आम लोगों को जल्द ही महंगाई से राहत मिल सकती है. सरकार की ओर से कम से कम ऐसी ही उम्मीद जताई गई है. देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) के वी सुब्रह्मण्यम ने कहा है कि अच्छे मॉनसून और आर्थिक गतिविधियों के फिर से शुरू होने से खाद्य महंगाई में कमी आ सकती है. उन्होंने कहा है कि अप्रैल-मई में कोविड की दूसरी लहर की वजह से कई राज्यों में लॉकडाउन लगाए गए थे, इस वजह से खाद्य कीमतों में तेजी आई है. लेकिन, अब आर्थिक गतिविधियों के पटरी पर लौटने और अच्छे मॉनसून से खाने-पीने की चीजों की महंगाई नीचे आएगी.
गरीबों पर असर नहीं
CEA सुब्रह्मण्यम ने कहा है कि ऊंची खाद्य महंगाई से आबादी के बड़े हिस्से पर कोई खास असर नहीं पड़ा है क्योंकि इस तबके को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत मुफ्त राशन दिया जा रहा है.
उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा है, “खाद्य मंहगाई में कुछ बढ़ोतरी की वजह पाबंदियां रही हैं. हमने पिछले साल देखा था कि जब लॉकडाउन लगाया गया और सप्लाई के मोर्चे पर बाधाएं आईं तो इससे खाद्य महंगाई पर असर पड़ा था. इसका असर CPI इनफ्लेशन पर दिखाई दिया.”
पाबंदियां हटने से गिरेंगे दाम
उन्होंने कहा कि ऐसे में अब चूंकि ज्यादातर जगहों पर पाबंदियां हटा दी गई हैं, खाद्य मंहगाई में गिरावट आने की उम्मीद है.
गौरतलब है कि मई में रिटेल इनफ्लेशन RBI की 6 फीसदी की ऊपरी सीमा को पार कर गया है. इसने RBI और सरकार दोनों पर खाने-पीने की चीजों के दाम नीचे लाने का दबाव बना दिया है.
इस महीने की शुरुआत में सरकार ने खाद्य तेल के आयात पर टैरिफ वैल्यू को 112 डॉलर प्रति टन तक घटा दिया था.
अच्छे मॉनसून से भी मिलेगी मदद
राज्यों के लॉकडाउन जैसी पाबंदियां हटाने के साथ ही सुब्रह्मण्यम ने कहा कि अच्छा मॉनसून भी खाने-पीने की चीजों की मंहगाई को कम करेगा.
रिटेल इनफ्लेशन पर पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों के असर के बारे में सुब्रह्मण्यम ने कहा कि इसका ज्यादा बड़ा असर नहीं है क्योंकि फ्यूल और लाइट कैटेगरी का कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) आधारित महंगाई में वेटेज महज 7.94 फीसदी ही है.