ई-वे बिल में हेरफेर और कई अन्य तरीकों से वस्तु और सेवा कर (GST) की चोरी की कोशिशों को रोकने के लिए सरकार तरह-तरह के कदम उठाती रही है. इसी क्रम में अब रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) तकनीक का इस्तेमाल कर अधिकारी जीएसटी की हेराफेरी पर शिकंजा कस रहे हैं.
जीएसटी अधिकारियों ने माल के परिवहन के लिए जारी ई-परमिट और रेडियो फ्रीक्वेंसी टैग से डेटा के बीच असमानताओं की पहचान करके कर चोरी की घटनाओं का पता लगाना शुरू कर दिया है. इसके तहत टोल प्लाजा से गुजरने वाले वाणिज्यिक वाहनों की जांच कर इन खामियों को पकड़ कर जीएसटी चोरी पर लगाम कसी जा रही है.
जीएसटी अधिकारी अब उन वाहनों की पहचान कर रहे हैं, जिन पर लदा माल ई-वे बिल में दिए गए विवरण से मेल नहीं खा रहा. अधिकारियों ने हाल ही में फर्जी कंपनियों के नाम पर तैयार कराए गए नकली चालान के जरिये लोहे के स्क्रैप के परिवहन में जीएसटी चोरी करने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश किया है. यह बात केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) की ओर से सोमवार को अपने फील्ड अधिकारियों को भेजे गए एक पत्र से सामने आई है.
जानकारी के मुताबिक अधिकारियों ने लगभग 14.5 करोड़ रुपये का फर्जी टैक्स क्रेडिट हस्तांतरण करने वाले नकली चालान बरामद किए हैं. अधिकारियों को यह कामयाबी जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय (डीजीजीआई) द्वारा पहचाने गए संदिग्ध वाहनों की आरएफआईडी आधारित जांच करने से मिली.
जीएसटी लागू होने के बाद से राज्य के भीतर और दूसरे राज्यों में 50 हजार रुपये से अधिक मूल्य के माल के परिवहन के लिए ई-वे बिल की आवश्यकता होती है, जिसमें हेरफेर करके टैक्स चोर लगातार सरकार को चूना लगाते आ रहे हैं. ई-वे बिल प्रणाली के तहत वर्तमान में प्रतिदिन करीब 25 लाख मालवाहक वाहनों की आवाजाही देशभर में स्थित 800 से अधिक टोल नाकों से हो रही है.