Foreign Listing: भारत सरकार ओवरसीज एक्सचेंज पर लिस्ट होने वाली डोमेस्टिक कंपनियों के केवल बड़े फॉरेन शेयरहोल्डर्स पर टैक्स लगा सकती है. ओवरसीज लिस्टिंग से बड़े भारतीय स्टार्टअप को फॉरेन एक्सचेंजों पर अच्छे वैल्यूएशन पर धन जुटाने में मदद मिलने की उम्मीद है, जहां मांग अधिक हो सकती है. FY23 के केंद्रीय बजट में इस पर विस्तृत रूपरेखा की घोषणा की उम्मीद है. भारतीय कंपनियों की ओवरसीज डायरेक्ट लिस्टिंग की अनुमति देने का निर्णय मार्च 2020 में घोषित किया गया था, लेकिन इसके बाद कोई फॉलो-अप एक्शन नहीं लिया गया.
इकोनॉमिक टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में इस मामले से जुड़े लोगों के हवाले से लिखा, ‘ओवरसीज एक्सचेंज पर लिस्ट होने वाली डोमेस्टिक कंपनियों के फॉरेन शेयरहोल्डर्स पर टैक्स लगाने के लिए कम से कम दो स्ट्रक्चर या मैकेनिज्म विचाराधीन हैं. पहला स्ट्रक्चर सभी विदेशी शेयरधारकों को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स से छूट देने का है जिनके पास 10% तक होल्डिंग है. दूसरा स्ट्रक्टर, लिस्ट होने से पहले शेयरों को रखने वाले सभी लोगों पर टैक्स लगाने का है, जब वे अपने इन्वेस्टमेंट से एग्जिट करेंगे.
एक सरकारी अधिकारी ने कहा,’मंत्रालयों और नियामक स्तरों पर कई विचार-विमर्श हुए हैं. इसका मकसद भारत में वैल्यू क्रिएशन में मदद करना है, लेकिन ये भी ध्यान रखा जा रहा है कि स्थिति वोडाफोन जैसी न बने.’ 2007 में, वोडाफोन इंटरनेशनल होल्डिंग्स ने विदेश में एक्जीक्यूट एक डील में भारतीय दूरसंचार ऑपरेटर हचिसन एस्सार को खरीदा था. सरकार ने ट्रांजैक्शन पर टैक्स लगाने के लिए इनकम टैक्स कानून में विवादास्पद रूप से संशोधन किया था. सरकार ने हाल ही में इस प्रावधान को निरस्त कर दिया और मामलों को निपटाने की प्रक्रिया में है.
वहीं, भारतीय संपत्तियों के इनडायरेक्ट ट्रांसफर पर टैक्स लगाने के लिए एक स्पष्ट व्यवस्था प्रदान की गई है. किसी भारतीय कंपनी में कोई भी विदेशी शेयरधारक जो 5% तक होल्डिंग रखता है, यहां बिना टैक्स चुकाए ऑफशोर सेल कर सकता है. सूत्रों के अनुसार, विदेशों में लिस्टेड कंपनियों के लिए समान ढांचा लागू किया जा सकता है और ट्रांसफर, लिस्टेड या अनलिस्टेड सभी मामलों में सीमा को 10% तक संशोधित किया जा सकता है.