पाम ऑयल पर आयात शुल्‍क घटने पर भी खाद्य तेलों की महंगाई से नहीं मिलेगी निजात, जानिए क्‍यों

Palm Oil Import Duty: विशेषज्ञ मानते हैं कि खाद्य तेलों में तेजी की असल वजह अंतरराष्ट्रीय बाजार में पर तिलहन फसलों के उत्पादन में गिरावट है.

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सरकार ने घरेलू बाजार में कीमतों में नरमी के लिए खाद्य तेल के व्यापारियों पर तेल के स्टॉक की सीमा तय कर दी है.

सरकार ने घरेलू बाजार में कीमतों में नरमी के लिए खाद्य तेल के व्यापारियों पर तेल के स्टॉक की सीमा तय कर दी है.

Palm Oil Import Duty: लगातार कई माह से खाद्य तेल की ऊंची कीमतों में नरमी लाने के लिए केंद्र सरकार ने पाम ऑयल पर आयात शुल्‍क में कटौती की है. हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार के इस कदम के बावजूद कई ग्‍लोबल कारणों के चलते घरेलू स्‍तर पर खाद्य तेलों की कीमतों में ज्‍यादा गिरावट नहीं आएगी. सरकार ने खाद्य तेल के उत्पादन में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होने वाले कच्चे पाम ऑयल पर आयात शुल्क की मानक दर बीते बुधवार को 15 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी कर दी है.

इस कटौती के बाद कच्चे पाम तेल पर 10 फीसदी मूल आयात शुल्क के साथ उपकर और अन्य शुल्‍कों को मिला कर प्रभावी आयात शुल्क अब 30.25 फीसदी हो गया है. साथ ही रिफाइंड पाम ऑयल पर आयात शुल्‍क को 49.5 फीसदी से घटाकर अब 41.25 फीसदी कर दिया गया है. शुल्‍क की दरों में यह कटौती 30 जून से प्रभावी हो गई है, जोकि 30 सितंबर तक लागू रहेगी.

क्‍या कहते हैं विशेषज्ञ

उम्‍मीद की जा रही है कि इस शुल्‍क कटौती के बाद लोगों को खाद्य तेल की महंगाई से तात्कालिक तौर पर कुछ राहत मिलेगी. हालांकि विशेषज्ञों की राय इसके विपरीत है. उनका मानना है कि इससे कीमतों पर कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा, क्‍योंकि खाद्य तेलों में तेजी की असल वजह अंतरराष्ट्रीय बाजार में पर तिलहन फसलों के उत्पादन में गिरावट है.

प्रमुख तिलहन उत्‍पादक देशों में इस बार फसल कमजोर रहने से मांग और आपूर्ति में काफी अंतर बना हुआ है. अमेरिका और ब्राजील सूखे के कारण सोयाबीन की आपूर्ति घटने के कारण ऐसा हुआ है. दूसरी ओर पाम ऑयल का इस्तेमाल बायो फ्यूल बनाने काफी ज्यादा होने के चलते उसकी उपलब्‍धता भी घट गई है. इन्ही वजहों के चलते ग्‍लोबल स्‍तर पर कीमतों में तेजी बनी हुई है.

क्‍या हैं ग्‍लोबल वजहें

विशेषज्ञ बताते हैं कि ग्‍लोबल बाजार में तिलहन की आपूर्ति कम रहने की वजह से ही भारत में इस बार सरसों की बंपर पैदावार होने के बावजूद उसकी कीमतें ऊंची बनी हुई हैं और बाजार में सरसों की शॉर्टेज चल रही है. आशंका जताई जा रही है कि ऊंची कीमतों पर निर्यात के लिए घरेलू बाजार से भारी मात्रा सरसों खरीद कर जमा की जा रही है.

इस कारण अच्‍छी फसल के बावजूद सरसों के तेल के दाम नीचे नहीं आए हैं और यह आगे भी जारी रह सकता है. खाद्य तेल उत्‍पादकों के संगठन सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के कार्यकारी निदेशक बीवी मेहता के मुताबिक रिफाइंड पाम ऑयल पर आयात शुल्क में घटाए जाने का घरेलू कीमतों पर ज्यादा असर नहीं होगा, क्योंकि हमारे देश में रिफाइंड ऑयल का आयात काफी कम होता है.

अन्‍य विशेषज्ञ बताते हैं कच्‍चे पाम तेल यानी क्रूड पाम ऑयल पर शुल्‍क कटौती का भी कोई विशेष लाभ नहीं मिलेगा, क्‍योंकि भारत में जो क्रूड ऑयल आयात किया जाता है उसे दो बार रिफाइंड करना पड़ता है, जिससे उसकी लागत बढ़ जाती है.

Published - July 3, 2021, 06:07 IST