No GST On Lassi: अगर आप लस्सी पीने के शौकीन हैं तो आपके लिए एक अच्छी खबर है. जीएसटी अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग्स (AAR-गुजरात) ने लस्सी पर जीएसटी में छूट दे दी है. अब लस्सी GST के दायरे से बाहर हो गई है. गुजरात के वलसाड स्थित मैन्युफैक्चरर और सप्लायर संपूर्ण डेयरी एंड एग्रोटेक ने GST दर को लेकर अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग्स में एक याचिका दी थी. इस पर सुनवाई करते हुए AAR ने लस्सी पर GST में छूट का फैसला सुनाया है, लेकिन फ्लेवर्ड मिल्क को अब भी GST के दायरे में रखा गया है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, वलसाड स्थित संपूर्ण डेयरी चार फ्लेवर्ड में ‘एलन’ ब्रांड के नाम से लस्सी बेचता है. जिसमे सादी लस्सी (बिना चीनी या नमक के), जीरा के साथ नमकीन लस्सी, चीनी के साथ मीठा स्ट्रॉबेरी और चीनी के साथ मीठा ब्लूबेरी शामिल है.
एएआर बेंच ने अपनी सुनवाई में कहा कि लस्सी की मुख्य सामग्री जो बनाई और बेची जा रही है उसमें दही, पानी और मसाले शामिल हैं.
इसके बोतल पर प्रदर्शित सामग्री में टोंड दूध, मसाले, पुदीना, हरी मिर्च, अदरक, नमक, जैसे पदार्थ शामिल हैं जिससे पता चलता है कि कि यह एक ‘डेयरी-आधारित पेय’ है.
पीठ ने कहा कि दही, लस्सी और छाछ एक विशिष्ट वर्गीकरण (HSN 040390) के अंतर्गत आते हैं और GST से मुक्त हैं.
इसी बेंच ने एक दूसरी याचिका पर फ्लेवर्ड मिल्क को लेकर भी सुनवाई की. टैक्स एक्सपर्ट्स के मुताबिक फ्लेवर्ड मिल्क के मैन्युफैक्चरर और सप्लायर की दलील प्रभावशाली नहीं रही.
फिलहाल फ्लेवर्ड मिल्क पर जीएसटी दर लागू है. कुछ समय पहले गुजरात एएआर ने अमूल कंपनी के फ्लेवर्ड मिल्क को लेकर अपने एक फैसले में कहा था कि फ्लेवर्ड मिल्क पर 12 फीसद की जीएसटी दर लागू रहेगी.
एक टैक्स एक्सपर्ट के मुताबिक लस्सी और फ्लेवर्ड दूध दोनों ही डेयरी-आधारित पेय हैं, लेकिन वर्गीकरण कोड उनके साथ अलग तरह से व्यवहार करते हैं.
हाल ही में टाटा मोटर्स (Tata Motors) ने एएआर की गुजरात बेंच से जानकारी मांगी थी कि क्या कर्मचारियों द्वारा कैंटीन सुविधा के इस्तेमाल के लिए उनसे वसूली गई राशि पर जीएसटी लगेगा.
इस सवाल के जवाब में जीएसटी अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग्स ने कहा कि था कि कैंटीन सुविधा के लिए चुकाई गई राशि पर कोई जीएसटी नहीं लगेगा.