शुरू किया था. ये तीनों IIM-ग्रेजुएट्स है. तीनों की मुलाकात आर्थर एंडरसन के लिए काम करने के दौरान हुई थी. यह अमेरिका की एक अकाउंटिंग कंपनी है. उन्होंने अपने करियर को छोड़कर उद्यमी बनने का रास्ता अपनाया.

फिनटेक क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा होगी तेज

इंडियन कंज्यूमर इंटरनेट स्पेस में सबसे बड़े सौदों में से एक में ग्लोबल प्लेयर प्रोसस एनवी ने मंगलवार को कहा कि उसका फिनटेक बिजनेस पेयू डिजिटल भुगतान प्रदाता बिलडेस्क को 4.7 बिलियन (लगभग 34,376.2 करोड़ रुपये) में खरीदेगा. एक रिपोर्ट के अनुसार, बिलडेस्क और पेयू की डील के बाद, यह ग्रुप सबसे बड़ी ऑनलाइन भुगतान सेवाओं में से एक होगा. प्रोसस की डील भारत के फिनटेक क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा को तेज कर सकती है.

क्या कहा कंपनी के फाउंडर ने

तीनों IIM-ग्रेजुएट्स ने मिलकर एक फिनटेक स्टार्टअप के विचार को उस वक्त जन्म दिया था, जब ‘फिनटेक’ शब्द गढ़ा भी नहीं गया था. इसके अलावा, कंपनी की शुरुआत ऐसे समय में हुई थी जब भारतीय इंटरनेट उपयोगकर्ता आधार सिर्फ 50,000 के करीब था. कंपनी के फाउंडर श्रीनिवासु ने ब्लूमबर्ग को बताया कि ‘हम युवा स्टार्टअप संस्थापकों से अलग हैं. कौशल और मेरी उम्र 53 साल हैं. गणपति 50 साल का है. जब हमने 2000 में शुरुआत की, तो यह सिर्फ एक स्ट्रांग फीलिंग थी कि यह वित्त और तकनीक के इंटरसेक्शन पर कुछ बनाने का एक शानदार अवसर होगा.’ श्रीनिवासु ने ज्यादा जानकारी दिए बिना कहा, ‘तीनों ने अपनी पूरी हिस्सेदारी बेच दी है, लेकिन वे कारोबार का हिस्सा बने रहेंगे.’

कैसे काम करता है बिलडेस्क

बिलडेस्क एक पेमेंट प्लेटफॉर्म है जो अन्य कंपनियों से बिलिंग डेटा एकत्र करता है और फिर उन्हें ग्राहकों के बैंक अकाउंट से पेमेंट डेबिट करने के लिए बैंक पेपर मैंडेट के साथ इंटरसेक्शन पर लाता है. इससे परेशानी मुक्त लेनदेन की सुविधा मिलती है. बिलडेस्क इस सुविधा के लिए कमीशन लेता है और इसका कुछ परसेंटेज बैंक के साथ भी शेयर करता है. कंपनी 2007 से बड़े पैमाने पर मुनाफा कमा रही है और वित्तीय वर्ष 2021 में 253 मिलियन डॉलर का ग्रॉस रेवेन्यू अर्जित किया.

सबसे अधिक बिजनेस कस्टमर्स

दो दशक पुरानी कंपनी के पास भारत में पेमेंट गेटवे के बीच सबसे ज्यादा बिजनेस कस्टमर्स हैं. यह देश में सभी बिलिंग ट्रांजैक्शन के लगभग 60 प्रतिशत में शामिल है. बिलडेस्क ने काफी पहले ही Amazon.com Inc. और Microsoft Corp. की लिंक्डइन जैसी ग्लोबल कंपनियों की सेवा लेने के लिए भारतीय ग्राहकों को पेमेंट गेटवे की सुविधा देना शुरू कर दिया था. बिलडेस्क अब बीमा से लेकर प्रॉपर्टी टैक्स, और म्यूचुअल फंड इन्वेस्टमेंट, क्रेडिट कार्ड पेमेंट और स्कूल फीस जैसे भुगतानों के लिए सुविधा प्रदान करता है.

सबसे पहले बैंक ऑफ बड़ौदा से मिली थी फंडिंग

बिलडेस्क को सबसे पहले साल 2001 में बैंक ऑफ बड़ौदा और स्मॉल इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट बैंक ऑफ इंडिया (SIDBI) ने फंड किया था. बिलडेस्क इस साल IPO लाने की योजना पर काम कर रहा था. इसके लिए उसने इन्वेस्टमेंट बैंकरों को नियुक्त किया था. लेकिन फिर हफ्तों पहले प्रोसस की एंट्री हुई जिसमें 100% बार आउट की पेशकश की.

Published - September 3, 2021, 06:32 IST