MGNREGS: मांगे और दिए गए काम के बीच का अंतर अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर

फंड फ्लो धीमा हो गया है. ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि राज्य सरकारें पार्लियामेंट से सप्लीमेंट्री अलॉकेशन का इंतजार कर रहे हैं.

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जब योजना के तहत काम की मांग करने वाले व्यक्तियों की संख्या 1.92 करोड़ थी. पर्सनडे का मतलब है प्रतिदिन काम करने वाले लोगों की संख्या का काम करने वाले दिनों की संख्या से गुना

जब योजना के तहत काम की मांग करने वाले व्यक्तियों की संख्या 1.92 करोड़ थी. पर्सनडे का मतलब है प्रतिदिन काम करने वाले लोगों की संख्या का काम करने वाले दिनों की संख्या से गुना

MGNREGS: ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत मांगे गए काम और प्रदान किए गए काम के बीच का अंतर नवंबर में अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया. नवंबर में केवल 11.66 करोड़ पर्सनडेज का वर्क जनरेट हुआ. अक्टूबर में 22.23 करोड़ पर्सनडेज थे, जबकि नवंबर में 2.62 करोड़ लोगों ने अक्टूबर में 2.60 करोड़ के मुकाबले मनरेगा के तहत काम की मांग की.

पर्सनडेज नवंबर 2020 के मुकाबले 50.5% कम

साल-दर-साल, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (मनरेगा) योजना के तहत जनरेट पर्सनडेज नवंबर 2020 में 23.58 करोड़ के मुकाबले 50.5% कम हो गए. यहां तक कि कोविड से पहले अवधि में भी नवंबर 2019 में 16.92 करोड़ से अधिक वर्क जनरेट हुआ था, जब योजना के तहत काम की मांग करने वाले व्यक्तियों की संख्या 1.92 करोड़ थी. पर्सनडे का मतलब है प्रतिदिन काम करने वाले लोगों की संख्या का काम करने वाले दिनों की संख्या से गुना.

फंड्स की कमी बना कारण

कुछ एक्सपर्ट्स इसकी वजह फंड्स की कमी को बता रहे हैं तो कुछ का कहना है कि 2020 में लॉकडाउन के दौरान गांव पहुंचे कई प्रवासी अभी तक वापस लौटे नहीं है. लेबर एक्सपर्ट केआर श्याम सुंदर ने कहा, कटाई के बाद के मौसम में मनरेगा के तहत काम के लिए निश्चित रूप से नए सिरे से डिमांड आई है, लेकिन फंड फ्लो धीमा हो गया है. ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि राज्य सरकारें पार्लियामेंट से सप्लीमेंट्री अलॉकेशन का इंतजार कर रहे हैं.

Published - December 3, 2021, 01:26 IST