लगातार बढ़ रहे प्रदूषण और प्रकृति को हो रहे नुकसान की ओर दुनिया ध्यान देने लगी है. लोग अब ज्यादा से ज्यादा ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स का उपयोग करने लगे हैं. यही एक बड़ा कारण है कि धीरे-धीरे ऑर्गेनिक फार्मिंग से पैदा हुए प्रोडक्ट्स की मांग पूरी दुनिया में बढ़ रही है. हमारे देश में भी ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स की डिमांड में तेजी आई है. केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने बताया है कि कोविड-19 के बाद से घरेलू बाजार में जैविक उत्पादों (Organic products) की मांग बढ़ गई है. मंत्रालय के अनुसार इसका घरेलू बाजार 17 फीसदी की दर से बढ़ रहा है.
साल 2016 में ऑर्गेनिक फूड मार्केट की अनुमानित मांग 53.3 करोड़ रुपये थी, जिसे 2021 के अंत तक 87.1 करोड़ रुपये को पार करने की उम्मीद जताई जा रही है. वहीं ऑर्गेनिक प्रोडक्ट के एक्सपोर्ट में भी काफी वृद्धि देखी जा रही है. एपिडा (APEDA) के मुताबिक 2020-21 के दौरान 7078.5 करोड़ रुपये के ऑर्गेनिक प्रोडक्ट का एक्सपोर्ट किया गया. इसलिए ऑर्गेनिक फार्मिंग किसानों के लिए फायदे का सौदा बन रही है.
ऑर्गेनिक फार्मिंग पर्यावरण के लिए बेहतरीन साबित होती है. ऑर्गेनिक फार्मिंग, मिट्टी से कार्बन को अलग करने की क्षमता रखती है. जिसके कारण ग्रीन हाउस इफेक्ट और ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में भी योगदान देती है. ऑर्गेनिक फूड प्रोडक्ट हेल्थ के लिए सुरक्षित और हैं. इसके उपयोग से आपका इम्यून सिस्टम भी मजबूत होता है.
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के मुताबिक ऑर्गेनिक प्रोडक्ट के एक्सपोर्ट में पिछले वर्ष की तुलना में इस साल दौरान 42 फीसदी की वृद्धि हुई है. अप्रैल 2021 से फरवरी 2021 तक एक्सपोर्ट किए गए ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स की मात्रा 8,19,250 मीट्रिक टन थी.
ऑर्गेनिक फूड प्रोडक्ट्स की बढ़ती मांग के कारण सरकार साल 2015-16 से देश में परंपरागत कृषि विकास योजना ( PKVY ) और पूर्वोत्तर जैविक मूल्य श्रृंखला विकास नामक योजना के जरिए जैविक खेती (Organic farming) को बढ़ावा दे रही है. दोनों योजनाओं में सरकार ऑर्गेनिक खेती करने वाले किसानों को समय पर सहायता अर्थात उत्पादन से लेकर प्रमाणन और विपणन के लिए सहायता पर जोर देती है.
देश में इस समय कुल 38.9 लाख हेक्टेयर में ऑर्गेनिक फार्मिंग हो रही है. जो कुल खेती योग्य जमीन (140 मिलियन हेक्टेयर) का 2.71 फीसदी है. देश में 44.33 लाख किसान आधिकारिक तौर पर ऑर्गेनिक फार्मिंग कर रहे हैं.