पिछले 11 महीनों में पहली बार मैन्युफैक्चरिंग में आई गिरावट

Manufacturing PMI: ये सूचकांक जुलाई 2020 के बाद पहली बार 50 अंक से नीचे गिर गया. 50 से नीचे का आंकड़ा मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में संकुचन को दर्शाता

Economic Activities, ECONOMIST ADITI NAYAR, COVID, FUEL CONSUMPTION, LOCKDOWN

रेटिंग एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में कारोबारी गतिविधियों पर लगाई गई रोक को वापस लेने के बाद जुलाई 2021 में विभिन्न उच्च आवृत्ति वाले औद्योगिक और सेवा क्षेत्र के संकेतकों, आवाजाही और टोल संग्रह में सुधार देखने को मिला है.

रेटिंग एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में कारोबारी गतिविधियों पर लगाई गई रोक को वापस लेने के बाद जुलाई 2021 में विभिन्न उच्च आवृत्ति वाले औद्योगिक और सेवा क्षेत्र के संकेतकों, आवाजाही और टोल संग्रह में सुधार देखने को मिला है.

COVID-19 Impact: कोरोना वायरस के मामलों में बढ़ोतरी और स्थानीय स्तर पर सख्त प्रतिबंधों के चलते विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियों में 11 महीनों में पहली बार जून में गिरावट हुई, जिसके चलते बड़ी संख्या में लोगों की नौकरी छूट गईं. मौसमी रूप से समायोजित आईएचएस मार्किट (IHS Markit) इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (Manufacturing PMI) जून में घटकर 48.1 रह गया, जो मई में 50.8 था.

PMI में गिरावट

यह सूचकांक जुलाई 2020 के बाद पहली बार 50 अंक से नीचे गिर गया. पीएमआई की भाषा में 50 से ऊपर अंक का अर्थ है गतिविधियों में विस्तार, जबकि 50 से नीचे का अंक संकुचन को दर्शाता है.

ताजा आंकड़ों से कारखानों के ऑर्डर, उत्पादन, निर्यात और खरीद में नए सिरे से संकुचन का पता चलता है. इसके अलावा समीक्षाधीन महीने के दौरान व्यापार आशावाद में कमी आई, तथा लोगों का बेरोजगारी का सामना भी करना पड़ा.

ग्लोबल डिमांड में गिरावट

कोविड-19 प्रतिबंधों ने भारतीय सामानों की अंतरराष्ट्रीय मांग को भी कम कर दिया और दस महीनों में पहली बार नए निर्यात ऑर्डर में कमी आई,

आईएचएस मार्किट की आर्थिक संयुक्त निदेशक पॉलियाना डी लीमा ने कहा, ‘‘भारत में कोविड-19 के प्रकोप का विनिर्माण अर्थव्यवस्था पर हानिकारक प्रभाव पड़ा. जून में नए ऑर्डर, उत्पादन, निर्यात और खरीद बाधित हुई.’’

लीमा ने हालांकि कहा कि सभी लिहाज से संकुचन की दर पहले लॉकडाउन की तुलना में कम थी.

Published - July 1, 2021, 01:11 IST