भारत डिजिटल हो रहा है. हमारे पास कई नए युग की कंपनियां हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों में इनोवेशन कर रही हैं. वो एक कदम आगे बढ़ कर लिस्टेड हो रही हैं. Zomato की शानदार शुरुआत फिनटेक फर्म स्टोर का पोटेंशियल दिखाती हैं. लेकिन इंफोसिस के पूर्व डायरेक्टर मोहनदास पई एक खास फेक्ट पर रोशनी डालते हैं जिस पर ध्यान देना चाहिए- इस डिजिटल इकोनॉमी में भारतीय पैसा कहां है?
पई कहते हैं “ज्यादातर यूनिकॉर्न को ग्लोबल कैपिटल का समर्थन है. हमें नए जमाने की कंपनियों के लिए भारतीय पूंजी की जरूरत है. वास्तव में, भारत डिजिटल कॉलोनी बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है” पई ने इस बात की तारीफ की कि टेक्नोलॉजी स्टार्टअप में पैसा बह रहा है, लेकिन बढ़ती डिजिटल इकोनॉमी में भारतीय पैसे की कमी ने उन्हें निराश किया है.
उन्होंने कहा “पिछले छह सालों में आए 70 बिलियन डॉलर में से केवल 10 प्रतिशत भारतीय पैसा है. हम चाहते हैं कि और अधिक भारतीय पैसा आए.” पई ने कहा, “अगर हम 2025 तक टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में $150-200 बिलियन तक पहुंच जाते हैं, तो इसमें से कितनी भारतीय पूंजी होगी? शायद 25 मिलियन डॉलर. क्या इतना काफी है? इस देश में जहां सब कुछ विदेशी पूंजी पर आधारित है, वहां एक महान डिजिटल अर्थव्यवस्था बनाने का क्या मतलब है?”
पई ने लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (LIC) की तुलना कनाडा के पेंशन फंड से की. “LIC की बैलेंस शीट 35 लाख करोड़ रुपये की है. इसका कितना हिस्सा नई टेक्नोलॉजी में निवेश किया गया है? कुछ भी नहीं. इसने कुछ पुराने फंडों में करीब 1,500 करोड़ रुपये का निवेश किया है. दूसरी ओर, कनाडा के पेंशन फंड ने भारत में 10 अरब डॉलर और टेक्नोलॉजी में 2.5 अरब डॉलर का निवेश किया. वो करेंसी रिस्क ले रहे हैं. वो भारत में निवेश करने का रिस्क ले रहे हैं. लेकिन भारतीय पेंशन फंड ऐसा नहीं कर रहे हैं.”
पई ने मुंबई के बैंकरों को इसका जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा “भारत की डिजिटल दुनिया में हो रही नई वास्तविकता से मुंबई ताल से ताल नहीं मिला पा रहा है. मुंबई में सभी फंड मैनेजर वही कर रहे हैं, जो वो 20 साल पहले कर रहे थे और वो जिसमें अच्छे हैं. मुझे इससे कोई परेशानी नहीं है, लेकिन आपको नई अर्थव्यवस्था में भी निवेश करना होगा”
जोमैटो के बाद पेटीएम, पॉलिसीबाजार और मोबिक्विक जैसी कई अन्य फिनटेक कंपनियां आईपीओ लाने के लिए तैयार हैं. “बाजार में तेजी के चलते भारत में लिस्टिंग हो रही है. लेकिन, भारत में 58 यूनिकॉर्न में से, लगभग 30 भारत के बाहर सेटेल हैं. उदाहरण के लिए, फ्लिपकार्ट एक भारतीय कंपनी नहीं है. यह एक मल्टीनेशनल कंपनी है. ये यूनिकॉर्न बाहर सेटेल हैं क्योंकि इन सभी को बॉम्बे के लोगों ने विश्वास दिलाया था कि आपको भारत में पूंजी नहीं मिल सकती है.”
पई के पास दिग्गज निवेशक राकेश झुनझुनवाला के लिए एक संदेश है. वो चाहते हैं कि बिग बुल झुनझुनवाला टेक्नोलॉजी से जुड़ी कंपनियों में निवेश करें.”मैं चाहता हूं कि आप टेक्नोलॉजी में निवेश करें और आगे बढ़ें? आपको 10 अरब डॉलर का निवेश करने की जरूरत नहीं है, लेकिन कम से कम आपको इसमें निवेश करना चाहिए.” पई इक्विरस ग्रुप द्वारा आयोजित एक पैनल डिस्कशन में बोल रहे थे, जिसने पिछले सप्ताह अपनी 14वीं वर्षगांठ मनाई थी.