भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति की बैठक 3-5 अप्रैल को होनी है. सबकी निगाहें दरों में होने वाले बदलाव पर टिकी है. हालांकि भारतीय स्टेट बैंक ने अपनी शोध रिपोर्ट में कहा है कि आगामी बैठक में दरों में कटौती की संभावना नहीं है. एसबीआई के मुताबिक, आरबीआई वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में ही दरों में कटौती कर सकता है.
रिपोर्ट के मुताबिक उभरती अर्थव्यवस्था के बीच केंद्रीय बैंक के दरों में कटौती का निर्णय एडवांस इकोनॉमी सेंट्रल बैंक के रेट कट के कदम के तहत लिया गया है. हालांकि भारत का मसला थोड़ा अलगा है. वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में आरबीआई पहली कटौती का ऐलान कर सकता है. यह अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओर से बेंचमार्क रातोंरात ब्याज दर को 5.25-5.50% रेंज में लाने और इस साल उधार लेने की लागत में तीन कटौती पर कायम रहने की बात को ध्यान में रखकर भी किया जा सकता है.
महंगाई पर एसबीआई का अनुमान
एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि जुलाई तक महंगाई दर में गिरावट आने की उम्मीद है, लेकिन उसके बाद सितंबर में यह बढ़कर 5.4 प्रतिशत के शिखर पर पहुंच जाएगी, जिसके बाद इसमें गिरावट आएगी. पूरे वित्त वर्ष 2025 के लिए, सीपीआई महंगाई दर औसतन 4.5 फीसद रहने की संभावना है.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि फ्यूल की मध्यम कीमतों के साथ महंगाई दर बढ़ रही है. वर्तमान में यह खाने-पीने की चीजों की महंगाई को भी बढ़ा रहा है. खाद्य पदार्थों की बदलती कीमतें घरेलू महंगाई दर को तय करेगी. वित्त वर्ष 2024 के बचे एक महीने में सीपीआई महंगाई 5.0% से थोड़ा ऊपर रहने की उम्मीद है.
बैंकिंग पर क्या है एसबीआई की राय?
बैंकिंग मोर्चे पर एसबीआई को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2025 में जमा और लोन क्रमशः 14.5-15 प्रतिशत और 16.0-16.5 प्रतिशत बढ़ेंगे. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने मार्च में सबसे ज्यादा विदेशी फंड प्रवाह को आकर्षित करके, भूराजनीतिक संकटों और चिंताओं को खत्म कर दिया है. जिससे उच्च ब्याज दर कुछ और समय तक जारी रहेगा. इक्विटी प्रवाह में अब तक कुल प्रवाह का 70 प्रतिशत शामिल है, लेकिन आगे चलकर ऋण प्रवाह में बड़ी वृद्धि हो सकती है.
रेपो रेट में नहीं हुआ बदलाव
आरबीआई ने फरवरी एमपीसी की बैठक में रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर अपरिवर्तित रखा था. 2023 में अप्रैल की मौद्रिक नीति के बाद से, आरबीआई ने रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया है.