इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को लेकर सालों से चर्चा चली आ रही है लेकिन अब वक्त आ चुका जब ऑटोमोबाइल सेक्टर में ई व्हीकल्स का दबदबा बढ़ता जा रहा है. हालांकि एक्सपर्ट्स की मानें तो अभी भी भारत में ईवी को लेकर बहुत कुछ बदलाव जरूरी हैं. चार्जिंग को लेकर अभी भी सहूलियत नहीं है. वहीं इन व्हीकल्स के प्राइस भी कम नहीं हो पा रहे हैं. अगर टू व्हीलर की बात करें तो इस सेगमेंट में सबसे ज्यादा हलचल है क्योंकि हाल ही में ओला ने भी ई स्कूटर लॉन्च किए हैं जोकि आगामी सितंबर से बाजार में नजर आने लगेंगे.
रॉकी माउंटेन इंस्टीट्यूट की अक्षिमा घाटे बताती हैं कि भारत में इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल्स को लेकर काफी बदलावों की जरूरत है लेकिन वह कस्टमर्स की बढ़ती च्वॉइस को बेहतर ऑप्शन मान रही हैं. उनका कहना है कि पिछले साल भर से हर महीने इनकी बिक्री बढ़ रही है. यह बेहतर बाजार के संकेत हैं. अभी देश में करीब 40 मॉडल्स मार्केट में हैं. जबकि इससे कुछ महीने पहले इनकी संख्या 30 थी. यूरोप में हमने देखा कि पिछले साल ईवी की बिक्री छह से बढ़कर 13 लाख हुई हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि इस दौरान वहां ईवी मॉडल्स की संख्या 40 से बढ़कर 100 पार कर चुकी थी. इसलिए मॉडल्स के बढ़ने से ई व्हीकल्स की सेल में भी तेजी आने की उम्मीद है.
सरकार से मिल रही सब्सिडी और इंसेंटिव कस्टमर्स को खींचने में काफी सफल हो रही है. पर्यावरण को बचाने के लिए भी यह बहुत जरूरी है. उन्होंने कहा कि जैसे जैसे कस्टमर्स का ध्यान इस ओर जाएगा, वैसे बिक्री में भी उछाल आएगा. ऑटो एक्सपर्ट रोनोजॉय मुखर्जी का कहना है कि अभी ईवी खरीदने का भाव बहुत ज्यादा है. ओला, बजाज या फिर हीरो इत्यादि कंपनी के टू व्हीलर सेगमेंट में कोई खास अंतर नहीं है. लगभग सभी चीजें एक जैसी हैं लेकिन अभी खरीदने की जो कॉस्ट है वह सब्सिडी मिलाकर भी एक बेहतर ईवी 90 हजार रुपये के आसपास है. जबकि भारत में 40 फीसदी से ज्यादा टू व्हीलर 40 से 50 हजार रुपये की कीमत वाले हैं.