आत्मनिर्भर नारी-शक्ति से संवाद कार्यक्रम में शामिल हुए पीएम मोदी

पिछले 6-7 सालों के दौरान स्वयं सहायता समूहों में तीन गुना से अधिक की बढ़ोतरी हुई है, तीन गुना बहनों की भागीदारी सुनिश्चित हुई है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने आत्मनिर्भर नारी-शक्ति से संवाद’ कार्यक्रम के तहत देश की स्व-सहायता समूहों की महिला सदस्यों से संवाद किया. इस दौरान पीएम मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने 4 लाख स्व सहायता समूहों के लिए 1625 करोड़ की नई सहायता राशि जारी की. साथ ही स्व-सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं की सफलता की कहानी का संक्षिप्त विवरण और कम व छोटी जोत वाली खेती से पैदा होने वाली आजीविका पर एक पुस्तिका भी जारी की.

देशभर में लगभग 70 लाख स्वयं सहायता समूह

कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि जब नारी सशक्त होती है, तो परिवार ही नहीं देश और समाज भी सशक्त होता है. पीएम ने कहा कि कोरोना काल में जिस प्रकार से हमारी बहनों ने स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से देशवासियों की सेवा की वो अभूतपूर्व है. फिर चाहे मास्क और सैनिटाइजर बनाना हो, जरूरतमंदों तक खाना पहुंचाना हो, जागरूकता का काम हो, हर प्रकार से आपकी सखी समूहों का योगदान अतुलनीय रहा है. पीएम ने कहा कि आज देशभर में लगभग 70 लाख स्वयं सहायता समूह हैं, जिनसे लगभग 8 करोड़ बहनें जुड़ी है. पिछले 6-7 सालों के दौरान स्वयं सहायता समूहों में तीन गुना से अधिक की बढ़ोतरी हुई है, तीन गुना बहनों की भागीदारी सुनिश्चित हुई है.

देश में 42 करोड़ से अधिक जनधन खाते

उन्होंने आगे कहा कि जब हमारी सरकार आई तो हमने देखा कि देश की करोड़ों बहनें ऐसी थीं जिनके पास बैंक खाता तक नहीं था, जो बैंकिंग सिस्टम से कोसों दूर थीं. इसलिए हमने सबसे पहले जनधन खाते खोलने का बहुत बड़ा अभियान शुरू किया. आज देश में 42 करोड़ से अधिक जनधन खाते हैं.

हर गांव में स्व सहायता समूह का लक्ष्य

आजादी के 75 वर्ष का ये समय नए लक्ष्य तय करने और नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ने का है. बहनों की समूह शक्ति को भी अब नई ताकत के साथ आगे बढ़ना है. सरकार लगातार वो माहौल, वो स्थितियां बना रही है जहां से आप सभी बहनें हमारे गांवों को समृद्धि और संपन्नता से जोड़ सकती हैं. उन्होंने कहा कि सरकार की कोशिश है कि हर गांव में स्व सहायता समूह हो.

खिलौना उद्योग से आदिवासी क्षेत्रों में संभावनाएं

पीएम मोदी ने खिलौना उद्योग का जिक्र करते हुए कहा कि भारत में बने खिलौनों को भी सरकार बहुत प्रोत्साहित कर रही है, इसके लिए हर संभव मदद भी दे रही है. विशेष रूप से हमारे आदिवासी क्षेत्रों की बहनें तो पारंपरिक रूप से इससे जुड़ी हैं। इसमें भी सेल्फ हेल्प ग्रुप्स के लिए बहुत संभावनाएं हैं.

सिंगल यूज प्लास्टिक के विकल्प करें काम

आज देश को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त करने का अभी अभियान चल रहा है. इसमें सेल्फ हेल्प ग्रुप्स की दोहरी भूमिका है. आपको सिंगल यूज प्लास्टिक को लेकर जागरूकता भी बढ़ानी है और इसके विकल्प के लिए भी काम करना है.

बहनों-बेटियों जरूरतों पर सरकार संवेदनशील

आज बदलते हुए भारत में देश की बहनों-बेटियों के पास भी आगे बढ़ने के अवसर बढ़ रहे हैं. घर, शौचालय, बिजली, पानी, गैस, जैसी सुविधाओं से सभी बहनों को जोड़ा जा रहा है. बहनों-बेटियों की शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, टीकाकरण और दूसरी जरूरतों पर भी सरकार पूरी संवेदनशीलता से काम कर रही है.

पीएम ने दी ऑनलाइन अभियान चलाने की सलाह

वहीं पीएम से अपना अनुभव साझा करते हुए मध्य प्रदेश की चंपा सिंह ने कहा कि कृषि सखी का प्रशिक्षण लेने से उन्हें न केवल रोजगार मिला है बल्कि वह किसानों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं. उन्होंने कहा कि इससे कम लागत में किसान अधिक उपज पैदा कर रहे हैं. पीएम ने इस काम को प्रौद्योगिकी के माध्यम से और अधिक विस्तार देने की सलाह देते हुए कहा कि आपको ऑनलाइन भी अभियान चलाना चाहिए.

किसान उत्पादक संगठनों के लिए 4.13 करोड़ रुपये जारी

कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने पीएमएफएमई (पीएम फॉर्मलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइजेज) के तहत आने वाले 7,500 स्व-सहायता समूहों को 25 करोड़ रुपये की आरंभिक धनराशि भी जारी की. यह खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की योजना है. इसी तरह मिशन के तहत आने वाले 75 एफपीओ (किसान उत्पादक संगठनों) को 4.13 करोड़ रुपये की धनराशि प्रदान की.

7 करोड़ 66 लाख महिलाएं एसएचजी से जुड़ी

इस मौके पर ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गांव की गरीब महिलाओं के सपनों को उड़ान मिली है. आज यह 80 प्रतिशत गांवों तक पहुंच गया है। आज देश में 70 लाख स्व-सहायता ग्रुप हैं. 2013-14 में यह मात्र 2 करोड़ 35 लाख महिलाएं एसएचजी में थीं लकिन अब 7 करोड़ 66 लाख महिलाएं इससे जुड़ी हैं. इससे उन्हें बैंको से कर्ज की उपलब्धता भी चार गुना बढ़ी है. यह आंकड़ा 2013-14 में जहां 80 हजार करोड़ रुपये था, वहीं आज तीन लाख 85 हजार करोड़ है.

Published - August 12, 2021, 04:38 IST