बैंकिंग सिस्टम में डाली गई अतिरिक्त नकदी को व्यवस्थित तरीके से मैनेज करेगा RBI

Bank Liquidity: RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि वित्तीय स्थिरता को बनाए रखते हुए लिक्विडिटी को आर्थिक घटनाक्रमों के अनुरूप मैनेज किया जाएगा

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इस योजना के तहत, ऋण अधिकतम चार साल की अवधि के लिए दिया जाता है और एक साल का मोरेटोरियम केवल मूल राशि पर लागू होता है

इस योजना के तहत, ऋण अधिकतम चार साल की अवधि के लिए दिया जाता है और एक साल का मोरेटोरियम केवल मूल राशि पर लागू होता है

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कहा है कि वह महामारी के दौरान बैंकिंग सिस्टम में डाली गई अतिरिक्त नकदी को धीरे-धीरे कर के व्यवस्थित तरीके से मैनेज करेगा. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा (bi-monthly monetary review) की घोषणा करते हुए कहा कि वित्तीय स्थिरता को बनाए रखते हुए लिक्विडिटी को आर्थिक घटनाक्रमों के अनुरूप मैनेज किया जाएगा.

महामारी की शुरुआत के बाद से रिजर्व बैंक ने अर्थव्यवस्था में सतत और तेज सुधार के लिए पर्याप्त नकदी समर्थन दिया है. दास ने कहा, ‘निश्चित दर रिवर्स रेपो 14 दिन की वैरिएबल रेट रिवर्स रेपो (VRRR) और तरलता समायोजन सुविधा (LAF) को औसतन नौ लाख करोड़ रुपये किए जाने के बाद सितंबर 2021 में बैंकिंग प्रणाली में नकदी और बढ़ी है.’

जून से अगस्त 2021 के दौरान LAF सात लाख करोड़ रुपये था. उन्होंने कहा कि अक्टूबर में अबतक (6 अक्टूबर तक) अधिशेष नकदी 9.5 लाख करोड़ रुपये के दैनिक औसत पर पहुंच गई. उन्होंने कहा कि प्रणाली में अधिशेष नकदी की संभावना 13 लाख करोड़ रुपये से अधिक है.

उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में सुधार के साथ बाजार भागीदारों और नीति निर्माताओं में यह सहमति बन रही है कि महामारी के दौरान जो अतिरिक्त नकदी डाली गई है, उसे वृहद आर्थिक घटनाक्रमों के अनुरूप कम किया जाए.

महत्वपूर्ण बात यह है कि केंद्रीय बैंक ने सरकारी प्रतिभूतियों के अधिग्रहण कार्यक्रम (जी-सैप) को रोकने का फैसला किया है. इस कदम से प्रणाली में और तरलता का प्रवाह रुकेगा. हालांकि दास ने स्पष्ट किया कि यह कदम नरम मौद्रिक रुख को पलटने के लिए नहीं उठाया गया है.

Published - October 8, 2021, 04:08 IST