तमाम कोशिशों के बाद बैंकों का NPA भले ही कम हो रहा हो लेकिन जानबूझकर कर्ज न चुकाने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है. ट्रांसयूनियन सिबिल के मुताबिक एक वित्त वर्ष में विलफुल डिफॉल्ट में लगभग 50,000 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हुई है. मार्च 2023 तक 16,883 खातों से जुड़े विलफुल डिफॉल्ट 3,53,874 करोड़ रुपए हो गए हैं. जबकि मार्च 2022 में 14,899 खातों से जुड़े विलफुल डिफॉल्ट की राशि 3,04,063 करोड़ रुपए थी.
इसमें सबसे ज्यादा डिफॉल्ट की राशि देश के सबसे बडे़ बैंक भारतीय स्टेट बैंक में थी. SBI ने 79,271 करोड़ रुपए के विलफुल डिफॉल्ट की सूचना दी. हालांकि यह सिर्फ 1,921 खातों से जुड़ी थी. वहीं पंजाब नेशनल बैंक ने सिर्फ 41,353 करोड़ रुपये के विलफुल डिफॉल्ट की जानकारी दी. लेकिन SBI के मुकाबले इन खातों की संख्या(2,231) ज्यादा थी.
ऐसी आशंका जताई जा रही है भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की तरफ से NPA होने के छह महीने के भीतर एक उधारकर्ता को विलफुल डिफॉल्टर के रूप में वर्गीकृत करने के प्रस्ताव के बाद बैंकों के विलफुल डिफॉल्टर्स में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है.
बैंकों ने मार्च 2023 तक 926,492 करोड़ रुपए की वसूली के लिए 36,150 एनपीए खातों के खिलाफ मुकदमा दायर किया है. RBI के अंतिम दिशानिर्देश के बाद इनमें से कई पुराने खातों को विलफुल डिफॉल्ट श्रेणी में जोड़े जाने की संभावना है.
क्या है विलफुल डिफॉल्ट से जुड़ा नियम
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने विलफुल डिफॉल्टर्स (Wilful Defaulter) को लेकर नए प्रस्तावित नियमों में कहा है कि कोई भी व्यक्ति अगर 25 लाख रुपए या इससे ऊपर के कर्ज पर अपनी मर्जी से डिफॉल्ट करता है तो उसे विलफुल डिफॉल्टर माना जाएगा. 1 करोड़ रुपए के ऊपर के कर्ज पर मर्जी से डिफॉल्ट करने वाले को लार्ज डिफॉल्टर (Large Defaulter) माना जाएगा. बैंकों को उधारकर्ता के खाते के NPA होने के 6 महीने के भीतर उसे विलफुल डिफॉल्टर की श्रेणी में लाना होगा.
घट रहा है NPA
ऐसे खाते जिनमें मूलधन या ब्याज 90 दिनों से अधिक समय से बकाया है उन्हें नॉन पर्फॉर्मिंग एसेट यानी NPA घोषित किया जाता है. मार्च 2023 में NPA घटकर 10 साल के निचले स्तर 3.9 फीसद पर आ गया हैं. RBI फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2024 तक यह और घटकर 3.6 फीसद हो सकता है.