कोविड से 2020-21 में इतने लोग हो गए बेरोजगार, ये हैं EPFO के चौंकाने वाले आंकड़े

अप्रैल 2020 और मार्च 2021 के बीच EPFO के नए मेंबर्स और सब्सक्रिप्शन रोकने वाले सदस्यों की संख्या के बीच का अंतर 12.34 लाख रहा है.

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REPRESENTED IMAGE: महाराष्ट्र, हरियाणा, गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक अभी भी पेरोल एडिशन में सबसे आगे हैं और महीने के दौरान लगभग 7.78 लाख सब्सक्राइबर जुड़े हैं. यह सभी ऐज ग्रुप में टोटल नेट पेरोल एडिशन का लगभग 60.61 प्रतिशत है.

REPRESENTED IMAGE: महाराष्ट्र, हरियाणा, गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक अभी भी पेरोल एडिशन में सबसे आगे हैं और महीने के दौरान लगभग 7.78 लाख सब्सक्राइबर जुड़े हैं. यह सभी ऐज ग्रुप में टोटल नेट पेरोल एडिशन का लगभग 60.61 प्रतिशत है.

मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटिस्टिक्स एंड प्रोग्राम के एंप्लॉयीज प्रॉविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन (EPFO) के हालिया जारी आंकड़ों में संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए मिलेजुले रुझान देखने को मिले हैं.

आंकड़ों से पता चल रहा है कि वित्त वर्ष 2020-21 में हाल के कुछ वर्षों में पहली दफा ऐसा हुआ है कि योगदान बंद करने वाले EPFO सदस्यों की संख्या नए सब्सक्राइबर्स के मुकाबले बढ़ गई है. जिन लोगों का योगदान बंद हुआ है, उसका मतलब ये है कि इन लोगों की या तो नौकरियां खत्म हो गई हैं या फिर ये रिटायर हो गए हैं.

नई नौकरियां घटीं

अप्रैल 2020 और मार्च 2021 के बीच EPFO के नए मेंबर्स और सब्सक्रिप्शन रोकने वाले सदस्यों की संख्या के बीच का अंतर 12.34 लाख रहा है.

नए मेंबर ऐसे लोग हैं जिन्होंने पहली दफा EPFO में नामांकन कराया है और ऐसे में इनसे नई नौकरियों का पता चल रहा है. दूसरी ओर, जिन लोगों ने सब्सक्रिप्शन बंद कर दिया है वे ऐसे लोग हैं जिनकी या तो नौकरी चली गई है या वे रिटायर हो गए हैं.

EPF ऐसे संस्थानों पर लागू होता है जहां पर 20 या उससे ज्यादा वर्कर्स हैं. इसे अर्थव्यवस्था का संगठित सेक्टर भी कहा जाता है.

पहली दफा संख्या घटी

कोविड की वजह से 2020-21 हालिया वर्षों में पहला ऐसा साल हो गया है जबकि EPF सदस्यों की संख्या में होने वाली गिरावट इससे जुड़ने वाले नए सदस्यों के मुकाबले ज्यादा रही है. यह सीधे तौर पर नई नौकरियों में हो रही गिरावट को दिखा रहा है.

इसी अवधि में EPF से एग्जिट कर चुके और इससे फिर से जुड़ने वाले सब्सक्राइर्स की संख्या 89.42 लाख रही है.

सरकार द्वारा जबसे ये आंकड़े दिया जाना शुरू हुआ है तबसे हमेशा EPFO में जुड़ने वाले नए सदस्य सब्सक्रिप्शन बंद करने वालों से ज्यादा रहे हैं. लेकिन, 2020-21 में ये ट्रेंड पलट गया है.

क्या कहते हैं आंकड़े?

मिसाल के तौर पर, सितंबर 2017 और मार्च 2018 सब्सक्रिप्शन बंद करने वालों के मुकाबले नए सदस्यों की संख्या 7,29,615 ज्यादा थी.

2018-19 में नए जुड़ने वाले सदस्यों की संख्या 1,39,44,349 थी, जबकि सब्सक्रिप्शन रोकने वालों का आंकड़ा 16,47,408 था. इस तरह से 1,22,96,941 नई नौकरियां पैदा हुईं.

2019-20 में नए मेंबर्स की संख्या सब्सक्रिप्शन छोड़ने वालों के मुकाबले 43,769 ज्यादा थी. इस आंकड़े से साफ जाहिर होता है कि इस दौरान नई नौकरियों में भारी गिरावट आई है.

2020-21 के दौरान पहली दफा नए मेंबर्स की संख्या इसे छोड़ने वालों के मुकाबले कम रही है.

रिकवरी की उम्मीद

हालांकि, कोविड की दूसरी लहर से बुरी तरह से प्रभावित हुए अप्रैल 2021 में नए EPFO सदस्यों की संख्या सब्सक्रिप्शन रोकने वालों के मुकाबले बढ़ी है. इस दौरान 6,89,403 नए सदस्य जुड़े हैं, जबकि इसे छोड़ने वालों की तादाद 2,66,128 रही है.

साथ ही, करीब 8,52,454 सदस्य ऐसे भी हैं जो EPFO छोड़ चुके थे और इस अवधि में वे दोबारा इससे जुड़े हैं. यानी ये ऐसे लोग हैं जिन्हें संगठित सेक्टर में एक बार फिर से काम मिला है.

दोबारा जुड़ने वालों का आंकड़ा बढ़ा

आश्चर्यजनक तौर पर गुजरे 3 साल में ऐसे लोगों की संख्या में इजाफा हुआ है जो पहले EPFO छोड़ चुके थे और फिर से इससे जुड़े हैं.

सितंबर 2017-मार्च 2018 की अवधि में ये संख्या 8,23,325 रही है, जबकि 2018-19 में ये तादाद बढ़कर 44,64,815 रही है.

इसके बाद 2019-20 में EPFO से फिर से जुड़ने वालों की संख्या 75 फीसदी बढ़कर 78,14,625 पर आ गई.

कोविड के दौरान यानी 2020-21 में ऐसे सदस्यों की तादाद 14.43 फीसदी बढ़कर 89,42,514 पर पहुंच गई.

असंगठित क्षेत्र के हालात हुए खराब

कोविड की वजह से लगाए गए लॉकडाउन के चलते असंगठित क्षेत्र को इस दौरान सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है.

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी का अनुमान है कि इस साल फरवरी से मई के बीच असंगठित सेक्टर में 2.53 करोड़ नौकरियां खत्म हुई हैं.

Published - June 28, 2021, 12:03 IST