सरकार स्वास्थ्य (Health Sector) सेवाओं पर खूब खर्च कर रही है. नेशनल हेल्थ अकाउंट यानी भारत के राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा (NHA) द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक स्वास्थ्य क्षेत्र (Health Sector) में हुए कुल खर्चों में सरकार का खर्च वर्ष 2013-14 की तुलना में 2017-18 में बढ़कर 40.8 फीसदी हो गया है.साल 2013-14 में ये खर्च 28.6% था. टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वास्थ्य पर सरकारी खर्च 2013-14 में 3.7% था जो 2017-18 में बढ़कर 5.1% हो गया. एनएचए (राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण) की रिपोर्ट में साफ होता है कि कुल जीडीपी (GDP) में सरकार का स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च बढ़ा है. सरकार ने 2017-18 में कुछ जीडीपी (GDP) का 1.3 फीसदी हिस्सा स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च किया है. जो पिछले वित्तीय वर्ष 2013-14 में 1.15 प्रतिशत था.
मंत्रालय के अनुसार 2017-18 के दौरान स्वास्थ्य पर सामाजिक सुरक्षा खर्च भी बढ़ा है, जिसमें स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रम, सरकार द्वारा वित्तपोषित स्वास्थ्य बीमा योजनाएं और सरकारी कर्मचारियों को किए गए चिकित्सा प्रतिपूर्ति शामिल हैं. कुल स्वास्थ्य खर्च में हिस्सेदारी देखी जाए तो साल 2013-14 में 6 प्रतिशत, 2016-17 में 7.3 प्रतिशत और 2017-18 में 9 प्रतिशत हो गई है.
स्वास्थ्य सेवाओं पर अपनी जेब से होने वाले खर्च में भी कमी आई है. आंकड़ों पर नजर डालें तो 2017-18 में स्वास्थ्य पर जेब से होने वाले खर्च 48.8%, 2016-17 में 58.7% और 2013-14 में 64.2% था. वहीं स्वास्थ्य के लिए विदेशी मदद पिछले वर्ष की तुलना में 0.6% से घटकर 0.5% रह गई, जो सरकार की आत्मनिर्भर नीति को दर्शाता है. वर्ष 2017-18 में स्वास्थ्य सेवा पर सार्वजनिक व्यय में वृद्धि का सुझाव दिया गया था, जिसके कारण 2017-18 में प्रति व्यक्ति जेब खर्च घटकर 2,097 रुपये हो गया है, जो वर्ष 2013-14 में 2,336 रुपये था.
रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा सरकारी खर्च में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा का हिस्सा 2017-18 में बढ़कर 54.7% हो गया, जो वर्ष 2013-14 में 51.1 फीसदी था. रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार के स्वास्थ्य क्षेत्र में जिस प्रकार का इजाफा हो रहा है. वह सही दिशा में जा रहा है. क्योंकि स्वास्थ्य सेवाओं पर जोर दिया जा रहा है.