सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (CBDT) ने साल 2020-21 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने की आखिरी तारीख को 3 महीने और बढ़ाकर 31 दिसंबर 2021 कर दिया है. हम में से कई लोग आखिरी वक्त में जाकर जल्दबाजी में इस काम को अंजाम देते हैं और सभी कागज, जानकारियां बेतरतीब ढंग से जमा करते हैं. अब जब तक हमारे पास टाइम है, हम हर चीज को दो बार चेक कर सकते हैं. मनी9 आपको बताता है कि आपको आईटीआर फाइल करने से पहले कौन सी 7 जरूरी बातों का ख्याल रखना चाहिए.
इनकम टैक्स एक्ट के तहत आप सेक्शन 80 सी के तहते अपना 1.5 लाख रुपए का निवेश दिखाकर टैक्स की बचत कर सकते हैं. तो आईटीआर फाइल करने से पहले इस सेक्शन से जुड़े सभी इनवेस्टमेंट डॉक्यूमेंट्स क अपने पास रख लें. ELSS, PPF, SCSS, EPF, टैक्स बचाने वाली एफडी, NSC, सुकन्या समृद्धि स्कीम, ULIP, पोस्ट ऑफिस स्कीम टर्म डिपॉजिट, और इस सेक्शन के तहत ऐसे कई और इंस्ट्रूमेंट्स आते हैं. 1 अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2021 के बीच निवेश के हर डॉक्यूमेंट्स जरूरी है.
एसआईपी के जरिए निवेश में अब लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हो रहा है. लेकिन, अगर आप ELSS में निवेश कर अपना टैक्स बचाना चाहते हैं तो याद रखिए कि हर एसआईपी इस्टॉलमेंट का कम से कम 36 महीने का लॉक-इन पीरियड होता है. कई टैक्सपेयर्स ELSS में निवेश का विकल्प चुनते हैं, जिसमें 80सी टैक्स बेनेफिट के तहत फायदा मिलता है.
एक निवेशक के लिए सबसे सुरक्षित निवेश का विकल्प पीपीएफ है. ये सरकार द्वारा चलाई जाने वाली रिटायरमेंट स्कीम है. इसमें इनकम टैक्स एक्ट के तहत 80सी के तहत टैक्स में छूट मिलती है. पीपीएफ खाते को सैलरी और गैर सैलरी वाले दोनों तरह के लोग खोल सकते हैं. पीपीएफ का लॉक-इन पीरियड 15 सालों का होता है लेकिन 7 साल बाद इसमें से कुछ हिस्सा निकाला जा सकता है. पीपीएफ अकाउंट की अवधि को पांच साल और बढ़ाया जा सकता है.
राष्ट्रीय पेंशन योजना में किए गए योगदान को धारा 80सीसीडी(1) के तहत कटौती की अनुमति है. आप NPS में 50,000 रुपए की एक्ट्रा राशि का भी योगदान कर सकते हैं, जो आखिरकार धारा 80CCD (1B) के तहत काट ली जाएगी क्योंकि धारा 80C और 80CCD (1) के तहत, निवेश 1.5 लाख रुपए की सीमा से अधिक नहीं होना चाहिए.
यदि आप अटल पेंशन योजना में योगदान कर रहे हैं, तो आपको आयकर अधिनियम की धारा 80सी और 80सीसीडी (1) के तहत कटौती की अनुमति है.
आप और आपके परिवार का हेल्थ लाइफ इंश्योरेंस इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80डी के तहत कटौती के लिए योग्य है. साथ ही, सेक्शन 24 के तहत, होम लोन के लिए आपका प्रिंसिपल चुकाना टैक्स लाभ के तहत आता है. इन टैक्स प्रावधानों का उपयोग करें और आईटीआर दाखिल करते समय लाभ उठाएं.
अगर आपने फाइनेंशियल ईयर 2020-21 में अपने होम लोन की मूल राशि चुका दी है, तो उस पर टैक्स बेनिफिट लेना न भूलें. ईएमआई में मूलधन धारा 80 सी के तहत टैक्स छूट के लिए योग्य है, जबकि भुगतान किया गया ब्याज धारा 24 के तहत कटौती योग्य है.
यदि आपके पास एक एक्टिव एजुकेशन लोन है, तो आपके लोन का ब्याज टैक्स कटौती के लिए योग्य है. आईटीआर फाइल करते समय इसे फाइल करना न भूलें. इसलिए सुनिश्चित करें कि आपके हाथ में फाइनेंशियल ईयर के लिए लोन का विवरण होना चाहिए.
एक व्यक्ति विश्वविद्यालय, कॉलेज, स्कूल या किसी अन्य शैक्षणिक संस्थान को ट्यूशन फीस के रूप में भुगतान की गई राशि पर कटौती का दावा कर सकता है. फीस के अन्य कंपोनेंट जैसे विकास शुल्क और परिवहन शुल्क कटौती के लिए पात्र नहीं हैं. एक फाइनेंशियल ईयर में शिक्षण शुल्क के भुगतान पर अधिकतम 1.5 लाख रुपए तक की कटौती का दावा किया जा सकता है.
यहां तक कि जब आप टैक्स बचाते हैं, तब भी ज्यादा न करें और केवल एक असेट क्लास में निवेश करें. पास के लक्ष्यों के लिए बैंक FD, टैक्स फायदे वाले म्यूचुअल फंड या NSC उपयुक्त हो सकते हैं. रिटायरमेंट प्लानिंग या चाइल्ड एजुकेशन या मैरिज इक्विटी आधारित या हाइब्रिड इंस्ट्रूमेंट्स जैसे लक्ष्यों के लिए बेहतर हैं और उपयुक्त हो सकते हैं. विभिन्न एसेट क्लास में डायवर्सिफिकेशन रिस्क को नियंत्रण में रखने के साथ-साथ अधिक कर बचाने में मदद करेगा.