टैक्स बढ़ने से सौर ऊर्जा टैरिफ शुल्क में हो सकती है बढ़ोतरी: रिपोर्ट

Solar Tariff: क्रिसिल रेटिंग्स ने कहा, इस निर्णय के बाद सौर परियोजना पर कुल टैक्स 8-9 प्रतिशत से बढ़कर 12-13 प्रतिशत हो गया है.

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image: pixabay, 1 अप्रैल, 2022 से आयातित सौर मॉड्यूल पर 40 प्रतिशत की कस्टम ड्यूटी लगने पर यह दोगुना से अधिक 30 प्रतिशत हो जाएगा.

image: pixabay, 1 अप्रैल, 2022 से आयातित सौर मॉड्यूल पर 40 प्रतिशत की कस्टम ड्यूटी लगने पर यह दोगुना से अधिक 30 प्रतिशत हो जाएगा.

Solar Tariff: देश में सौर ऊर्जा टैरिफ में अगले वित्तवर्ष में बढ़ोतकी की जा सकती है. क्रिसिल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि महत्तवपूर्ण घटकों पर टैक्स में हालिया बढ़ोतरी और मॉड्यूल पर प्रस्तावित सीमा शुल्क के बाद सौर ऊर्जा टैरिफ शुल्क (Solar Tariff) बढ़ सकता हैं. देश में अगले वित्त वर्ष में सौर ऊर्जा टैरिफ की कीमतें 2 रुपये प्रति यूनिट से बढ़कर 2.6-2.7 रुपये प्रति यूनिट हो सकती हैं. जीएसटी परिषद द्वारा हाल ही में हुई बैठक में मॉड्यूल, सेल्स और इनवर्टर पर जीएसटी की दर 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत करने का फैसला हुआ, जो 1 अक्टूबर से प्रभावी है.

पॉलीसिलिकॉन की कीमतों में वृद्धि से मॉड्यूल के दाम बढ़े 

टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक क्रिसिल रेटिंग्स ने कहा, इस निर्णय के बाद सौर परियोजना पर कुल टैक्स 8-9 प्रतिशत से बढ़कर 12-13 प्रतिशत हो गया है.

वहीं 1 अप्रैल, 2022 से आयातित सौर मॉड्यूल पर 40 प्रतिशत की कस्टम ड्यूटी लगने पर यह दोगुना से अधिक 30 प्रतिशत हो जाएगा.

 रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि पॉलीसिलिकॉन की कीमतों में वृद्धि से चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में मॉड्यूल की कीमतों में 23-24 सेंट प्रति वॉट की वृद्धि हुई है, जो पिछले साल औसतन 21 सेंट प्रति वाट थी. पॉलीसिलिकॉन सोलर पैनल में उपयोग किया जाने वाला एक प्रमुख घटक है.

परियोजना लागत में हो सकती है 15 से 20 फीसदी की वृद्धि 

रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए क्रिसिल रेटिंग्स के निदेशक अंकित हाखू ने इस बात पर प्रकाश डाला कि उच्च मॉड्यूल कीमतों, करों के परिणामस्वरूप सौर डेवलपर्स को लागत मुद्रास्फीति का सामना करना पड़ सकता है.

 वित्त वर्ष 2021 की तुलना में हम उम्मीद करते हैं कि अगले वित्त वर्ष में परियोजना लागत 15-20 प्रतिशत (60-70 लाख रुपये प्रति मेगावाट) बढ़कर 4.2-4.3 करोड़ रुपये प्रति मेगावाट हो जाएगी, जो पिछले वित्त वर्ष में 3.6-3.7 करोड़ रुपये/मेगावाट था.

 इससे भविष्य में सौर बोली 2.6-2.7 रुपये प्रति यूनिट महंगी हो सकती है, जो वित्त वर्ष 2021 के दौरान 2-2.2 रुपये प्रति थी. दूसरी ओर, पहले से ही बोली लगाने वाली परियोजनाओं के डेवलपर्स से परिवर्तन-इन-लॉ क्लॉज के तहत करों और शुल्कों के प्रभाव को पारित करने की उम्मीद है.

Published - October 26, 2021, 04:14 IST