हर वित्त मंत्री का यही सपना होता है कि टैक्सपेयर्स ईमानदार हों. एक बड़ी हद तक ज्यादातर कल्याणकारी स्कीमें इन्हीं पर टिकी होती हैं. इन्हीं कल्याणकारी योजनाओं से सरकारों की लोकप्रियता तय होती है और आखिरकार आबादी के एक बड़े तबके तक खुशहाली पहुंचने का रास्ता साफ होता है. अगर ईमानदार और जागरूक टैक्सपेयर्स बड़ी तादाद में मौजूद होंगे तो इनसे सरकार को अपनी भूमिका अच्छी तरह निभाने में मदद मिलती है. इनकी वजह से सरकार को कम कर्ज लेना पड़ता है और देश फाइनेंशियल स्ट्रेस से बचता है और देश की क्रेडिट रेटिंग भी गिरने से बचती है. कुल मिलाकर, एक ईमानदार टैक्सपेयर देश के भविष्य को गढ़ने में एक अहम भूमिका निभाता है.
यह खुशी की बात है कि देश का डायरेक्ट और इनडायरेक्ट दोनों तरह का टैक्स कलेक्शन बढ़ रहा है. साथ ही कोविड की दूसरी लहर के दौरान भी इसमें इजाफा हुआ है. मौजूदा फाइनेंशियल ईयर में, डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन इस साल 15 जून तक 100.4 फीसदी ज्यादा रहा. यहां तक कि कोविड से बुरी तरह से प्रभावित वित्त वर्ष 2020-21 में भी नेट डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन में इजाफा देखा गया है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी ईमानदार टैक्सपेयर्स को बधाई दी है और कहा है कि इनके योगदान को मान्यता मिलनी चाहिए. अहम बात ये है कि ईमानदार टैक्सपेयर्स को रिवॉर्ड मिलना चाहिए. इनकम टैक्सपेयर गुजरे कुछ वक्त से टैक्स स्लैब्स को घटाए जाने का इंतजार कर रहे हैं.
गुजरे 18 महीने हर किसी के लिए बेहद मुश्किल वाले रहे हैं. नौकरियां गई हैं और आमदनी में कटौती हुई है. इस झटके से अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए कंज्यूमर खर्च को बढ़ाने की सलाह हर जानकार देता है.
अगर टैक्स स्लैब नीचे लाए जाएंगे तो इससे आम लोगों के हाथ में ज्यादा पैसा बचेगा और वे इस पैसे का इस्तेमाल वस्तुओं और सेवाओं की खरीदारी पर करेंगे.
साथ ही ये भी महत्वपूर्ण है कि घटी हुई दरों से ज्यादा से ज्यादा लोग टैक्स देने के लिए उत्साहित होंगे और इससे टैक्स कलेक्शन में और इजाफा होगा.