6-7.1% की रफ्तार से बढ़ेगी भारतीय अर्थव्यवस्था: S&P

स्वस्थ कॉरपोरेट बही-खातों और अन्य संरचनात्मक सुधार होने से बैंकों का फंसा कर्ज मार्च, 2025 तक कुल अग्रिम के तीन-3.5 प्रतिशत तक घट जाएगा

GDP growth of India

GDP growth of India

GDP growth of India

वैश्विक रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ने भारत की आर्थिक वृद्धि की संभावनाएं मध्यम अवधि में मजबूत रहने का अनुमान जताते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 से लेकर 2025-26 तक देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में सालाना 6-7.1 प्रतिशत की वृद्धि होगी.

एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि स्वस्थ कॉरपोरेट बही-खातों और अन्य संरचनात्मक सुधार होने से बैंकों का फंसा कर्ज मार्च, 2025 तक कुल अग्रिम के तीन-3.5 प्रतिशत तक घट जाएगा. इसके अलावा भारत में ब्याज दरों में उल्लेखनीय वृद्धि की संभावना नहीं होने से बैंकिंग उद्योग के लिए जोखिम भी सीमित होने का अनुमान जताया गया है.

एसएंडपी की प्राथमिक ऋण विश्लेषक दीपाली सेठ छाबड़िया ने कहा, ‘असुरक्षित व्यक्तिगत ऋण तेजी से बढ़े हैं और यह फंसे कर्जों की वृद्धि में भूमिका निभा सकते हैं. लेकिन हमारा मत है कि खुदरा ऋण के लिए अंडरराइटिंग के मानक आमतौर पर अच्छे रहते हैं और इस उत्पाद श्रेणी के लिए चूक का समग्र स्तर स्वीकार्य सीमा के भीतर रहता है.’

रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक अनिश्चितताओं का भारतीय अर्थव्यवस्था पर कम असर पड़ेगा. हालांकि, धीमी वैश्विक वृद्धि और बाहरी मांग आर्थिक गतिविधियों पर असर डालेगी और मुद्रास्फीति को तेज कर सकती है. लेकिन भारत की वृद्धि घरेलू स्तर पर केंद्रित होने से उम्मीद है कि आर्थिक वृद्धि पर इसका कम असर होगा.

एसएंडपी ने कहा, ‘आर्थिक वृद्धि की गति जारी रहेगी. भारत की आर्थिक वृद्धि की संभावनाएं मध्यम अवधि में मजबूत रहनी चाहिए. वित्त वर्ष 2024-2026 में जीडीपी में सालाना 6-7.1 प्रतिशत की वृद्धि होगी.’

अप्रैल-जून, 2023 की तिमाही में भारत का वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद सालाना आधार पर 7.8 प्रतिशत बढ़ा है. जनवरी-मार्च तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 6.1 प्रतिशत रही थी. भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2023-24 और उसके बाद 2024-25 के लिए 6.5 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि का अनुमान लगाया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय स्टेट बैंक और निजी क्षेत्र के प्रमुख बैंकों ने अपनी संपत्ति-गुणवत्ता चुनौतियों का बड़े पैमाने पर समाधान किया है. हालांकि, सार्वजनिक क्षेत्र के कई बैंकों के पास अब भी अपेक्षाकृत अधिक मात्रा में कमजोर परिसंपत्तियां हैं.

Published - November 16, 2023, 04:35 IST