Petrol-diesel Price: पेट्रोल और डीजल की बढ़ी हुई कीमतों को कम करने के लिए सरकार ने जो कदम उठाए हैं उससे खुदरा मूल्य सूचकांक या खुदरा महंगाई दर (CPI-Consumer price index) मुद्रास्फीति दर 0.30 प्रतिशत अंक तक कम हो सकता है. सरकार ने पेट्रोल पर 5 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 10 रुपये प्रति लीटर उत्पाद शुल्क कम किया है. हालांकि यह नवंबर के मुद्रास्फीति के आंकड़ों में दिखाई नहीं देगा जो दिसंबर में जारी किए जाएंगे. इसे लागू होने में अभी वक्त लगेगा.
बिजनेस स्टैंडर्ड् की खबर के अनुसार चार नवंबर को चार प्रमुख महानगरों – दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता में पेट्रोल की कीमतें 5.26 से 6.77 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमतें 11.16 से 12.48 रुपये प्रति लीटर की कमी आई है.
बावजूद इसके इन महानगरों में पेट्रोल की कीमतें 100 रुपए प्रति लीटर की ऊपर बनी हुई हैं हालांकि डीजल की कीमत 100 रुपए प्रति लीटर के नीचे आ गई है.
विभिन्न राज्यों ने वैल्यू एडेड टैक्स कम किया
उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, बिहार, गुजरात, गोवा, कर्नाटक, उत्तराखंड, असम, मणिपुर और त्रिपुरा जैसे कई एनडीए शासित राज्यों ने इन दोनों ईंधनों पर मूल्य वर्धित कर (वैल्यू एडेड टैक्स) कम कर दिया है, इससे सीपीआई महंगाई दर में और कमी आने की संभावना है.
मामले से जुड़े सूत्रों को कहना है कि सरकार ने यह कदम उठा तो लिया है लेकिन इससे केंद्र के खजाने पर 60 हजार करोड़ रुपए का बोझ पड़ सकता है.
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों में आई गिरावट के बाद मांग बढ़ गई है. इससे केंद्र के खाजने या कहे तो कोष पर पड़ने वाला बोझ कम हो सकता है.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि केंद्र के उपायों का प्रत्यक्ष प्रभाव खुदरा महंगाई पर 0.18-0.20 प्रतिशत तक पड़ सकता है. हम उम्मीद कर सकते हैं कि खुदरा महंगाई दर 0.3 प्रतिशत अंक के करीब हो सकती है.
इंडिया रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र पंत ने कहा कि उत्पादन शुल्क में कटौती से खुदरा महंगाई दर में 0.15 प्रतिशत की गिरावट आएगी.
भारत के मुख्य अर्थशास्त्री राहुल बाजोरिया ने कहा, उत्पादन शुल्क में कमी किए जाने का सीधा असर नवंबर की खुदरा महंगाई दर पर 0.12 प्रतिशत अंक रहेगा और इसकी वजह से 0.12 प्रतिशत का अप्रत्यक्ष असर अगले तीन महीने में दिखेगा और इससे महंगाई दर में कुल 0.24 प्रतिशत की कमी आ सकती है.
क्वांटईको रिसर्च की अर्थशास्त्री युविका सिंघल ने कहा कि केंद्र के कदमों का खुदरा महंगाई पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष असर 0.13 प्रतिशत रहेगा.
सितंबर में खुदरा महंगाई दर (सीपीआई) पांच महीने के निचले स्तर 4.35 फीसदी पर पहुंच गई है, जो अगस्त महीने में 5.59 फीसदी थी.