भारत ने अक्षय ऊर्जा के लिए खोले द्वार, केंद्र सरकार ने ‘ग्रीन डे अहेड मार्केट’ किया लॉन्च

वितरण कंपनियां अपने क्षेत्र में उत्पादित अधिशेष अक्षय ऊर्जा को बेचने में भी सक्षम होंगी.

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ग्रीन डे-फॉरवर्ड मार्केट पारंपरिक डे-अहेड मार्केट के साथ एकीकृत तरीके से काम करेगा. PC: Pixabay

ग्रीन डे-फॉरवर्ड मार्केट पारंपरिक डे-अहेड मार्केट के साथ एकीकृत तरीके से काम करेगा. PC: Pixabay

केंद्र सरकार ने सोमवार को एक नया बाजार खंड, ग्रीन डे अहेड मार्केट (जीडीएएम) लॉन्च किया. यह बिजली उत्पादन और वितरण कंपनियों को खुली पहुंच के माध्यम से अक्षय ऊर्जा खरीदने या बेचने में सक्षम करेगा.

नवीकरणीय ऊर्जा कंपनियों से बनी बिजली खरीद सकेगी डिस्कॉम

जीडीएएम के शुभारंभ के अवसर पर केंद्रीय ऊर्जा और नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर. के. सिंह ने कहा कि हम अक्षय ऊर्जा के द्वार खोल रहे हैं. आज जीडीएएम के शुभारंभ समेत सुधारों के समुच्चय में, कोई भी इच्छुक पार्टी अक्षय ऊर्जा क्षमता स्थापित कर सकती है और इसे वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) व उद्योगों को बेच सकती है.

इसके जरिए निःशुल्क इंटर-स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टटम का लाभ उपलब्घ होगा और 15 दिनों के भीतर ओपन एक्सेस प्रदान किया जाएगा. साथ ही साथ बड़े उद्योग हरित हो सकते हैं. कारोबार को आसान बनाने की हमारी कोशिशें रही हैं और जीडीएएम इस दिशा में एक कदम है.

ग्रीन हाइड्रोजन मिशन लागू करने पर किया जा रहा विचार

आगे जोड़ते हुए उन्होंने कहा कि हम जीवाश्म ईंधन के आयात पर अपनी निर्भरता को कम करना चाहते हैं. पीएम मोदी के मार्गदर्शन में इसी कड़ी में सरकार ग्रीन हाइड्रोजन मिशन लागू करने पर विचार कर रही है. इस मौके पर ऊर्जा सचिव आलोक कुमार ने कहा कि यह उत्सव का दिन है क्योंकि ऊर्जा बाजार के लिए एक अनूठा उत्पाद लांच किया गया है.

भारत जीवाश्म ईंधन से गैर-जीवाश्म ईंधन में ऊर्जा के क्षेत्र बदलाव लाने को प्रतिबद्ध

गौरतलब हो, दुनियाभर में ऊर्जा के क्षेत्र में बदलाव आ रहा है और भारत भी जीवाश्म ईंधन से गैर-जीवाश्म ईंधन में ऊर्जा के क्षेत्र बदलाव लाने को प्रतिबद्ध है. इसके अनुरूप ही ऊर्जा बाजार का डायनामिक्स बदल रहा है. खरीदार का व्यवहार भी बदल रहा है. वे लंबी अवधि के अनुबंधों से अल्पकालिक अनुबंधों और ऊर्जा बाजार की तरफ जा रहे हैं. इस प्रकार, यह नई पहल ऊर्जा के क्षेत्र में हो रहे बदलाव को सुगम बनाने में मदद करेगी.

GDAM से मिलेगा यह लाभ:

– हरित ऊर्जा बाजार को बढ़ावा मिलेगा और यह प्रतिस्पर्धी मूल्य संकेत प्रदान करेगा. इसके अलावा बाजार सहभागियों को अत्यंत पारदर्शी, लचीले, प्रतिस्पर्धी और सक्षम तरीके से हरित ऊर्जा के क्षेत्र में व्यापार करने का अवसर प्रदान करेगा.

– बाजार आधारित प्रतिस्पर्धी कीमतें अक्षय ऊर्जा उत्पादकों को बिजली बेचने के साथ-साथ नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में तेजी लाने में भी मदद करेगी जो कि भारत को एक दीर्घकालिक और ऊर्जा सक्षम अर्थव्यवस्था बनाने की सरकार परिकल्पना के अनुरूप है.

– वितरण कंपनियां अपने क्षेत्र में उत्पादित अधिशेष अक्षय ऊर्जा को बेचने में भी सक्षम होंगी. बाध्‍यकारी संस्‍थाएं (वितरण लाइसेंसधारी, ओपेन एक्सेस उपभोक्ता और कैप्टिव बिजली उपभोक्ता) भी बिजली एक्सचेंज से सीधे हरित ऊर्जा खरीदकर आरपीओ लक्ष्य को पूरा करने में सक्षम होंगे. गैर-बाध्यकारी संस्थाएं स्वैच्छिक रूप से बिजली खरीद सकेंगी और हरित ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद करेंगी.

– जीडीएएम लागू होने से एक दूरगामी प्रभाव पैदा हो सकता है, जिससे धीरे-धीरे पावर परचेज एग्रीमेंट (पीपीए) आधारित अनुबंध से बाजार-आधारित मॉडल में बदलाव देखने को मिलेगा जो कि अगले स्तर के बाजार का निर्माण करेगा और उसको बढ़ावा देगा तथा 2030 तक 450 गीगावाट हरित ऊर्जा क्षमता बनाने के भारत के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा करने का मार्ग प्रशस्त करेगा.

GDAM में हिस्सा लेने के अन्य लाभ :

– हरित ऊर्जा की कटौती में कमी, अप्रयुक्त अक्षय ऊर्जा क्षमता को अनलॉक करना, आरई जनरेटर को तत्काल यानि डिलीवरी के दिन ही भुगतान सुनिश्चित करना.

– नोडल एजेंसी के तौर पर नेशनल लोड डिस्पैच सेंटर पोसोको, ने ग्रीन डे अहेड मार्केट को सुविधाजनक बनाने के लिए नवीनतम प्रौद्योगिकी और संचार के बुनियादी ढांचे की स्थापना की है.

– ग्रीन डे-फॉरवर्ड मार्केट पारंपरिक डे-अहेड मार्केट के साथ एकीकृत तरीके से काम करेगा. एक्सचेंज बाजार भागीदारों को अलग-अलग बिडिंग विंडो के माध्यम से पारंपरिक और नवीकरणीय ऊर्जा दोनों के लिए एक साथ बोलियां जमा करने की पेशकश करेंगे.

– क्रमबद्ध तरीके से मंजूरी प्रदान की जाएगी- नवीकरणीय ऊर्जा बोलियों को पहले नवीकरणीय ऊर्जा की आवश्यक स्थिति के अनुसार मंजूरी दी जाएगी, उसके बाद परंपरागत ऊर्जा सेगमेंट की बोलियों को मंजूरी दी जाएगी. इस व्यवस्था के तहत अक्षय ऊर्जा विक्रेताओं को पारंपरिक सेगमेंट में बाद में बोली लगाने की अनुमति मिलेगी. अगर उनकी बोलियां हरित ऊर्जा बाजार में बिना मंजूरी की रह जाती हैं. इससे पारंपरिक और नवीकरणीय दोनों ऊर्जा के लिए अलग-अलग मूल्य की खोज होगी.

Published - October 26, 2021, 04:22 IST