Presumptive Tax: क्या है प्रिजम्पटिव टैक्सेशन स्कीम? किस तरह उठा सकते हैं इसका फायदा

Presumptive Tax: छोटे टैक्सपेयर्स को अकाउंट बुक के ऑडिट और रखरखाव से राहत देने के लिए केंद्र सरकार प्रिज्मटिव टैक्सेशन स्कीम लेकर आई है.

  • Team Money9
  • Updated Date - August 20, 2021, 09:48 IST
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ई-फाइलिंग पोर्टल पर आ रही तकनीकी समस्याओं को दूर करने के लिए सरकार ने इंफोसिस को 15 सितंबर तक का समय दिया था.

ई-फाइलिंग पोर्टल पर आ रही तकनीकी समस्याओं को दूर करने के लिए सरकार ने इंफोसिस को 15 सितंबर तक का समय दिया था.

Presumptive Tax: इनकम टैक्स फाइल करना एक थकाऊ प्रक्रिया है. इसके लिए भारी डॉक्यूमेंटेशन और तैयारी की जरूरत पड़ती है. लेकिन उनके लिए जो बिजनेस करते हैं या प्रोफेशनल फीस लेकर काम करते हैं, उनके लिए ये बेहद आसान है. ये लोग प्रिजम्पटिव टैक्सेशन (Presumptive Tax) स्कीम का फायदा उठा सकते हैं, लेकिन उससे पहले, इस स्कीम के लाभकारी प्रावधानों की स्पष्ट समझ होनी चाहिए और उन लोगों के लिए खासकर जो इसके तहत टैक्स में नहीं आना चाहते हैं. छोटे टैक्सपेयर्स को खाता-बही के ऑडिट और रखरखाव से राहत देने के लिए केंद्र सरकार प्रिजम्पटिव टैक्सेशन स्कीम लेकर आई है. यह शुरू में धारा 44AD और 44AE के तहत थी, हालांकि, धारा 44ADA को 1 अप्रैल, 2017 से इनकम टैक्स, 1961 (“एक्ट”) में पेश किया गया था.

साथ ही, इस प्रिजम्पटिव टैक्सेशन (Presumptive Tax) स्कीम का प्रावधान केवल नॉन-रेसिडेंट के लिए है और इसे आसानी से समझने के लिए यहां चर्चा की गई है.

प्रिज्मटिव टैक्स: प्रमुख बिंदू

“सेक्शन 44AD में एजेंसी बिजनेस के अलावा अन्य व्यवसायों में लगे व्यक्ति, HUF और साझेदारी फर्म (LLP को छोड़कर) को शामिल किया गया है. जबकि कमीशन या ब्रोकरेज को सेक्शन 44 AE के तहत कवर किया गया है. सेक्शन 44AA में उन बिजनेस को शामिल किया गया है, जिसमें टर्नओवर या सकल प्राप्तियां 2 करोड़ से ज्यादा नहीं है.

Nangia & Co LLP के पार्टनर शैलेष कुमार के मुताबिक, टर्नओवर या सकल प्राप्तियों की 8% प्रिज्मटिव कमाई (डिजिटल लेनदेन के मामले में 6%) टैक्स योग्य होगी.

अधिनियम की धारा 44एए एक्ट में सूचीबद्ध व्यक्ति या पार्टनरशिप (एलएलपी के अलावा) और 50 लाख रुपए से कम की रिसीट्स हैं, वे 44ADA के प्रावधान के तहत टैक्सेशन के ऑप्शन को चुन सकते हैं, जिसमें प्रोफेशन से मिलने वाली ग्रॉस रिसीट का 50% पेश किया जाना है.

ऐसे उठा सकते हैं फायदा

कुमार ने बताया कि “सेक्शन 44AE का फायदा हर वो व्यक्ति उठा सकता है, जो प्लाई बिजनेस, हायरिंग और गुड्स लीज़ कैरेजेस (साल में 10 वाहनों से ज्यादा शामिल नहीं) के बिजनेस से जुड़ा हुआ है. इस सेक्शन के तहत, भारी माल वाहन (कैरेज क्षमता 12 टन से ज्यादा) के लिए आय की कैलकुलेशन हर महीने या महीने के उस हिस्से के लिए सकल वाहन वजन के एक हजार रुपए/टन की दर से की जाएगी, जो टैक्सपेयर भारी माल वाहन का मालिक है”

भारी माल वाहनों के अलावा दूसरे वाहनों के केस में, कमाई का कैलकुलेशन हर महीने या महीने के उस हिस्से के लिए 7500 हजार रुपए की दर से होगी, जिसके दौरान माल की ढुलाई टैक्सपेयर के अंतर्गत है, महीने का एक हिस्सा पूरे महीने के तौर पर गिना जाएगा.

उपरोक्त सेक्शन कुछ सामान्य प्रावधानों को साझा करते हैं. प्रिजमपटीव फ्रेमवर्क के तहत कमाई का दावा करने वाले टैक्सपेयर्स अकाउंट की पुस्तकों को बनाने के लिए जिम्मेदार नहीं हैं. घोषित प्रिजम्पटिव कमाई में से किसी और खर्च की अनुमति नहीं दी जाएगी. यदि कोई टैक्सपेयर ऊपर दिए सेक्शन के प्रावधानों से कम आय घोषित करना चाहता है, तो उसे चार्टर्ड एकाउंटेंट से अपने खातों का ऑडिट करवाना होगा.

इस बीच, धारा 44AD और धारा 44ADA टैक्सपेयर्स को छूट देती है कि एडवांस टैक्स के लिए मार्च के महीने में केवल आखिरी किश्त का कंपाइल्ड किया जाना है.

टैक्स एक्सपर्ट गौरी चड्ढा के मुताबिक “धारा 44ADA (जैसे सीए, वकील, इंजीनियर, आदि) में संदर्भ में किसी प्रोफेशनल कोई भी व्यक्ति या साझेदारी फर्म, कम से कम 50% आय घोषित कर सकते हैं. अगर कुल रिसीट्स 50 लाख से अधिकत नहीं है तो इसके लिए अकाउंट को मैनेज करने की जरूरत नहीं पड़ेगी.”

इसी के साथ, टैक्सपेयर्स के लिए के लिए प्रिजम्पटिव टैक्सेशन का ऑप्शन नहीं चुनने के लिए, चड्ढा ने सलाह दी कि अकाउंट बुक्स को अधिनियम की धारा 44एए के प्रावधानों के अनुसार बनाए रखा जाना चाहिए.

इसे जोड़ते हुए, कुमार ने कहा, “ऐसे टैक्सपेयर्स एक्ट के सेक्शन 44AB में लिखित ऐप्लीकेबिलिटी के अनुसार अपने अकाउंट्स का ऑडिट भी करवाना चाहिए. इसके अलावा, टैक्सपेयर्स केवल आईटीआर -3 में अपनी कमाई का रिटर्न दाखिल कर सकते हैं जो कि आईटीआर -4 की तुलना में ज्यादा विस्तृत है.

आम गलतियां

इनकम टैक्स फाइल करते वक्त, अपनी निजी जानकारी बिल्कुल सही तरीके से भरें ताकि बाद में किसी तरह की दिक्कत का सामना न उठाना पड़े. इसके अलावा, चड्ढा और कुमार दोनों ने इस बात पर जोर दिया कि टैक्सपेयर्स को यह याद रखना चाहिए कि एक बार धारा 44AD को अपनाने के बाद, 5 साल तक ये जारी रहेगा.

कुमार ने कहा “अगर कोई टैक्सपेयर ऐसा करने में विफल रहता है, तो उसे उस साल से अगले 5 सालों के लिए इस सेक्शन के तहत लाभ का दावा करने की अनुमति नहीं मिलेगी, जिसमें वह ऑप्ट आउट करता है और साथ ही उस साल अकाउंट का ऑडिट भी करना होगा.“

इसके अलावा, टैक्सपेयर्स आम तौर पर प्रिजम्पटिव कमाई घोषित करने के लिए सही आईटीआर फॉर्म चुनने में भी विफल रहते हैं. प्रिजमपटीव टैक्सेशन का विकल्प चुनने वाले टैक्सपेयर्स को बिजनेस के अलावा अन्य कमाई की नेचर के आधार पर आईटीआर 3 या आईटीआर 4 में प्रदान की गई अनुसूची में जरूरी जानकारियां भरनी चाहिए.

Published - August 20, 2021, 08:59 IST