स्टाफिंग फर्मों के एक समूह के अनुसार आगामी त्योहारी सीजन में अस्थायी कर्मचारियों की भर्ती (गिग इकनॉमी) में 20 से 30% की बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है. ये भर्तियां मुख्य रूप से ई-कॉमर्स, फूड-टेक, लॉजिस्टिक्स और रिटेल सेगमेंट की कंपनियों द्वारा की जाएंगी. त्योहारों के दौरान उनके छूट और आकर्षक ऑफर के कारण मांग में वृद्धि को पूरा करने के लिए ये भर्तियां की जाएंगी. स्टाफिंग फर्म एडेको, रैंडस्टैड, मैनपावर, क्वेस, सीआईईएल एचआर सर्विसेज और टीमलीज ने बताया कि इन सभी सेक्टर्स की ज्यादातर कंपनियां त्योहारी सीजन को लेकर आशावादी हैं. कंपनियों को फेस्टिव सीजन में मांग में बढ़ोतरी होने और नई ग्राहकी आने की उम्मीद है, जिसे देखते हुए ये भर्तियां की जा रही हैं.
मांग बढ़ने के साथ ही भर्ती में आ रही तेजी
डिलीवरी, लॉजिस्टिक, वेयरहाउस, सॉर्टिंग और पैकिंग जैसे सेगमेंट में कर्मचारियों की मांग बढ़ने की उम्मीद है. विशेषज्ञों का मानना है कि यदि COVID-19 की खतरनाक तीसरी लहर की आशंका को यदि टाला जा सका तो ‘लास्ट माइल’ यानी सबसे निचले स्तर पर श्रमिकों की भर्ती में 35% तक की वृद्धि हो सकती है. 2020 के त्योहारी सीजन के दौरान, ई-कॉमर्स दिग्गज फ्लिपकार्ट, अमेज़न और मिंत्रा ने कुल 1.70 लाख लोगों को काम पर रखा था. उन्होंने पुष्टि की है कि वे इस साल भी ऐसा ही करने जा रहे हैं, ताकि त्योहारी खरीदारी में उछाल के लिए खुद को तैयार कर सकें. फ्लिपकार्ट ने मार्च-मई के बीच ही देश भर में पहले ही 23,000 से अधिक लोगों को काम पर रखा है.
इन सेक्टरों में सबसे ज्यादा तेजी
रिटेल सेक्टर और मनोरंजन, ट्रेवल्स व पर्यटन, ऑटोमोबाइल, होटल और आतिथ्य (हॉस्पिटैलिटी) जैसे कुछ सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में महामारी की शुरुआत के बाद पहली बार भर्तियों में सुधार के संकेत देख रहे हैं. एक्सफेनो द्वारा संकलित आंकड़ों से पता चलता है कि जुलाई में इन क्षेत्रों द्वारा 12,000 से अधिक रोजगार के अवसरों की घोषणा की गई. इस डेटा में लिंक्डइन और अन्य प्रमुख कंपनी जॉब बोर्ड पर निकाली गई नौकरियां भी शामिल हैं. जुलाई में एक्टिव वेकेंसीज की कुल संख्या 2,90,000 थी.
इस साल जुलाई में निकाली गई भर्तियों की संख्या पिछले साल की तुलना में दोगुनी रही. फुल टाइम जॉब इस दौरान 2.70 लाख पर पहुंच गईं, जोकि 18 महीने के उच्चतम स्तर है. इनमें सबसे ज्यादा वेकेंसियां बेंगलुरु, मुंबई, दिल्ली, चेन्नई और हैदराबाद जैसे बड़े मेट्रो शहरों में पोस्ट की गईं. इन मेट्रो शहरों के बाहर 1.65 लाख के करीब नौकरियां उपलब्ध थीं.