चीनी फर्मों ने नहीं किया PLI के लिए आवेदन, योग्य कंपनियों को टाइ-अप की मिल सकती अनुमति

PLI Scheme: अब तक, 52 फर्मों ने व्हाइट गुड्स के लिए पीएलआई स्कीम के तहत 5,866 करोड़ रुपये का निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई है.

चीनी फर्मों ने नहीं किया PLI के लिए आवेदन, योग्य कंपनियों को टाइ-अप की मिल सकती अनुमति

image: pixabay, 52 फर्मों ने व्हाइट गुड्स के लिए पीएलआई स्कीम के तहत 5,866 करोड़ रुपये का निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई है. जबकि 31 फर्मों ने एसी कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग के लिए लगभग 4,995 करोड़ रुपये और 21 फर्म एलईडी कंपोनेंट के लिए 871 करोड़ रुपये का निवेश करेंगी.

image: pixabay, 52 फर्मों ने व्हाइट गुड्स के लिए पीएलआई स्कीम के तहत 5,866 करोड़ रुपये का निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई है. जबकि 31 फर्मों ने एसी कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग के लिए लगभग 4,995 करोड़ रुपये और 21 फर्म एलईडी कंपोनेंट के लिए 871 करोड़ रुपये का निवेश करेंगी.

PLI Scheme: चीनी कंपनियों ने अयोग्यता के डर से व्हाइट गुड्स (बड़े घरेलू उपकरण जैसे रेफ्रिजरेटर, फ्रीजर, वाशिंग मशीन, टम्बल ड्रायर, डिशवॉशर और एयर कंडीशनर) के लिए प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम के लिए आवेदन नहीं किया है. लेकिन योग्य कंपनियों को टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के लिए चीनी फर्मों के साथ टाइअप करने की अनुमति दी जा सकती है. न्यूज वेबसाइट मिंट ने एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के हवाले से इसे लेकर एक रिपोर्ट पब्लिश की है.

भारत ने चीनी सैनिकों से झड़प के बाद नियम कड़े किए थे

जून 2020 में चीनी सैनिकों के साथ झड़प के बाद भारत ने उन देशों के इन्वेस्टमेंट प्रपोजल को वेरीफाई करने के लिए कड़े नियम बनाए हैं, जिनके साथ वह अपनी लैंड बॉर्डर शेयर करता है.

नए नियमों में ऐसी फर्मों को सरकारी खरीद में भाग लेने से भी रोक दिया गया है. अधिकारी ने कहा, ‘चीनी कंपनियों ने आवेदन नहीं किया है क्योंकि शायद वे जानते हैं कि उन्हें मंजूरी नहीं मिलेगी.

लेकिन उनसे पूरी तरह से किनारा नहीं कर सकते हैं. कुछ योग्य कंपनियां टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के लिए चीनी कंपनियों के साथ टाइ-अप कर सकती हैं.’

भारत को ग्लोबल सप्लाई चेन का अभिन्न अंग बनाना लक्ष्य

सितंबर में, केंद्र ने ‘गैर-आवश्यक आयात’ (non-essential imports) के मानदंडों (norms) को और कड़ा करने और स्थानीय विनिर्माण (local manufacturing) को प्रोत्साहित करने के लिए, रेफ्रिजरेटर के साथ एयर-कंडीशनर के आयात पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था.

वाइट गुड्स की पीएलआई स्कीम को एसी और एलईडी लाइट के लिए एंड-टू-एंड (end-to-end) कंपोनंट इकोसिस्टम बनाने के लिए डिजाइन किया गया है. ताकि भारत ग्लोबल सप्लाई चेन का अभिन्न अंग बन सके.

पीएलआई स्कीम के तहत 5,866 करोड़ रुपये का निवेश

अब तक, 52 फर्मों ने व्हाइट गुड्स के लिए पीएलआई स्कीम के तहत 5,866 करोड़ रुपये का निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई है.

जबकि 31 फर्मों ने एसी कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग के लिए लगभग 4,995 करोड़ रुपये और 21 फर्म एलईडी कंपोनेंट के लिए 871 करोड़ रुपये का निवेश करेंगी.

कंपनियों में डैकिन (Daikin), पैनासोनिक (Panasonic), हिताची (Hitachi), मेत्तुबे (Mettube), नाइडेक (Nidec), वोल्टास (Voltas), ब्लू स्टार (Bluestar), हैवेल्स (Havells), अंबर (Amber), ईपैक (EPack), टीवीएस-लुकास (TVS-Lucas), डिक्सन (Dixon), आरके लाइटिंग (R K Lighting), यूनिग्लोबस (Uniglobus), राधिका ऑप्टो (Radhika Opto) और सिस्का (Syska) शामिल हैं.

सरकार को मिला अच्छा रिस्पॉन्स

कंपोनेंट मैन्यूफैक्चरिंग के लिए प्रोत्साहन सही कदम साबित हुआ है, सरकार को तीन मुख्य एसी कंपोनेंट्स- कंप्रेशर्स, कॉपर-टयूबिंग और एल्यूमिनियम फिन्स के लिए अच्छा रिस्पॉन्स मिला है.

अधिकारी ने कहा, ‘वर्तमान में केवल एक फर्म कंप्रेसर बनाती है. अब हमारे पास भारत में 4 फर्में है जो कंप्रेसर बनाना चाहती है. हिंडाल्को सालाना एक करोड़ एसी की आपूर्ति के लिए एल्यूमीनियम फिन बनाने जा रही है.

कॉपर ट्यूबिंग में, सबसे अच्छी कंपनियां मेत्तुबे के साथ आ रही हैं जो अकेले 15 मिलियन एसी के लिए आपूर्ति कर सकती हैं.’ एसी के लिए भारत का वार्षिक बाजार 7.5 मिलियन यूनिट का है, जिसमें से 6 मिलियन को सिर्फ 25% घरेलू वैल्यू एडिशन के साथ असेंबल किया जाता है.

अधिकारी ने कहा कि एसी का प्रोडक्शन 23-24 मिलियन तक पहुंच सकता है और डोमेस्टिक वैल्यू एडिशन 75%.

क्या कहा केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री ने?

केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि पीएलआई स्कीम न केवल उत्पादन को बढ़ावा दे सकती है, बल्कि आयात पर निर्भरता को कम करने की क्षमता भी रखती है. उन्होंने कहा, ‘इलेक्ट्रॉनिक्स के आयात में कमी आ सकती है.

इलेक्ट्रॉनिक आधारित सामानों के लिए कुल प्रोत्साहन 60,000-70,000 करोड़ रुपये या 4-6 वर्षों में लगभग 9-9.5 बिलियन डॉलर होगा.

अगर यह प्रोत्साहन इस अवधि में आयात बिल को 10% तक कम करने में मदद करता है, तो माना जाएगा कि प्रदान किए गए प्रोत्साहन ने अच्छा काम किया.

Published - September 22, 2021, 02:41 IST