भारत का कृषि उत्सर्जन चीन से भी ज्यादा, ब्राजील तीसरे स्थान पर

वैश्विक ग्रीन हाउस उत्सर्जन में भारत का कृषि और उससे संबंधित गतिविधियों में 12 प्रतिशत का योगदान है. निश्चित ही ये एक चिंता का विषय है.

around 70 percent agricultural families have less than 1 hectare land, 8.2 percent landless

इन आंकड़ों की ओर देखकर यह कहा जा सकता है कि भारत ने यहां भी चीन को पीछे छोड़ दिया है. 2011 में चीन यहां शीर्ष स्थान पर था

इन आंकड़ों की ओर देखकर यह कहा जा सकता है कि भारत ने यहां भी चीन को पीछे छोड़ दिया है. 2011 में चीन यहां शीर्ष स्थान पर था

देश में 2015 के बाद से कृषि उत्सर्जन की वृद्धि दर (Growth rate of Agri Emission) में तेजी आई है. यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि हाल ही में हुए सर्वे के बाद इस बात का खुलासा हुआ है. बिजनेस स्टैंडर्ड की खबर के अनुसार क्लाइमेट एनालिसिस इंडिकेटर्स टूल (climate analysis indicators tool-CAIT) के 1990 से 2018 तक के आंकड़ों का बिजनेस स्टैंडर्ड के द्वारा किए विश्लेषण से ज्ञात हुआ कि कृषि उत्सर्जन के मामले में भारत शीर्ष स्थान पर पैर जमाए हुए है. वैश्विक ग्रीन हाउस उत्सर्जन में भारत का कृषि और उससे संबंधित गतिविधियों में 12 प्रतिशत का योगदान है. निश्चित ही ये एक चिंता का विषय है.

खबर के अनुसार वैश्विक ग्रीन हाउस उत्सर्जन में ब्राजील से 30 प्रतिशत और चाइना से 7 प्रतिशत का योगदान प्राप्त हुआ है. यानी चीन कृषि उत्सर्जन के मामले में दूसरे और ब्राजील तीसरे स्थान पर है. अगर मात्रा के हिसाब से देखा जाए तो भारत की तरफ से किया जाने वाला कृषि उत्सर्जन 71.9 करोड़ टन कार्बनडाईऑक्साइड के बराबर था. वहीं चीन पर नजर डालें तो उसने 67.3 करोड़ टन कार्बनडाईऑक्साइड के बराबर उत्सर्जन किया. इन आंकड़ों की ओर देखकर यह कहा जा सकता है कि भारत ने यहां भी चीन को पीछे छोड़ दिया है. 2011 में चीन यहां शीर्ष स्थान पर था.

साल 2018 में 1.3 फीसदी था उत्सर्जन

क्लाइमेट एनालिसिस इंडिकेटर्स टूल के आंकड़ों से पता चलता है कि कृषि उत्सर्जन की वृद्धि दर 2015 से लगातार बढ़ती जा रही है. साल 2016 में यह 0.5 प्रतिशत और 2017 में 0.83 प्रतिशत थी यानी की हर साल इसमें वृद्धि हुई है. भारत के कुल उत्सर्जन में भले ही कृषि की हिस्सेदारी घटी हो लेकिन 2009 से 2018 के बीच इसकी हिस्सेदारी 20 प्रतिशत से थोड़ी ऊपर रही है जबकि इससे पूर्व योगदान एक तिहाई की लगभग हुआ करता था. साल 2018 में उत्सर्जन 1.3 प्रतिशत दर्ज किया था .

2018 के बाद भी कृषि उत्सर्जन में रही होगी वृद्धि

मामले से जुड़े जानकारों का कहना है कि साल 2018 के बाद आंकड़े अभी तक प्राप्त नहीं हुए लेकिन एक बात जरूर है आगे भी उत्सर्जन में बढ़त ही रही होगी. दरअसल चावल की खेती में अच्छा इजाफा देखा गया है. कृषि उत्सर्जन में चावल की खेती की हिस्सेदारी 18 प्रतिशत रहती है. अगस्त में जारी हुए अनुमानित आंकड़ों से पता चला है कि वर्ष 2020-21 में चावल का उत्पादन 12.227 करोड़ टन रहेगा जो पिछले 5 साल के औसत उत्पादन से 8.7 प्रतिशत अधिक है.

Published - November 15, 2021, 12:02 IST