इलेक्ट्रिक व्हीकल उद्योग ने भारत में तेजी से रफ्तार पकड़ी है, उसके साथ ही अब इनकी कंपनियों में महिला नेतृत्व का दबदबा बढ़ता जा रहा है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक प्राइवेट, पब्लिक या स्टार्टअप ही क्यों न हो, फीमेल लीडर्स इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनियों पर राज कर रही हैं. महिला नेतृत्व में सबसे आगे हैं सुलजा फिरोदिया मोटवानी (Sulajja Firodia Motwani) जो काइनेटिक ग्रीन की सीईओ हैं. यंग और डायनामिक महुआ आचार्य कंवर्जेंस एनर्जी सोल्यूशन्स की सीईओ हैं, जिन्हें अब राज्य में इलेक्ट्रिक ट्रांसपोर्टेशन के क्षेत्र में मिनी रिवोल्यूशन लाने का श्रेय भी दिया जाने लगा है. ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन की पूर्व डायरेक्टर रश्मि उर्ध्वरेषे (Rashmi Urdhwareshe) कई सरकारी संस्थाओं के साथ मिलकर इलेक्ट्रिक व्हीकल से जुड़ी पॉलिसी पर काम कर रही हैं. महिंद्रा इलेक्ट्रिक ने भी हाल ही में सुमन मिश्रा को कमान सौंपी है. इस संबंध इकोनॉमिक टाइम्स ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है.
महिला लीडर्स की राय
मोटवानी कहती हैं कि एक ऐसी इंडस्ट्री जो मैकेनिकल होने से ज्यादा इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रॉनिक हो वह स्वाभाविक रूप से महिलाओं को अपनी ओर खींचती है और इस भूमिका में लेकर आती है. ई मोबिलिटी जाहिर तौर पर ऐसी फील्ड है जहां काम करने का स्कोप बहुत ज्यादा है. ई-मोबिलिटी सॉल्यूशंस पर बेस्ड स्टार्टअप शुरू करने वाली कौर कहती हैं कि, डिजिटलीकरण और नई फ्यूचरिस्टिक इलेक्ट्रिक वाहन टेक्नोलॉजी जैसे एम्बेडेड प्रोग्रामिंग और सिस्टम इंजीनियरिंग ने महिलाओं के लिए इस क्षेत्र को ज्यादा मुफीद बना दिया है. वो आगे कहती हैं कि पारंपरिक इंजन टेक्नॉलॉजी में महिलाएं कम ही नजर आईं. पर इलेक्ट्रिक व्हीकल की दुनिया में महिलाओं की क्रिएटिव क्षमता उन्हें खींचकर ला रही है.
“हालांकि इस उद्योग को नए कौशल की आवश्यकता है, हम अक्सर इस क्षेत्र में महिला नेताओं के बीच विचार-मंथन भी करते हैं, मोटवानी ने कहा. कौर के मुताबिक इलेक्ट्रिक व्हीकल के क्षेत्र में इंडिया पहले ही कम से कम दस साल पीछे है. इसलिए थोड़ी तेज रफ्तार से आगे बढ़ना जरूरी है.
कंवर्जेंस एनर्जी की आचार्य कहती हैं कि महिलाएं अच्छी लीडरशिप के साथ आगे आ रही हैं. उनके पास बिजनेस करने की अच्छी सोच है. इलेक्ट्रिक व्हीकल एक नई टेक्नोलॉजी है. जिसमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं किया जाना चाहिए इस बारे में महिलाएं ज्यादा कॉन्फिडेंट राय रखती हैं. साथ ही वो सुनने और समझने की ताकत भी रखती हैं.
आचार्य ने कहा कि इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री को अच्छा रिस्पॉन्स मिलने लगा है. पर अब भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है. ताकि, डिमांड और सप्लाई चेन को स्मूदली चलाया जा सके.
इसलिए बढ़ा महिला नेतृत्व
ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन की पूर्व डायरेक्टर रश्मि उर्ध्वरेषे का कहना है कि महिलाएं डाटा एनालिसिस, सिम्युलेशन, वेलिडेशन और मोबिलिटी में बड़ी भूमिका अदा कर सकती हैं. इसलिए वो इलेक्ट्रिक व्हीकल इकोसिस्टम में एक लाभदायक भूमिका में नजर आती हैं. वे ऐसे व्हीकल की डिजाइनिंग में भी महत्वपूर्ण रोल निभा रही हैं क्योंकि वो कंट्रोल सिस्टम और पावर इलेक्ट्रॉनिक्स में मजबूत पकड़ रखती हैं. चालू वित्त वर्ष 2022 की पहली छमाही में, ईवी की बिक्री तीन गुना से अधिक 118, 000 यूनिट हो गई है, जबकि सेमीकंडक्टर की भारी कमी ने पेट्रोल डीजल पर चलने वाले यात्री वाहनों की बिक्री को काफी हद तक कम कर दिया है.