education loan: हाल ही में हुए एक अध्ययन में लगभग 45% छात्रों का कहना है कि वह “आत्मनिर्भरता” की इच्छा और “अपनी शर्तों पर जीवन जीने” के अवसर से अंतराष्ट्रीय स्तर पर पढ़ाई करने के लिए प्रेरित हुए थे. हाल ही में भारतीय परिवारों की कलेक्टिव जर्नी को बेहतर ढंग से समझने के लिए वेस्टर्न यूनियन द्वारा किया गया एक अध्ययन, क्रॉस-करेंसी मनी मूवमेंट और पेमेंट जारी किया गया था, जिसमें इस बात का अध्ययन किया गया कि भारतीय परिवार अपने बच्चों की अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा और वैश्विक भविष्य की दिशा में किस प्रकार काम करते हैं.
वेस्टर्न यूनियन द्वारा आयोजित और नीलसनआईक्यू द्वारा संचालित एक न्यू मल्टी-जेनेरशनल स्टडी “एजुकेशन ओवरसीज-एन इवॉल्विंग जर्नी” नाम की रिपोर्ट से पता चला है कि जो छात्र विदेश में अध्ययन करने पर विचार कर रहे हैं, उन्हें उन कारकों की बेहतर समझ थी, जो उनके निर्णयों को प्रभावित करते हैं.
विदेशों में पढ़ाई के लिए शीर्ष चार देश अभी भी संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया बने हुए हैं. लेकिन फिर भी, छात्र आयरलैंड और तुर्की जैसे अधिक स्थापित देशों की तुलना में जर्मनी और इटली जैसे नए देशों को तेजी से चुन रहे हैं. इसके साथ ही छात्र संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों कि तुलना में रूस और चीन जैसे देशो का चयन कर रहे हैं.
जनवरी 2021 तक प्राप्त विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया भर के 85 देशों में 10.9 लाख से अधिक भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं. वर्तमान में चीन में 29,600 छात्र, जर्मनी और फ्रांस में 10,000 छात्रों का एक बड़ा भारतीय छात्र समुदाय है.
साथ ही यह देखकर भी आश्चर्य होता है कि विदेश में पढ़ाई करने की योजना बना रहे छात्र अपने निर्णय लेने में एक विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा से अधिक विशेष पाठ्यक्रमों (52%) का पक्ष लेते हैं. अक्सर, छात्र आइवी लीग विश्वविद्यालयों से परे विश्वविद्यालयों की खोज करते हैं, क्योंकि यह विश्वविद्यालय कुछ विशेष पाठ्यक्रमों को प्रदान नहीं करते हैं. छात्र ऐसे पाठ्यक्रमों को खोजते हैं जो अधिक विशिष्ट हैं और जिनकी इम्पोर्टेंस आने वाले समय में बढ़ रही है.
लेकिन बाजार की अनिश्चित प्रकृति के कारण एजुकेशन लोन की चुकौती को लेकर अभिभावकों में काफी चिंता रहती है. कई छात्रों और अभिभावकों ने इस प्रक्रिया में एक निर्णायक कारक के रूप में धन का उल्लेख किया, विशेष रूप से बजट और वित्तीय नियोजन की बात कही है.
विदेशों में उच्च डिग्री हासिल करने के लिए चुने गए आधे से अधिक लोगों ने फाइनेंशियल प्रॉब्लम को सबसे महत्वपूर्ण विचार के रूप में उद्धृत किया है. हल ही में आयी रिपोर्ट से पता चलता है कि विदेशों में पढ़ाई में होने वाले उच्च व्यय के कारण, कई छात्रों ने छोटे पाठ्यक्रम लेने का फैसला किया है, जो पहले उनकी पसंद नहीं हुआ करते थे.
वेस्टर्न यूनियन की मिडिल ईस्ट और एशिया पसिफ़िक क्षेत्र की प्रमुख सोहिनी राजोला के मुताबिक हम हर युवा भारतीय छात्र की यात्रा का हिस्सा बनना चाहते हैं. क्योंकि वे ‘सीमाहीन’ दुनिया में वैश्विक लर्निंग के अवसरों का पता लगाते हैं. एक विश्वसनीय ब्रांड के रूप में, हमारे इनबाउंड और आउटबाउंड क्रॉस-बॉर्डर मनी ट्रांसफर क्षमताओं के साथ एक बेहतर दुनिया के लिए पैसे की आवाजाही को सक्षम करने के लिए, हमने छात्रों के लक्ष्यों और आकांक्षाओं को बेहतर ढंग से समझने के लिए इस शोध को अंजाम दिया है. क्योंकि वे अपने परिवारों के साथ इस यात्रा को नेविगेट करते हैं.