मॉनेटाइजेशन प्लान का तभी मिलेगा फायदा, जब सही हाथों में सौंपी जाएं संपत्तियां

National Monetisation Pipeline: बिना किसी संदेह के यह सुनिश्चित करना होगा कि पारदर्शी तरीके से बोलियां लगें. उसी आधार पर निवेशकों का चुनाव किया जाए

work from home promotes merit based hiring over location preference in corporate india

बड़ी कंपनियां अक्सर बड़े शहरों में होने के कारण रिक्रूटमेंट इन्हीं शहरों तक सीमित रह जाता है. यहां के कैंडिडेट्स को इसका लाभ मिलता है

बड़ी कंपनियां अक्सर बड़े शहरों में होने के कारण रिक्रूटमेंट इन्हीं शहरों तक सीमित रह जाता है. यहां के कैंडिडेट्स को इसका लाभ मिलता है

केंद्र का मॉनेटाइजेशन प्लान बेहद महत्वाकांक्षी है. यह न सिर्फ उसके विनिवेश के लक्ष्य, बल्कि प्राइवेटाइजेशन टार्गेट से कहीं बड़ा नजर आ रहा है. कोरोना महामारी ने लगभग सभी सरकारी इंफ्रास्ट्रक्चर – 15 रेलवे स्टेडियम, 25 एयरपोर्ट, 160 कोयले की खान, सड़कें, बिजल और गैस ट्रांसमिशन सिस्टम – को अस्त-व्यस्त किया है.

सरकार की नेशनल मॉनेटाइजेशन पाइपलाइन (NMP) तभी सफल होगी, जब कुछ बातों को ध्यान में रखकर आगे बढ़ा जाए. बिना किसी संदेह के यह सुनिश्चित करना होगा कि पारदर्शी तरीके से बोलियां लगें. उसी आधार पर निवेशकों का चुनाव किया जाए.

बड़े बिजनेस ग्रुप ज्यादातर सरकारी संपत्तियों को अपनी जेब में लेने की कोशिश कर सकते हैं. सब कुछ आसानी से, बिना किसी उलझन के हो सके, इसके लिए कुछ पहलुओं को स्पष्ट कर देना सही होगा.

पहला यह कि योजना पूरी तरह से पारदर्शी होनी चाहिए, ताकि न सिर्फ संपत्तियों को फेयर तरीके से सौंपी जाए, बल्कि बिना ज्यादा विरोध के सारा काम हो सके. दूसरा, संपत्तियों को कुछ चुनिंदा हाथों में ही सौंपा नहीं जाना चाहिए. तीसरा, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि एसेट का सही से इस्तेमाल हो रहा है.

संपत्तियों का अधिकार सरकार के पास ही रहेगा. प्राइवेट कंपनियों को सिर्फ देखभाल के लिए उन्हें दिया जाएगा. यहां सरकार को पक्का करना होगा कि जिस सोच के साथ संपत्ति सौंपी गई है, उसपर उसी हिसाब से काम हो रहा है. ऐसा न हो कि ऑपरेटर कम से कम समय में अधिक पैसे बनाने के चक्कर में पड़ जाएं.

प्रक्रिया पारदर्शी बनी रहने से विदेशी निवेशकों की भी इसमें दिलचस्पी बढ़ेगी. अर्थव्यवस्था और रोजगार के लिहाज से उनका निवेश करना फायदेमंद होगा. प्लान को मेगा स्कीम के तौर पर पेश किया गया है. विदेशी निवेशक इसपर नजर रखकर देश में ट्रांसपेरेंसी के माहौल को माप सकते हैं.

यहां सफल होंगे, तभी रेवेन्यू जनरेशन के साथ संपत्ति का भरपूर इस्तेमाल हो सकेगा. अर्थशास्त्रियों और नीति निर्माताओं, सभी का मानना है कि ऐसे कदमों का मुख्य उद्देश्य इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देना होना चाहिए. इसके लिए सिर्फ प्लान ही नहीं, उससे जुड़े हरेक सदस्य, कंपनियों का किसी भी तरह के शक के घेरे से बाहर होना जरूरी है.

Published - August 25, 2021, 06:38 IST