RBI Cuts Inflation Projection: आम जनता को बढती महंगाई से जल्द ही राहत मिलने की उम्मीद हैं. शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने उम्मीद जताई है कि, खाद्य कीमतों में नरमी और अनुकूल बेज इफेक्ट के कारण निकट अवधि में खुदरा मुद्रास्फीति में पर्याप्त नरमी आने का अनुमान हैं. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित मुद्रास्फीति अब 2021-22 के लिए 5.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है जिसमें जोखिम समान रूप से संतुलित है. अगस्त की अपनी नीति में, केंद्रीय बैंक ने आपूर्ति पक्ष की बाधाओं, कच्चे तेल और कच्चे माल की उच्च लागत के कारण 5.7 प्रतिशत मुद्रास्फीति का अनुमान लगाया था.
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने द्वि-मासिक मौद्रिक नीति का अनावरण करते हुए कहा, “खाद्य कीमतों में ढील के साथ CPI हेडलाइन इंफ्लेशन की गति कम हो रही है, जो अनुकूल बेज इफेक्ट्स के साथ मिलकर मुद्रास्फीति में पर्याप्त नरमी ला सकती है.” तिमाही आधार पर, दूसरी तिमाही के लिए CPI 5.1 प्रतिशत: तीसरी तिमाही में 4.5 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है. 2022-23 की पहली तिमाही के लिए CPI मुद्रास्फीति 5.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है.
उन्होंने कहा कि खाद्य तेल, पेट्रोल और डीजल, LPG और दवाओं जैसी चुनिंदा वस्तुओं में बहुत अधिक मुद्रास्फीति से हेडलाइन मुद्रास्फीति महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित हुई है. दास ने कहा, “ईंधन पर अप्रत्यक्ष करों के एक कैलिब्रेटेड रिवर्सल के माध्यम से कॉस्ट-पुश दबावों को नियंत्रित करने के प्रयास मुद्रास्फीति को और अधिक निरंतर कम करने और मुद्रास्फीति की उम्मीदों को मजबूत करने में योगदान कर सकते हैं.”
दूसरी ओर, सब्जियों की कीमतों में बहुत कम मौसमी बढोतरी, अनाज की कीमतों में गिरावट, सोने की कीमतों में तेज गिरावट और सुस्त आवास मुद्रास्फीति ने मुद्रास्फीति के दबावों को नियंत्रित करने में मदद की है.