जिंस की बढ़ती कीमतों से बढ़ रहा है महंगाई का जोखिम

सरकार की ओर से हाल में जारी आंकड़ों में खुदरा महंगाई दर भी छह महीने के उच्च स्तर 6.3% पर दर्ज़ की गई थी.

Global inflation nearing peak, expected to reach pre-pandemic levels next year: IMF

IMF ने कहा कि मुद्रास्फीति में तेजी, विशेष रूप से उभरते बाजारों में अक्सर शार्प एक्सचेंज रेट डेप्रिसिएशन से जुड़ी होती है.

IMF ने कहा कि मुद्रास्फीति में तेजी, विशेष रूप से उभरते बाजारों में अक्सर शार्प एक्सचेंज रेट डेप्रिसिएशन से जुड़ी होती है.

बढ़ती महंगाई (Inflation) ने जहां आम आदमी को हलकान कर रखा है, वहीं इसे काबू न कर पाने की चिंता की लकीरें अब केंद्र सरकार के माथे पर भी उभरने लगी हैं. यह बात केंद्रीय वित्त मंत्रालय की ताजा मासिक रिपोर्ट से पता चलती है. वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को जारी अपनी मासिक आर्थिक रिपोर्ट में कहा है कि ग्लोबल स्तर पर जिंसों की बढ़ती कीमतों, विशेष रूप से कच्चे तेल की महंगाई (Inflation) और लॉजिस्टिक की बढ़ती लागत महंगाई के और बढ़ने का जोखिम पैदा कर रही है. हालांकि रिपोर्ट में मानसून बेहतर रहने और अर्थव्यवस्था में दोबारा तेजी आने से राहत की उम्मीद भी जताई गई है.

मंत्रालय की रिपोर्ट में पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों पर कुछ खास नहीं कहा गया है, लेकिन इसमें शहरी क्षेत्रों में खाने-पीने की चीजों की तेजी से बढ़ती महंगाई (खाद्य मुद्रास्फीति) पर चिंता जताई गई है. बढ़ती महंगाई दर ने रिजर्व बैंक को मूल ब्याज दरों (रेपो और रिवर्स रेपो रेट) में और अधिक कटौती करने के लिए मजबूर किया है, क्योंकि थोक मूल्य सूचकांक (डब्‍ल्‍यूपीआई) आधारित महंगाई दर 12.9% तक पहुंच चुकी है. यह 2012 के बाद का सबसे ज्यादा है. सरकार की ओर से हाल में जारी आंकड़ों में खुदरा महंगाई दर भी छह महीने के उच्च स्तर 6.3% पर दर्ज़ की गई थी.

रिपोर्ट में कहा गया है “कोविड सेकंड वेव के कारण स्थानीय स्तर पर लगाए गए प्रतिबंधों के चलते आपूर्ति में आई बाधा से मई में कीमतों के दबाव (महंगाई) में वृद्धि हुई है. रिपोर्ट में दक्षिण-पश्चिम मानसून की उत्साहजनक प्रगति के साथ दालों और खाद्य तेलों की आपूर्ति में सरकार के हस्तक्षेप और अनलॉकिंग की प्रक्रिया धीरे-धीरे आगे बढ़ने से स्थिति में सुधार आने की उम्मीद जताई गई है. वित्त मंत्रालय के आर्थिक प्रभाग द्वारा तैयार की इस गई रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले महीनों में दबावों में कमी आने से कीमतों में भी गिरावट आएगी.

रिपोर्ट में स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में सुधार से टीकाकरण में तेजी आने जैसी चीजों का हवाला देते हुए इससे आर्थिक मोर्चे पर भी हालात सुधरने की उम्मीद जताई गई है. मंत्रालय इस बात को लेकर भी आशावान है कि सरकार की हालिया घोषणाओं से मांग (खपत) के स्तर में भी सुधार आएगा. केंद्र सरकार की ओर से हाल ही में जारी आर्थिक राहत उपायों की ओर इशारा करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है “इस पैकेज से पूंजी-चक्र के पहियों को और रफ्तार मिलने की उम्मीद है.”

Published - July 10, 2021, 03:02 IST