Inflation: देश या दुनिया में महंगाई चरम पर है, भारतीय कंपनियों का एक समूह मुद्रास्फीति (Inflation) की चिंताओं को लेकर अपने उत्पाद की कीमतों को बढ़ाने के लिए विचार कर रहा है, जो अर्थव्यवस्था को समर्थन देने के लिए केंद्रीय बैंक से उधार ले सकता है. बिजनेस स्टैंडर्ड की खबर के अनुसार हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड, यूनिलीवर पीएलसी की भारतीय शाखा, नेस्ले इंडिया लिमिटेड की कंपनियों ने अपने उत्पादन महंगे करने की ओर इशारा किया है, तेल और ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज लिमिटेड पहले ही अपनी कीमत बढ़ा चुके हैं.
ब्रिटानिया के प्रबंध निदेशक वरुण बेरी ने इस महीने एक कांन्फ्रेंस में विश्लेषकों को बताया, इस तरह के माहौल में कीमतों में बढ़ोतरी के अलावा कोई विकल्प नहीं है. इसलिए हमने मूल्य में वृद्धि की है, जबकि कई केंद्रीय बैंकों ने भी ब्याज दरों में वृद्धि की है.
वहीं केंद्रीय बैंक मार्च 2022 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए मुद्रास्फीति को 5.3% पर समाप्त होने उम्मीद जाता रहा है. मुंबई में इनक्रेड कैपिटल के मुख्य अर्थशास्त्री जय शंकर ने कहा, कॉर्पोरेट जगत कच्चे माल की महंगाई के कारण प्रभावित चल रहा है, और अर्थव्यवस्था में सुस्ती के कारण यह आगे भी बने रहने की उम्मीद है.
ब्लूमबर्ग के अर्थशास्त्रियों ने कहा मुद्रास्फीति में और वृद्धि की संभावना है. वहीं आरबीआई अप्रैल 2022 में रिवर्स रेपो दर में भी वृद्धि कर रहा है इसके बाद फरवरी 2023 में नीतिगत रेपो दर में वृद्धि होने की संभावना है.
भारत के वरिष्ठ अर्थशास्त्री अभिषेक गुप्ता ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रशासन ने पिछले हफ्ते डीजल और गैसोलीन पर उत्पाद शुल्क में कटौती की, जिसका उद्देश्य महंगाई के दबावों को कम करना था.
IDFC फर्स्ट बैंक लिमिटेड और यस बैंक लिमिटेड के अर्थशास्त्रियों के अनुसार, इस कदम से मुद्रास्फीति को 10 से 14 आधार अंकों तक कम करने में मदद मिलेगी.
आईएचएस मार्किट के अर्थशास्त्र सहयोगी निदेशक पोल्याना डी लीमा ने कहा, भारत में कीमतों में भारी वृद्धि के बाग भी मांग पर कोई असर नहीं पड़ा है.