फिच ने कहा, इस वजह से BPCL के निजीकरण में हो सकती है देरी

कंसोर्शियम को लेकर अनिश्चितता और वैल्युएशन समेत प्रक्रिया की जटिलता को देखते हुए भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (BPCL) के निजीकरण में देरी हो सकती है.

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विश्लेषकों का मानना है कि मांग में सुधार को देखते हुए भविष्य में अगर कंपनियां सीमेंट की कीमतों में बढ़ोतरी करती हैं तो इसका बोझ आम जनता पर पड़ेगा

विश्लेषकों का मानना है कि मांग में सुधार को देखते हुए भविष्य में अगर कंपनियां सीमेंट की कीमतों में बढ़ोतरी करती हैं तो इसका बोझ आम जनता पर पड़ेगा

रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने सोमवार को कहा कि बिडर कंसोर्शियम को लेकर अनिश्चितता और वैल्युएशन समेत प्रक्रिया की जटिलता को देखते हुए भारत की सबसे बड़ी खुदरा ईंधन कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL) के निजीकरण में देरी हो सकती है. फिच ने बीपीसीएल को नकारात्मक आउटलुक के साथ ‘BBB- -’ रेटिंग दी हुई है.

रेटिंग एजेंसी ने कहा, ‘‘बोलीदाता जांच-पड़ताल का काम कर रहे हैं. लेकिन बोलीदाता समूह और मूल्यांकन समेत जटिल प्रक्रियाओं को देखते हुए निजीकरण में विलम्ब हो सकता है.’’ उसने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि आगे कोविड-19 की तीसरी लहर और वैश्विक तेल तथा गैस कंपनियों के ऊर्जा क्षेत्र में बदलाव पर ध्यान केंद्रित करने से क्षेत्र में संभावित बड़े अधिग्रहण के समय और मूल्यांकन को लेकर अनिश्चितता दिखाई दे रही है.’’

फिच ने कहा कि मामले में उल्लेखनीय प्रगति होने पर वह कंपनी को दी गयी रेटिंग की समीक्षा करेगी. सरकार बीपीसीएल में अपनी पूरी 52.98 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच रही है. इसके लिये तीन रुचि पत्र प्राप्त हुए हैं. इसमें एक रुचि पत्र उद्योगपति अनिल अग्रवाल की अगुवाई वाले वेदांता समूह का है. वित्तीय बोलियां अभी तक आमंत्रित नहीं की गयी है.

फिच ने कहा कि बीपीसीएल की बिक्री 2021-22 में सुधकर 4.3 करोड़ टन रह सकती है जो इससे पूर्व वित्त वर्ष 2020-21 में 4.1 करोड़ टन थी. हालांकि चालू वित्त वर्ष की बिक्री का अनुमान कोविड-पूर्व स्तर 2019-20 के मुकाबले 6 प्रतिशत कम है.

दूसरी और भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) के रसोई गैस ग्राहकों को निजीकरण के बाद भी सब्सिडी मिलती रहेगी. BPCL ने रसोई गैस संचालन के लिए एक अलग प्लेटफॉर्म बनाया है, जो सरकार की सब्सिडी वाली एलपीजी सिलेंडर योजना चलाती है, जहां सब्सिडी राशि सीधे उपभोक्ताओं के खातों में स्थानांतरित की जाती है. इस सब्सिडी योजना से नए मालिकों को साथ रखने के लिए सेल-ऑफ प्रक्रिया के हिस्से के तहत अलग मंच का निर्माण अनिवार्य था, जो बीपीसीएल के निजीकरण के बाद भी उपभोक्ताओं को सब्सिडी ट्रांसफर करने के साथ बिना किसी बाधा के काम कर सकता था.

सरकार ने साफ किया है कि मौजूदा सिस्टम जहां तेल कंपनियां सब्सिडी राशि का भुगतान करती हैं और सरकार ने इस तरह के भुगतान की प्रतिपूर्ति की है, जारी रहेगा. एक अलग प्लेटफॉर्म बनाने से सब्सिडी वाले रसोई गैस संचालन को अलग रखने में मदद मिलेगी.

Published - September 8, 2021, 02:16 IST