वैक्‍सीनेशन करने में सबसे आगे रहा भारत

टीकाकरण की तीव्र गति ने आर्थिक दृष्टिकोण पर भी अपना प्रभाव डाला है और संक्रमण फैलने की कहानी कुछ महीने पहले की तुलना में कहीं बेहतर दिखती है.

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हालांकि यह निस्संदेह यह एक टीम प्रयास है, लेकिन इसमें सरकार के तुरंत निर्णय लेने के साथ निभाई गई भूमिका को खारिज नहीं किया जा सकता है

हालांकि यह निस्संदेह यह एक टीम प्रयास है, लेकिन इसमें सरकार के तुरंत निर्णय लेने के साथ निभाई गई भूमिका को खारिज नहीं किया जा सकता है

कोविड -19 (Covid 19) के हमले ने पूरी दुनिया की नींव हिलाकर रख दी है. हर दूसरे देश की तरह, भारत ने भी महामारी के कारण आने वाले व्यवधानों से निपटने के लिए संघर्ष किया, लेकिन टीकाकरण की संख्या में सबसे आगे रहने में कामयाब रहा है और कई बाधाओं के बावजूद, 11 महीने से भी कम समय में 100 करोड़ वैक्सीन मील का पत्थर को हासिल कर लिया है.

आज राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर यह सुनिश्चित करने में अपनी सरकार की सफलता को दोहराया कि टीकाकरण अभियान बिना किसी वर्ग विभाजन के चलाया गया है. प्रधानमंत्री हमेशा यह बताते रहे हैं कि उनकी सरकार ने हमेशा एक समान अवसर सुनिश्चित करने की कोशिश की है और यह टीकाकरण अभियान उस दावे का एक मजबूत संकेत है.

टीकाकरण की तीव्र गति ने आर्थिक दृष्टिकोण पर भी अपना प्रभाव डाला है और संक्रमण फैलने की कहानी कुछ महीने पहले की तुलना में कहीं बेहतर दिखती है. जीवन के हर क्षेत्र में बाधाओं से निपटने के बाद आगे बढ़ने के लिए नागरिकों में अब उम्‍मीद है.

हालांकि यह निस्संदेह यह एक टीम प्रयास है, लेकिन इसमें सरकार के तुरंत निर्णय लेने के साथ निभाई गई भूमिका को खारिज नहीं किया जा सकता है. हालांकि इस तरह के आग्रह सोशल मीडिया पर विवाद का विषय रहे हैं, लेकिन इसने नागरिकों के एक वर्ग को टीकाकरण के अंतिम परिणाम को प्राप्त करने में मदद की है.

कोविड -19 संकट के कारण देश को बहुत नुकसान हुआ है और हालांकि शोक संतप्त परिवारों के लिए कोई भी सांत्वना पर्याप्त नहीं होगी, एक आत्मविश्वासी नेता एक देश के आपातकाल से निपटने के तरीके में फर्क करता है.

कुछ विरासत के मुद्दों पर दुनिया की चकाचौंध के साथ, इस समय अवधि में 100 करोड़ का टीकाकरण मील का पत्थर हासिल करना प्रशंसनीय है.

एक घातक महामारी को नेविगेट करने की इस यात्रा में अड़चनें आई हैं, लेकिन इतिहास इस मील के पत्थर को याद रखेगा और अन्य देश भी भारत के नागरिकों को टीका लगाने के अनुभव से सीख सकते हैं.

Published - October 23, 2021, 10:28 IST