Ayushman Bharat Digital Health Mission: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 130 करोड़ भारतीयों के स्वास्थ्य हित में एक सपना देखा था, जिसे साकार करने के लिए केंद्र सरकार ने ऐसे मिशन की शुरुआत की है, जिसमें भारत की स्वास्थ्य सुविधाओं में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने की बहुत बड़ी ताकत है. जी हां, इस दिशा में केंद्र सरकार के प्रयासों से ”आयुष्मान भारत डिजिटल हेल्थ मिशन” लॉन्च किया गया है. सरकार ने इस महत्वाकांक्षी योजना को जल्द से जल्द शुरू करने की दिशा में बेहद चुस्ती-फुर्ती से कार्य किया और महज तीन साल के भीतर वह कर दिखाया, जो पूरी दुनिया के सामने बड़ी मिसाल बनेगा.
दरअसल, जिस तरह से टेक्नोलॉजी को गुड गवर्नेंस में गवर्नेंस सुधार के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है, ठीक उस प्रकार हेल्थ सेक्टर में डिजिटल तकनीक के जरिए लोगों को डिजिटल दुनिया से जोड़ने का अहम कार्य किया जा रहा है. केंद्र सरकार के इन्हीं प्रयासों का नतीजा है कि आज भारत गर्व के साथ कह सकता है कि 130 करोड़ आधार नंबर, 118 करोड़ मोबाइल सब्सक्राइबर, लगभग 80 करोड़ इंटरनेट यूजर और करीब 43 करोड़ जनधन बैंक खातों जैसा विशाल डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर दुनिया में कहीं नहीं है. ये केवल भारत के पास है। वहीं ‘आरोग्य सेतु एप’ से कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने में भी बहुत मदद मिली। सबको वैक्सीन, मुफ्त वैक्सीन अभियान के तहत भारत आज करीब-करीब 90 करोड़ वैक्सीन डोज लगा पाया है तो इसमें “Co-WIN” डिजिटल प्लेटफॉर्म का बहुत बड़ा रोल है.
”आयुष्मान भारत डिजिटल हेल्थ मिशन” के जरिए इसी कड़ी में आज भारत ने एक और कदम आगे बढ़ाया है. बता दें योजना का शुभारंभ पीएम मोदी द्वारा 27 सितंबर 2021 को सुबह 11 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए किया गया. इस फ्लैगशिप योजना का उद्देश्य देशभर में स्वास्थ्य सेवाओं को डिजिटल बनाना है. इसमें हर भारतीय नागरिक की एक यूनिक हेल्थ ID बनाई जाएगी, जिससे एक देशव्यापी डिजिटल हेल्थ ईको-सिस्टम तैयार किया जा सकेगा.
गौरतलब हो, 15 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से इस मिशन की घोषणा की थी. उस वक्त पीएम मोदी ने कहा था “आयुष्मान भारत योजना का लक्ष्य आर्थिक सुविधा देने का तो है ही साथ ही ऐसी व्यवस्था भी खड़ी की जा रही है, जिससे कि देश की जनता को अपने घरों के नजदीक ही इलाज की उत्तम सुविधाएं मिल जाएं.” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इसी संकल्प के तहत पिछले तीन वर्ष में किए गए प्रयासों के जरिए ”आयुष्मान भारत डिजिटल हेल्थ मिशन” शुरू किया गया है.
अब भारत में एक ऐसे हेल्थ मॉडल पर काम जारी है, जो होलिस्टिक और समावेशी होगा। यह एक ऐसा मॉडल होगा जिसमें बीमारियों से बचाव पर बल होगा. प्रिवेंटिव हेल्थ केयर, बीमारी की स्थिति में इलाज सुलभ, सस्ता और सबकी पहुंच में होगा. यानि इस मिशन के माध्यम से न केवल शहरी बल्कि दूर दराज के गांव में रहने वाले लोगों को भी इसका लाभ मिल सकेगा. इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से देश की जनता को स्वास्थ्य की बेहतर सुविधाओं को चयन करने का मौका मिलेगा. यह मिशन हेल्थ सेक्टर में आगे चलकर मील का पत्थर साबित होगा. इसके तहत यूजर के लिए “यूनिक हेल्थ कार्ड” बनाए जाएंगे.
गूगल प्ले स्टोर पर NDHM हेल्थ रिकॉर्ड (पीएचआर एप्लीकेशन) उपलब्ध कराया गया है. इसके जरिए ही रजिस्ट्रेशन कराना होगा. इसके जरिए यूजर की एक यूनीक आईडी क्रिएट होगी। जिस किसी के पास मोबाइल नहीं है, वे अपना रजिस्ट्रेशन सरकारी-निजी अस्पताल, कम्युनिटी हेल्थ सेंटर, प्राइमरी हेल्थ सेंटर, वेलनेस सेंटर और कॉमन सर्विस सेंटर में जाकर करा सकते हैं और अपना हेल्थ आईडी कार्ड बनवा सकते हैं. इसके तहत उपयोगकर्ता से बेहद सामान्य जानकारियां पूछी जाएंगी। जैसे नाम, जन्म की तारीख, पता इत्यादि.
यूजर के मेडिकल रिकॉर्ड से जुड़ी तमाम जानकारी इसमें दर्ज की जाएगी। यहां तक कि यह भी कि पिछली बार उस पर किस दवा का क्या असर हुआ था और क्या नहीं. यदि कोई डॉक्टर मरीज की दवा बदलता है तो उसका कारण भी इस जानकारियों में जुड़ा होगा. इससे डॉक्टर को अपने मरीजों के इलाज में काफी सहूलियत होगी और मरीज को भी सही इलाज मुहैया होगा.
मरीज की ‘मेडिकल हिस्ट्री’ से मिलेगा फायदा
हेल्थ कार्ड के जरिए स्वास्थ्य से संबंधित सारी जानकारी डिजिटल फॉर्मेट में जुड़ती जाएंगी. इससे उपयोगकर्ता की एक ”मेडिकल हिस्ट्री” तैयार हो जाएगी. ऐसे में जब कभी हेल्थ कार्ड यूजर किसी अस्पताल में इलाज कराने जाएंगा, तो उसके सारे पुराने रिकॉर्ड, डिजिटल फॉर्मेट में मिल जाएंगे. केवल इतना ही नहीं, अगर आप किसी दूसरे शहर के अस्पताल भी जाएं तो वहां भी यूनीक कार्ड के जरिए डेटा देखा जा सकेगा. इससे डॉक्टरों को इलाज में आसानी होगी. साथ ही कई नई रिपोर्ट्स या प्रारंभिक जांच आदि में लगने वाला समय और खर्च बच जाएगा.
बताना चाहेंगे कि देश में अभी तक ”आयुष्मान भारत योजना” के तहत 2 करोड़ से ज्यादा लोगों को मुफ्त उपचार की सुविधा प्राप्त हो चुकी है. देश में इन लोगों का ‘आयुष्मान कार्ड’ बनाकर इन तक स्वास्थ्य सुविधाओं को पहुंचाया गया. ऐसा करते हुए यह सुनिश्चित किया गया कि योजना का लाभ लिंग, उम्र या किसी भी प्रकार के भेदभाव के बगैर सभी जरूरतमंदों तक पहुंचे. योजना के तहत देशभर में महिला और पुरुष लाभार्थियों ने लगभग समान अनुपात में स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाया है। अभी तक योजना से लाखों लाभार्थियों ने कैंसर (2375 करोड़ रुपए), ह्रदय रोग (2119 करोड़ रुपए) , किडनी रोग (1047 करोड़ रुपए), हड्डी व जोड़ रोग (2058 करोड़), कार्डियो-थोरैसिक वैस्कुलर सर्जरी (965 करोड़ रुपए) जैसी बीमारियों का मुफ्त और सफल उपचार पाया है. अंतिम जन तक पहुंचने की दिशा में इस वर्ष (2021) “आपके द्वार आयुष्मान” कैंपेन के तहत लगभग 4 करोड़ ‘आयुष्मान कार्ड’ बनाए जा चुके हैं. अभी तक 16.58 करोड़ आयुष्मान कार्ड जारी हो चुके हैं. आयुष्मान भारत PM-JAY योजना की कामयाबी की करोड़ों कहानियां योजना और उसके कार्यान्वयन में उत्कृटता की साक्षी है.
केवल इतना ही नहीं राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस पुरस्कार से सम्मानित आईटी प्लेटफॉर्म के माध्यम से लाभार्थियों को कैशलेस और पेपरलेस स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करवाई जा रही हैं. स्टेक होल्डर के यूजर एक्सपीरियंस को और बेहतर बनाने के लिए आईटी प्लेटफॉर्म में लगातार नवाचारों का समावेश किया गया है. नित नए अस्पताल आयुष्मान भारत PM-JAY से जुड़ रहे हैं और आज 24, हजार अस्पतालों का बड़ा नेटवर्क कर रहा काम.
देश में करीब 24, हजार अस्पतालों के एक बड़े नेटवर्क के माध्यम से लाभार्थियों तक उत्तम स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाई जा रही हैं. योजना के तहत स्वास्थ्य पैकेज को भी लगातार रेशनलाइज कर नए स्वास्थ्य पैकेज जोड़ने का कार्य किया गया. आयुष्मान भारत- डिजिटल मिशन, अब पूरे देश के अस्पतालों के डिजिटल हेल्थ सॉल्यूशंस को एक दूसरे से कनेक्ट करेगा. इसके तहत देशवासियों को अब एक डिजिटल हेल्थ आईडी मिलेगी। हर नागरिक का हेल्थ रिकॉर्ड डिजिटली सुरक्षित रहेगा. साथ ही यह लोगों की मेडिकल हिस्ट्री सुरक्षित रखने में भी कारगर साबित होगा। इसके जरिए लोगों का हेल्थ रिकॉर्ड डिजिटल रूप में संग्रहित कर सुरक्षित रखा जा सकेगा.
अस्पतालों में मरीजों का डेटा सुरक्षित रख पाना बेहद पेचीदा काम है. इससे अस्पतालों पर भी मरीजों के पुराने रिकॉर्ड संभालकर रखने का एक अलग बोझ रहता है. वहीं इस व्यवस्था में कागजों और रिकॉर्ड रूप के रूप में स्थान की आवश्यकता होती है। किन्हीं कारणवश यदि किसी मरीज के रिकॉर्ड की आवश्यकता होती थी तो उन्हें रिकॉर्ड रूम में तलाश पाना बेहद मुश्किल होता था. अब इस व्यवस्था को बदलने में ”आयुष्मान भारत डिजिटल हेल्थ मिशन” काफी कारगर साबित होगा. इस हेल्थ मिशन के तहत अब मरीजों का मेडिकल डेटा अस्पताल में नहीं, बल्कि डेटा सेंटर में रखा जाएगा, जो कार्ड के जरिए डिजिटल रूप में देखा जा सकेगा. ऐसे में अगर आप कहीं इलाज कराने जाते हैं तो यह आपके लिए यूनिक हेल्थ कार्ड की तरह काम करेगा. इसमें सारी मेडिकल जानकारी मिल जाएगी. साथ ही सालों-साल ये मेडिकल रिकॉर्ड संभालकर रखे जा सकेंगे. जैसे आधार कार्ड में प्राइवेसी सबसे महत्वपूर्ण है, ठीक वैसे ही इस डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी डेटा को सुरक्षित रखा जाएगा. यदि किसी मरीज का रिकॉर्ड किसी को एक्सेस करना है, मसलन डॉक्टर या अस्पताल को वो आपकी सहमति से ही हो सकेगा.
भारत के हेल्थ सेक्टर को ट्रांसफॉर्म करने के लिए मेडिकल एजुकेशन में भी अभूतपूर्व रिफॉर्म्स हो रहे हैं. 7-8 साल में पहले की तुलना में आज अधिक डॉक्टरों और पैरामेडिकल मैनपावर देश में तैयार हो रही है. देश के तमाम डॉक्टरों को अब मेडिकल क्षेत्र में इस बड़े बदलाव के साथ मरीजों का इलाज करने में काफी आसानी होगी। मरीज के मेडिकल रिकॉर्ड से इलाज में डॉक्टर को काफी आसानी होगी. इसके आधार पर डॉक्टर की पहले के रिकॉर्ड से मरीज के शरीर के बारे में अत्यधिक जानकारी जुटा सकेंगे जो इलाज के लिए काफी काम आती है.
”आयुष्मान भारत डिजिटल हेल्थ मिशन” में मरीज को दो गई दवाओं से जुड़ी तमाम जानकारी होगी. सीधे शब्दों में अगर कहें तो आज के दिन अगर हम किसी डॉक्टर से इलाज करवा रहे हैं और उसका पर्चा हमारे पास है, उसे हम यदि पांच साल बाद खोजेंगे तो सामान्यतः: 90 से 95 फीसदी लोग वो पर्चियां या इलाज से जुड़ी जांच रिपोर्ट संभालकर नहीं रख पाते हैं. यह एक ऐसी जगह होगी, जहां पर आपके सारे रिकॉर्ड और डॉक्टर की पर्चियां सुरक्षित रहेंगी. इसका सीधा मतलब यह भी रहेगा कि अब लोगों को अपनी मेडिकल फाइलों को साथ कैरी करके ले जाने की झंझट से भी छुटकारा मिल जाएगा.
देश में अब गरीब लोगों को भी किफायती दरों पर दवा मिलेगी, जिससे उन्हें सस्ता इलाज मिल पाएगा. यह सबसे विकट समस्या रही है कि देश में इलाज भले ही सस्ता मुहैया हो जाए लेकिन दवाओं के दाम आसमान को छूते हैं. डॉक्टर गरीबों मरीजों की जांच ही कर सकता है लेकिन दवाएं उन्हें बाहर से खरीदनी पड़ती हैं जो कि बेहद महंगे दामों पर बिकती हैं. ऐसे में इनका इलाज संभव नहीं होता था लेकिन अब ”आयुष्मान भारत डिजिटल हेल्थ मिशन” के तहत गरीबों को किफायती दर पर दवा भी मिलेगी.
देश में जिस किसी व्यक्ति का डिजिटल हेल्थ रिकॉर्ड रखा जाएगा वह आपकी सहमति से ही होगा, यानि की यह अनिवार्य नहीं है. यह आपकी इच्छा पर निर्भर करेगा कि आप कार्ड बनवाना चाहते हैं या नहीं.
संयोग ये आज का कार्यक्रम वर्ल्ड टूरिज्म डे पर आयोजित हुआ. कुछ लोग सोच सकते हैं कि हेल्थ केयर के प्रोग्राम का टूरिज्म से क्या लेना देना? लेकिन हेल्थ का टूरिज्म के साथ एक बड़ा मजबूत रिश्ता है. क्योंकि जब हमारा हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर इंटीग्रेटेड होता है, मजबूत होता है, तो उसका प्रभाव टूरिज्म सेक्टर पर भी पड़ता है.
कोरोना काल में टेलीमेडिसिन का भी अभूतपूर्व विस्तार हुआ है. ई-संजीवनी के माध्यम से अब तक लगभग सवा करोड़ रिमोट कंसल्टेशन पूरे हो चुके हैं. ये सुविधा हर रोज देश के दूर-सुदूर में रहने वाले हजारों देशवासियों को घर बैठे ही शहरों के बड़े अस्पतालों के डॉक्टरों से कनेक्ट कर रही है.