डिजिटल मुद्रा (digital currency) के इस्तेमाल पर चर्चाएं लगातार जोर पकड़ती जा रही हैं. फिलहाल भारत में इसका प्रचलन नहीं है. पर, एक्सपर्ट्स ये ये मानने लगे हैं कि अब देश में भी डिजिटल करेंसी की शुरूआत हो जानी चाहिए. हाल ही में पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने एक कार्यक्रम में सुझाव रखे. गर्ग ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक को भी डिजिटल करेंसी की प्रक्रिया में तेजी लानी चाहिए. उन्होंने दूसरा सुझाव दिया कि अन्य देशों के साथ मिलकर इंटरनेशनल स्तर पर भी डिजिटल करेंसी लाने के प्रयास किए जा सकते हैं. गर्ग के मुताबिक ऐसा न होने पर डिजिटल डॉलर दुनियाभर में ज्यादा प्रभावी हो जाएगा. बिजनेस स्टैंडर्ड के एक कार्यक्रम बीएस-बीएफएसआई में गर्ग ने ये विचार रखे. कार्यक्रम के दूसरे दिन वो बतौर मुख्य वक्ता बात कर रहे थे.
दूसरे दिन का विषय था कि क्या क्रिप्टोकरेंसी को अपनाने का सही समय आ चुका है. जिस पर गर्ग ने ये माना कि अब डिजिटल करेंसी का वक्त शुरू हो चुका है और भविष्य भी इसी का है. हालांकि वो निजी क्रिप्टोकरेंसी पर ज्यादा सहमत नजर नहीं आए. गर्ग ने कहा कि सरकारों को भी डिजिटल करेंसी में दिलचस्पी लेनी ही होगी. आधिकारिक डिजिटल करेंसी शुरू होने के बाद ही स्टेबल कॉइंस मजबूत होंगे. जिससे निजी करेंसी ज्यादा असरदार नहीं रह सकेंगी. बता दें कि स्टेबल कॉइंस एक तरह की ऐसी क्रिप्टोकरेंसी है जो डॉलर की कीमतों से संबद्ध होती है. ऐसे में बिटकॉइन वाला रिस्क फैक्टर स्टेबल कॉइंस में काफी हद तक कम हो जाता है.
गर्ग ने ये भी सुझाव दिया कि भारत समेत जो देश अपनी डिजिटल करेंसी विकसित कर रह हैं वो इसे कुछ अलग तरह से तैयार करें. उन्होंने कहा कि सिर्फ रिटेल, होल सेल जैसे सेक्टर्स तक समिति सीबीडीसी (Central Bank Digital Currency) तैयार करने की जह आसान और सीधी डिजाइन वाली करेंसी बनानी चाहिए. उन्होंने इसके दो ऑप्शन्स भी दिए. पहला ये कि या तो नकदी को डिमटीरियलाइज किया जाए. या फिर वही चीज तैयार करें जो मौजूदा ढांचे से मेल खाती हो.
भारत जैसे बड़ी और डाइवर्सिटी वाले देश में एकदम किसी बदलाव को लाना आसान नहीं. इसलिए पूर्व वित्त सचिव का मानना है कि नोट या भौतिक करेंसी बंद नहीं किए जा सकेंगे. लेकिन उन्होंने इसे भविष्य का प्लेटफॉर्म भी माना. क्रिप्टोकरेंसी पर बनी एक समिति का नेतृत्व कर चुके गर्ग ने कहा कि ये तकनीक मल्टी परपस होगी. इस तकनीक को अपना कर हमें आगे बढ़ने की तैयारी करनी चाहिए.
गर्ग ने इस मौके पर ये भी चेताया कि क्रिप्टो करेंसी का मूल्य तय करना बड़ी चुनौती होगी. साथ ही दूसरी करेंसी के साथ इसके लेनदेन के तरीके भी निश्चित करना आसान नहीं होगा. बिटकॉइन का नुकसान ये है कि ये सिर्फ करेंसी न रह कर सटोरियों के लाभ का एक जरिया भी बन चुकी है. नई करेंसी लॉन्च करते समय इन सब जोखिमो पर भी चर्चा करनी होगी.