आपको यह जानकारी तो होगी कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड स्तर पर है. लेकिन मोदी सरकार के 10 साल के कार्यकाल में विदेशी मुद्रा भंडार कितना बढ़ा और मोदी सरकार से पहले के मनमोहन सरकार के 10 साल में फॉरेक्स रिजर्व में कितनी ग्रोथ आई थी. अगर यह जानना है पढ़िए ये पूरी रिपोर्ट.
विदेशी मुद्रा भंडार
शुक्रवार शाम को रिजर्व बैंक ने देश के विदेशी मुद्रा भंडार के आंकड़े जारी किए हैं. रिजर्व बैंक ने बताया कि विदेशी मुद्रा भंडार 648.7 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुका है. 648 अरब डॉलर यानी इतना पैसा कि भारत सरकार के सालभर के बजट का खर्च निकल जाएगा. और उसके बाद भी 8-10 लाख करोड़ रुपए बच जाएंगे. यह इतना पैसा है कि देश में सालभर के इंपोर्ट का खर्च निकल जाएगा.
UPA सरकार के मुकाबले ज्यादा विदेशी मुद्रा भंडार
मौजूदा सरकार के 10 साल के कार्यकाल में विदेशी मुद्रा भंडार में करीब 336 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई है. मई 2014 के अंत में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 312 अरब डॉलर हुआ करता था. जो अब बढ़कर 348 अरब डॉलर को पार कर चुका है. इससे पहले की मनमोहन सरकार के कार्यकाल के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में 193 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई थी. यानी मनमोहन सरकार के मुकाबले मोदी सरकार के कार्यकाल में विदेशी मुद्रा भंडार ज्यादा बढ़ा है.
गोल्ड को खरीदने का ट्रेंड बढ़ा
मोदी सरकार के कार्यकाल में विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर पर निर्भरता भी घटाई गई है. डॉलर को बेचकर गोल्ड को खरीदने का ट्रेंड बढ़ा है. मई 2004 में जब मनमोहन सरकार आई थी. तो उस समय कुल विदेशी मुद्रा भंडार में गोल्ड की हिस्सेदारी सिर्फ 3.5 फीसद हुआ करती थी. मई 2014 में जब मनमोहन सरकार गई तो फॉरेक्स रिजर्व में गोल्ड की हिस्सेदारी बढ़कर 6.71 फीसद हो गई थी. और अब मोदी सरकार के 10 साल के कार्यकाल पूरा होने पर यह हिस्सेदारी बढ़कर 9 फीसद के करीब हो गई है.
विदेशी मुद्रा भंडार के सामने चुनौती
मोदी सरकार के कार्यकाल में 3 बार ऐसी चुनौती आई. जब विदेशी मुद्रा भंडार की ग्रोथ रुक गई. उल्टे उसमें गिरावट आई है. पहले कोरोना काल में सरकार को खर्च बढ़ाना पड़ा. जिस वजह से फॉरेक्स रिजर्व की ग्रोथ रुकी. इसके बाद रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने से वैश्विक स्तर पर महंगाई भड़की. जिस वजह से इंपोर्ट की लागत बढ़ी. और रुपए पर दबाव आया. इन दोनों वजहों से रिजर्व बैंक को विदेशी मुद्रा भंडार से डॉलर खर्च करने पड़े. बीते साल इजरायल-हमास युद्ध की वजह से लाल सागर में बढ़े संकट की वजह से भी विदेशी मुद्रा भंडार के सामने कुछ इसी तरह की चुनौती आ गई थी. विदेशी मुद्रा भंडार का बढ़ना देश की अर्थव्यवस्था के लिए बेहतर माना जाता है. इससे करेंसी में स्थिरता लाने में मदद मिलती है. साथ में इंपोर्ट की जरूरत आसानी से पूरी होती है.
ग्राफिक्स 1
मोदी और मनमोहन सिंह के कार्यकाल में विदेशी मुद्रा भंडार
अवधि मई 2004 मई 2014 मई 2024
विदेशी मुद्रा भंडार 119 अरब डॉलर 312 अरब डॉलर 648 अरब डॉलर
Source: RBI
ग्राफिक्स 2
विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी
अवधि हिस्सेदारी
मई 2004 3.49%
मई 2014 6.71%
मई 2024 8.81%
Source: WGC