साल 2023-24 में आधे से ज्यादा समय में अर्थव्यवस्था में सकारात्मक गतिविधियां देखने को मिली है. ऐसे में मंगलवार को जारी वित्त मंत्रालय की एक रिपोर्ट में चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि तथा मैक्रोइकोनॉमिक स्थिरता में स्थिति मजबूत रहने की उम्मीद जताई गई है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है.
हालांकि मंत्रालय ने मासिक आर्थिक समीक्षा में यह भी कहा कि महंगाई का जोखिम बना रहेगा, जिससे सरकार और आरबीआई दोनों को चौकन्ना रहना चाहिए. साथ ही बाहरी क्षेत्र में कैश फ्लो की लगातार निगरानी की जरूरत है क्योंकि वे रुपए के मूल्य और भुगतान संतुलन को प्रभावित करते हैं. मौद्रिक नीति का पूरा असर होने पर घरेलू मांग कम हो सकती है.
रिपोर्ट के अनुसार, महंगाई के मोर्चे पर अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और कोर मुद्रास्फीति में नरमी से आगे चलकर मुद्रास्फीति के दबाव को नियंत्रित करने की संभावना है. आरबीआई ने यह भी संकेत दिया है कि मौद्रिक नीति में और सख्ती तब होगी जब उसका पूरा असर होने के करीब होगा.
रिपोर्ट के अनुसार, कच्चे माल की बढ़ी हुई लागत के बावजूद सरकार के निरंतर निवेश प्रोत्साहन, कंपनियों के बेहतर मुनाफे और बैंकों के गैर-निष्पादित ऋणों में कमी से निवेश में उछाल रहेगा.
सेवा निर्यात में मजबूत प्रदर्शन के कारण भारत के निर्यात में भी अच्छा प्रदर्शन होने की उम्मीद है.
कुल मिलाकर चालू वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि दर अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले बेहतर रहने की उम्मीद है.
रिपोर्ट में सार्वजनिक वित्त की स्थिति के बारे में कहा गया है कि केंद्र सरकार चालू वित्त वर्ष में घाटे के तय लक्ष्य को हासिल करने के रास्ते पर है. इसका कारण राजस्व संग्रह लगातार बेहतर बना हुआ है और व्यय के स्तर पर काम किया जा रहा है.