लगातार पांच महीनों की तेजी के बाद जून में महंगाई (Inflation) दर में गिरावट देखने को मिली है. थोक मूल्य-आधारित मुद्रास्फीति (Inflation) जून में मामूली रूप से गिरकर 12.07% पर आ गई, जो मई में 12.94% थी. इसकी वजह कच्चे तेल और खाद्य कीमतों में थोड़ी कमी आना है. WPI मुद्रास्फीति जून में लगातार तीसरे महीने दोहरे अंकों में रही, जिसका मुख्य कारण पिछले साल का आधार कम रहा.
जून 2020 में WPI मुद्रास्फीति (-) 1.81 प्रतिशत थी. विनिर्मित उत्पादों की महंगाई बनी रहने के बावजूद खाद्य पदार्थों और कच्चे तेल की कीमतों में नरमी के चलते लगातार पांच महीनों की तेजी के बाद जून में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति में नरमी आई.
इससे पहले सोमवार को खुदरा महंगाई दर के आंकड़ें जारी किए गए थे. जून के महीने में भारत की खुदरा महंगाई दर घटकर 6.26 फीसदी रही थी. मई के मुकाबले यहां भी थोड़ी राहत देखी गई. मई में खुदरा महंगाई दर 6.30 फीसदी रही थी. वहीं मई के महीने में भारत इंडस्ट्रियल आउटपुट यानी IIP में सालाना आधार पर 29.27 फीसदी की तेजी दर्ज की गई.
वाणिज्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘मुद्रास्फीति की वार्षिक दर जून 2021 (जून 2020 के मुकाबले) 12.07 प्रतिशत है, जो जून 2020 में ऋणात्मक 1.81 प्रतिशत थी.’’ बयान में कहा गया, ‘‘जून 2021 में मुद्रास्फीति की उच्च दर मुख्य रूप से कम आधार प्रभाव और पेट्रोल, डीजल (एचएसडी), नेफ्था, एटीएफ, फर्नेस ऑयल जैसे खनिज तेलों और मूल धातु, खाद्य उत्पाद, रासायनिक उत्पाद जैसे विनिर्मित उत्पादों की कीमतों में वृद्धि के कारण है.’’
समीक्षाधीन अवधि में ईंधन और बिजली की मुद्रास्फीति घटकर 32.83 प्रतिशत हो गई, जो मई में 37.61 प्रतिशत थी. इसी तरह खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति भी जून में घटकर 3.09 प्रतिशत रह गई, जो मई में 4.31 प्रतिशत थी. हालांकि, इस दौरान प्याज महंगा हुआ. विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति जून में 10.88 प्रतिशत रही, जो इससे पिछले महीने में 10.83 प्रतिशत थी.