चीनी के निर्यात और गन्ना किसानों के समय पर भुगतान को लेकर सरकार सजग

केंद्र सरकार ने चीनी के 60 एलएमटी निर्यात को सुगम बनाया और इसके लिए 6,000 रुपये प्रति एमटी की दर से सहायता उपलब्ध कराई.

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KCC कर्ज के लिए नोटिफाई फसल/क्षेत्र, फसल बीमा के अंतर्गत कवर किए जाते हैं. प्रथम वर्ष के लिए कर्ज की मात्रा कृषि लागत, फसल के बाद खर्च के आधार पर निर्धारित किया जाएगा.

KCC कर्ज के लिए नोटिफाई फसल/क्षेत्र, फसल बीमा के अंतर्गत कवर किए जाते हैं. प्रथम वर्ष के लिए कर्ज की मात्रा कृषि लागत, फसल के बाद खर्च के आधार पर निर्धारित किया जाएगा.

भारत सरकार बीते कई वर्षों से गन्ना किसानों (Farmers) के गन्ना बकाये का समयबद्ध भुगतान सुनिश्चित करने और कृषि अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरप्लस चीनी के निर्यात और चीनी को इथेनॉल में परिवर्तित करने को प्रोत्साहन देने के लिए सक्रियता के साथ कदम उठा रही है. पिछले कुछ वर्षों में, देश में चीनी का उत्पादन घरेलू खपत से ज्यादा रहा है. केन्द्र सरकार चीनी मिलों की सरप्लस चीनी को इथेनॉल में परिवर्तित करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है और चीनी के निर्यात को सहज बनाने के लिए चीनी मिलों को वित्तीय प्रोत्साहन उपलब्ध करा रही है, ताकि उनकी लिक्विडिटी की स्थिति में सुधार हो और उन्हें गन्ना किसानों (Farmers) के गन्ना मूल्य के समयबद्ध भुगतान में सक्षम बनाया जा सके.

केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार बीते तीन वर्षों 2017-18, 2018-19 और 2019-20 में क्रमशः लगभग 6.2 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी), 38 एलएमटी और 59.60 एलएमटी चीनी का निर्यात किया गया. इसके अलावा वर्तमान चीनी सत्र 2020-21 (अक्टूबर-सितंबर) में, केंद्र सरकार ने चीनी के 60 एलएमटी निर्यात को सुगम बनाया और इसके लिए 6,000 रुपये प्रति एमटी की दर से सहायता उपलब्ध कराई.

जानकारी के लिए बता दें कि 60 एलएमटी के निर्यात लक्ष्य की तुलना में, लगभग 70 एलएमटी के अनुबंधों पर हस्ताक्षर हो चुके हैं. चीनी मिलों से 60 एलएमटी से ज्यादा चीनी का उठान हो चुका है और 16.08.2021 तक 55 एलएमटी से ज्यादा का निर्यात हो चुका है.

चीनी मिलों को प्रोत्साहित करेगी सरकार

बीते एक माह में चीनी के अंतर्राष्ट्रीय मूल्य में खासी बढ़ोतरी हुई है और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारतीय रॉ शुगर(कच्ची चीनी) की मांग खासी ज्यादा है. इसे देखते हुए उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने सभी चीनी मिलों के लिए परामर्श जारी किया है कि आगामी चीनी सत्र 2021-22 की शुरुआत से ही रॉ शुगर के उत्पादन की योजना बनाई जानी चाहिए और चीनी के ऊंचे अंतर्राष्ट्रीय मूल्य व वैश्विक कमी का फायदा लेने के लिए आयातकों के साथ अग्रिम अनुबंध करने चाहिए.

इसके अलावा चीनी का निर्यात और चीनी से इथेनॉल बनाने वाली चीनी मिलों को घरेलू बाजार में बिक्री के लिए अतिरिक्त मासिक घरेलू कोटा के रूप में प्रोत्साहन भी दिया जाना चाहिए.

पिछले तीन चीनी सत्रों का हाल

पिछले 3 चीनी सत्रों में चीनी मिलों/ डिस्टिलरियों ने तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) को इथेनॉल की बिक्री से लगभग 22,000 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया है. वर्तमान चीनी सत्र 2020-21 में, चीनी मिलों द्वारा ओएमसी को इथेनॉल की बिक्री से लगभग 15,000 करोड़ रुपये का राजस्व मिल रहा है, जिससे चीनी मिलों को गन्ना किसानों के बकाये का समय से भुगतान करने में सहायता मिली है. पिछले चीनी सत्र 2019-20 में, लगभग 75,845 करोड़ रुपये के देय गन्ना बकाये में से 75,703 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया और सिर्फ इस दौरान सिर्फ 142 करोड़ रुपये का बकाया लंबित रहा.

हालांकि, वर्तमान चीनी सत्र 2020-21 में, चीनी मिलों द्वारा लगभग 90,872 करोड़ रुपये के गन्ने की खरीद की गई जो अभी तक का रिकॉर्ड है. इसमें से लगभग 81,963 करोड़ रुपये के गन्ना बकाये का किसानों को भुगतान कर दिया गया और 16.08.2021 तक प्राप्त सरकारी आंकड़ों के अनुसार सिर्फ 8,909 करोड़ रुपये का गन्ना बकाया लंबित है.

2024-25 तक 60 एलएमटी चीनी को एथेनॉल में किया जायेगा परिवर्तित

वर्तमान चीनी सत्र 2020-21 में, 20 एलएमटी से एथेनॉल बनाए जाने का अनुमान है. आगामी चीनी सत्र 2021-22 में, लगभग 35 एलएमटी चीनी को परिवर्तित किए जाने का अनुमान है और 2024-25 तक 60 एलएमटी चीनी को एथेनॉल में परिवर्तित करने का अनुमान है, जिससे अतिरिक्त गन्ना/ चीनी के साथ ही देरी से भुगतान की समस्या का भी समाधान हो जाएगा और गन्ना किसानों को तत्काल भुगतान मिल जाएगा.

गन्ना किसानों का तेजी से हो रहा भुगतान

निर्यात और गन्ने से इथेनॉल बनाने में बढ़ोतरी से किसानों को गन्ना मूल्य भुगतान में तेजी आई है. अधिकतम चीनी से एथेनॉल बनाने और अधिकतम चीनी के निर्यात से चीनी मिलों की तरलता में सुधार में मिलेगी, जिससे वे किसानों के गन्ना बकाये का समय से भुगतान करने में सक्षम होंगी, बल्कि इससे घरेलू बाजार में चीनी की एक्स-मिल कीमतों में स्थिरता भी आएगी। इससे चीनी मिलों के राजस्व में सुधार होगा और सरप्लस चीनी की समस्या का भी समाधान होगा. मिश्रण के स्तर में सुधार के साथ, फोसिल ईंधन के आयात पर निर्भरता में कमी आएगी और वायु प्रदूषण में भी कमी आएगी, जिससे देश की कृषि अर्थव्यवस्था में भी सुधार होगा.

Published - August 23, 2021, 02:01 IST