छत्तीसगढ़ की ग्रामीण महिलाओं ने बदली गांव की तस्वीर, कचरे से कमाए 63 हजार रुपये

छत्तीसगढ़ की कुछ ग्रामीण महिलाओं को लोग स्वच्छता दीदियों के नाम से जानते हैं. ये न सिर्फ कचरे के निस्तारण कर रही हैं, बल्कि इससे कमाई भी कर रही हैं.

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IMAGE: PBNS, छत्तीसगढ़ की ग्रामीण महिलाओं ने बदली गांव की तस्वीर

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हमारे देश में स्वच्छता मिशन एक जन आंदोलन बनकर उभरा है. हर शहर और गांव में लोग स्वच्छता के प्रति जागरूक हो रहे हैं. आए दिन हमें गांवों और कस्बों से स्वच्छता जागरूकता की कई कहानियां सुनने को मिल जाती हैं. अब ऐसा ही कुछ कमाल कर दिखाया है छत्तीसगढ़ की कुछ ग्रामीण महिलाओं ने. इन महिलाओं को लोग राज्य में स्वच्छता दीदियों के नाम से जानते हैं. दरअसल, ये ‘स्वच्छता दीदियां’ न सिर्फ कचरे के निस्तारण कर रही हैं, बल्कि एक साल में कचरे के निस्तारण और यूजर चार्ज से 63 हजार रुपये भी कमा रही हैं.

प्लास्टिक एवं कूड़ा-करकट मुक्त गांव बन गया है गम्हरिया

छत्तीसगढ़ राज्‍य के जशपुर जिले के गम्हरिया गांव की ‘स्वच्छता दीदियां’ कचरे का निस्तारण कर गांव की सड़कों, गलियों और चौराहों को स्वच्छ रखने में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं. खुले में शौचमुक्त गांव बनने के बाद अब गम्हरिया प्लास्टिक एवं कूड़ा-करकट मुक्त ग्राम पंचायत भी बन गया है. वहां की सूरज स्व सहायता समूह की महिलाओं ने अतिरिक्त कमाई का जरिया बनाया है. बीते एक साल में इस समूह ने कचरे के निस्तारण और यूजर चार्ज से 63 हजार रुपये कमाए हैं.

ऐसे बन गईं ‘स्वच्छता दीदी’

स्वच्छता दीदियों को शुरुआत में काम करने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. शुरू में जब वे रिक्शा लेकर कचरा संकलन के लिए घर-घर जाती थीं, तो लोग उन्हें बड़ी बुरी नजर से देखते थे. हालांकि कुछ समय बाद ही इनके काम से गांव लगातार साफ-सुथरा होने लगा तो लोगों का नजरिया भी बदलने लगा. अब गांव वाले इन्हें सम्मान के साथ ‘स्वच्छता दीदी’ कहकर बुलाते हैं.

कचरा इकट्ठा करने के साथ छांटती भी हैं

गम्हरिया की सूरज स्व सहायता समूह की महिलाएं सफाई मित्र के रूप में घर-घर जाकर कचरा इकट्ठा करती हैं. फिर उनकी प्रकृति के हिसाब से उन्हें अलग-अलग करती हैं. कूड़े-कचरे के रूप में प्राप्त पॉलीथिन, खाद्य सामग्रियों के पैकिंग रैपर, प्लास्टिक के सामान, लोहे का कबाड़ एवं कांच जैसे ठोस अपशिष्टों को अलग-अलग करने के बाद बेच दिया जाता है.

हर घर और दुकानों से 10 से 20 रुपये लेती हैं चार्ज

समूह की सचिव सुनीता कुजूर बताती हैं कि पंचायत द्वारा निर्मित सेग्रीगेशन शेड (कचरा संग्रहण केंद्र) में समूह की 12 महिलाएं जुलाई-2020 से कार्य कर रही हैं. शेड में एकत्रित ठोस कचरे की बिक्री से समूह को अब तक 28 हजार रुपये की कमाई हुई है. समूह द्वारा डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन के लिए हर घर से प्रति माह दस रुपये और दुकानदारों से प्रति दुकान हर महीने 20 रुपये का यूजर चार्ज (स्वच्छता शुल्क) लिया जाता है. बीते एक साल में समूह के पास 35 हजार रुपये का यूजर चार्ज इकट्ठा हुआ है.

Published - August 18, 2021, 06:01 IST