Rupee Against Dollar: डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत अब तक के सबसे निचले स्तर 83.41 पर पहुंच गया है. आज सुबह शुरुआती कारोबार के दौरान इसमें 3 पैसे की गिरावट दर्ज की गई. सोमवार को यह डॉलर के मुकाबले रुपया 83.38 रुपये पर बंद हुआ था. इस बीच भारतीय रिजर्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) की बैठक 6 दिसंबर से शुरू होने वाली है.
रुपये की कीमत में सबसे बड़ी गिरावट
आयतकों द्वारा डॉलर की मांग लगातार बढ़ती जा रही है, जिसके चलते यह गिरावट दिखी है. भारतीय रिजर्व बैंक बुधवार से मौद्रिक नीति की समीक्षा (MPC) शुरू करेगा और इस बैठक का नतीजा शुक्रवार को घोषित करेगा. बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि यह गिरावट शुक्रवार तक जारी रह सकती है. एक्सपर्ट के अनुसार, डॉलर के मुकाबले रुपया 83.50 के लेवल तक गिर सकता है.
आगे भी हो सकती है गिरावट!
सोमवार को भी डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट दर्ज की गई थी. सोमवार शाम को यह 83.38 रुपये पर बंद हुआ था. डॉलर कि बढ़ती मांग के बाद, इस समय अमरीका से कई महत्वपूर्ण आर्थिक आंकड़े जारी होने वाले हैं. इन आंकड़ो का असर रुपये की कीमत पर दिखेगा. उधर डॉलर इंडेक्स 0.09 फीसदी नीचे 103.62 के स्तर पर चल रहा है. ग्लोबल आयल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड फीचर भी 0.05 फीसद की गिरावट के साथ 77.99 डॉलर प्रति बैरल पर चल रहा है. हालांकि भारतीय शेयर बाजार में खरीद की स्थिति दिख रही है. शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने सोमवार को 2,073.21 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे.
आपकी जेब पर होगा ये असर
रुपये में गिरावट का सबसे बड़ा असर आयात पर पड़ता है. इससे आयात महंगा हो जाता है और निर्यात सस्ता हो जाता है. रुपये में गिरावट का सबसे ज्यादा असर उन आयातकों पर पड़ता है जो रुपये की कीमत प्रति डॉलर बढ़ जाने से बुरी तरह प्रभावित होते हैं. भारत अपने कुल तेल का करीब 80 फीसदी तेल आयात करता है, यानी इस गिरावट से कच्चे तेल का आयात बिल भी बढ़ेगा. इससे पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है. डॉलर के मुकाबले रुपये के कमजोर होने से भारतीय छात्रों के लिए विदेशों में शिक्षा ले पाना महंगा हो जाएगा. हालांकि रुपये का गिरना निर्यातकों के लिए सकारात्मक साबित होता है, क्योंकि उन्हें डॉलर के बदले अधिक रुपया मिलता है।