Petrol Price: दिवाली से एक दिन पहले पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटा कर सरकार ने उपभोक्ताओं को बड़ी राहत दी है. बिजनेस स्टैंडर्ड के एक अनुमान के मुताबिक सरकारी खजाने को 35 हजार करोड़ रुपये का नुकसान उठाना होगा. रिपोर्ट के अनुसार इससे राजकोषीय घाटे में 0.15 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है. लेकिन सरकार इस राजकोषीय घाटे के लिए फिक्रमंद नहीं है क्योंकि प्राइमरी स्ट्रीमस से राजस्व मजबूत हो रहा है. चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में सरकार ने वार्षिक प्राप्तियों का 55 प्रतिशत पूरा या है जो 40 प्रतिशत के औसत से काफी ज्यादा है. वित्त वर्ष की पहली छमाही में टैक्स रेवेन्यू में भी वृद्धि दर्ज की गई है.
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट में कहा गया है कि रेटिंग एजेंसी ICRA की अदिति नायर को उम्मीद है कि केंद्र के खजाने से 1.9 ट्रिलियन रुपये के राजस्व आएगा.
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि भले ही फ्यूल से मिलने वाले टैक्स से 35 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होगा. लेकिन सरकार की राजस्व स्थिति मजबूत बनी रहेगी.
नोमुरा का दावा है कि वित्त वर्ष 22 के बचे हुए हिस्से में 45 हजार करोड़ की राजस्व हानि होगी. इससे राजकोषीय घाटा भी पहले के 6.2 प्रतिशत के अनुमान से बढ़ कर जीडीपी के 6.5 प्रतिशत पहुंच सकता है.
नोमुरा का ये भी अनुमान है कि रिटेल में मुद्रास्फीति 0.14 प्रतिशत अंक और इनडायरेक्ट इफेक्ट्स को शामिल करने पर 0.3 प्रतिशत अंक तक नीचे आनी चाहिए.
राजकोष को हो रहे नुकसान का आंकलन इस बात को ध्यान में रख कर किया गया है कि इस वित्त वर्ष के शुरूआती सात माह में केंद्र ने पुरानी दरों पर ही राजस्व अर्जित किया है.
पिछले साल की तुलना में बीते पांच माह में 40 से 42 प्रतिशत फ्यूल का उपयोग किया गया है.
बजट 2021-22 के अनुसार सरकार ने पेट्रोल और डीजल से 3.2 ट्रिलियन मिलने का अनुमान लगाया था. नुकसान का आंकड़ा बीते पांच में मिले राजस्व के कैलकुलेशन के बाद लगाया गया है.
इसके अलावा दो रिटेल फ्यूल की कुल खपत में पेट्रोल की हिस्सेदारी 30 प्रतिशत है. राजस्व के नुकसान का अनुमान लगाने के लिए इसी हिस्से का कैलकुलेशन किया गया है.
कोविड महामारी शुरू होने के बाद फ्यूल की दरों में वृद्धि कर दोनों फ्यूल्स पर लगे टैक्स से राज्य और केंद्र सरकार ने 7 ट्रिलियन (जीडीपी का लगभग 3%) की कमाई की है.
ईंधन करों में कटौती के केंद्र के फैसले के बाद, यह संभावना है कि कुछ राज्य इसका पालन करेंगे और ईंधन पर बिक्री कर (या VAT) कम करेंगे। तमिलनाडु जैसे कुछ राज्य (VAT में 3 रुपये प्रति लीटर की कमी) पहले ही ऐसे कदम उठा चुके हैं.
हालांकि इस बात की संभावनाएं ज्यादा हैं कि सभी राज्य यथा स्थिति बनाए रखें. केंद्र ने उपकर के रूप में करों को बढ़ा कर भारी राजस्व अर्जित किया. जबकि राज्यों के लिए पिछले तीन साल से ईंधन से होने वाली आय 2 ट्रिलियन रुपये पर स्थिर है.