पिछले साल कोविड -19 महामारी के कारण आयकर रिटर्न दाखिल करने की तारीख जनवरी तक बढ़ा दी गई थी. इस साल, कुछ कर पेशेवरों को लगता है, तारीखों को बढ़ाना होगा. नए संशोधित आईटी पोर्टल (New IT Portal) की गड़बड़ियां अभी भी ठीक नहीं हो सकी हैं. इस पोर्टल को 7 जून को बहुत धूमधाम से लॉन्च किया गया था. टैक्स कंसल्टेंसी फर्म धर एंड बसु के पार्टनर तापस चक्रवर्ती ने बताया कि इस साल के लिए पुरानी व्यवस्था को दोबारा ठीक करना और लोगों को रिटर्न जमा करने देना एक अच्छा विचार हो सकता है.
वहीं वेंडर की समस्याओं को ठीक करने के लिए समय का इस्तेमाल कर सकता है. ऐसा नहीं होने पर हमें पिछले साल की तरह कुछ एक्सटेंशन मिल सकते हैं. पोर्टल (New IT Portal) को लॉन्च करने के एक सप्ताह बाद भी लोग अभी भी शिकायत कर रहे हैं कि कुछ जरूरी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं.
चार्टर्ड एकाउंटेंट सौम्यादिप्त दास ने कहा कि पोर्टल के लॉन्च के कुछ दिनों बाद हम लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था. उनके मुताबिक, जिन कार्यों को अभी तक पूरा नहीं किया गया है, उनमें उन्होंने रिटर्न दाखिल करने में बार-बार परेशानी, पिछले रिकॉर्ड देखने और उन्हें डाउनलोड करने या नोटिस का जवाब देने में दिक्कतें आदि शामिल हैं. वहीं आदेशों के खिलाफ अपील दायर करना भी संभव नहीं है.
पोर्टल लॉन्च होने के बाद पूरे देश में सभी पेशेवरों और आयकरदाताओं को परेशानी का सामना करना पड रहा है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी पिछले सप्ताह इस बात को माना और कहा कि काश ऐसा इस तरह से नहीं होता, लेकिन हम जल्द ही इसमें सुधार कर रहे हैं, पोर्टल योजना के मुताबिक होगा और उपयोग में आसान होगा.
इंफोसिस के गैर-कार्यकारी अध्यक्ष और इसके प्रवक्ता नंदन नीलेकणि से लोगों को पोर्टल की सभी गड़बड़ियों को ठीक करने की उम्मीद थी, लेकिन अभी तक उनसे कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी है. उनका जवाब मिलने पर उसे शामिल किया जाएगा.
आयकर बार एसोसिएशन के पूर्व सचिव हिमाद्री मुखोपाध्याय ने कहा कि वकीलों, चार्टर्ड एकाउंटेंट और आयकर पेशेवरों के समूहों से कई रिप्रेसेंटेशन फाइल किए गए हैं. उनके मुताबिक, पोर्टल में धीमी गति से सुधार हो रहा है. करीब दो महीने तक काफी मशक्कत के बाद आईटीआर फॉर्म I, II और IV को दाखिल किया जा सकता है, लेकिन वह भी बहुत मुश्किल और किस्मत के साथ. आईटीआर फॉर्म 1 का इस्तेमाल निवासी भारतीय सालाना 50 लाख रुपये तक की आय के लिए करते हैं.
आईटीआर फॉर्म 2 उन लोगों और हिंदू अविभाजित परिवार के लिए लागू होता है जिनकी आय के अलावा व्यवसाय या पेशे से अन्य इनकम भी है. ITR फॉर्म 3 उन टैक्सपेयर्स के लिए है जो आयकर अधिनियम की धारा 44AD में आय योजना के तहत रिटर्न दाखिल करते हैं.
चक्रवर्ती के मुताबिक, ई वेरिफिकेशन प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह ज्यादातर आधार और ओटीपी के बेस पर किया जाता है, लेकिन यहां भी लगातार समस्या देखने को मिल रही है. इसमें या तो ओटीपी नहीं आ रहा है, या इसमें इतना समय लग रहा है कि इसकी वैधता खत्म हो रही है. उनके मुताबिक, करीब 90 फीसदी टैक्सपेयर्स डिजिटल सिग्नेचर के बजाय आधार-ओटीपी के जरिए रिटर्न फाइल करते हैं.
आईटी रिटर्न डाउनलोड करने में असमर्थता परेशानी का एक बड़ा कारण है. क्योंकि कई लेनदेन में इसकी अक्सर जरूरत होती है. यह होम लोन जैसी साधारण चीजों के लिए आवेदन करने वाले लोगों में समस्या पैदा करता है. जहां आईटीआर आमतौर पर लोन भरने वालों द्वारा मांगा जाता है.
चक्रवर्ती के मुताबिक, पिछले वर्षों की सूचनाएं नहीं मिल सकती हैं. अगर कोई इसे ढूंढता है तो वो पेज भी नहीं मिलता है.