फेस्टिव सीजन आ गया है. हर जगह दुकानदार ग्राहकों से आकर्षक ऑफर्स की पेशकश कर रहे हैं. फोन से लेकर कार, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स से लेकर परिधान और पर्सनल केयर उत्पादों से लेकर डिनर तक नए मेनू के साथ आ रहे हैं. इसके अलावा, वित्तीय सेवा उद्योग लोन को पहले की तुलना में आसान और अधिक सुविधाजनक बना रहा है. क्रेडिट कार्ड मार्केटर्स आक्रामक रूप से ग्राहकों को आकर्षित करने में लगे हैं. बाय नाउ-पे लेटर ब्रिगेड बहुत तेजी से परिपक्व हो रही है. वे लोगों के लिए कंज्यूमर ड्यूरेबल्स से लेकर यात्राओं तक हर चीज को फाइनेंस करने के लिए तैयार हैं. भारी लिक्विडिटी के साथ बैंक और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां लगातार ग्राहकों को पर्सनल लोन्स लेने के लिए उकसा रही हैं.
अपने घरों में बैठै हुए बड़ी संख्या में लोग इस आकर्षण से बच नहीं पा रहे हैं. यह प्रवृत्ति इतनी प्रबल हो गई है कि इसने एक नए वाक्यांश “रिवेंज स्पेंड” को भी जन्म दिया है. कर्ज लेने या ईएमआई भुगतान के लिए जाने में कुछ भी गलत नहीं है, सिवाय इसके कि आने वाले दिनों में इसे उपभोक्ता को ही चुकाना होगा और रिवेंज स्पेंडिंग वास्तव में अपनी जेब से बदला लेने में बदल जाती है.
लेकिन हमें बचत करने की जरूरत को भी नहीं भूलना चाहिए. अर्थव्यवस्था पूरी तरह से रिकवर नहीं हुई है. सरकारों और कॉरपोरेट्स द्वारा चिह्नित पूंजीगत व्यय का कोई संकेत नहीं है. विशेषज्ञ इस बात पर एकमत हैं कि स्थायी आधार पर मांग को पुनर्जीवित करने में कुछ समय लगेगा, जिससे India Inc नई क्षमताएं पैदा करेंगी, जो रोजगार को जन्म देगा.
तीसरी लहर आसानी से पुनरुद्धार प्रक्रिया को बाधित कर सकती है. जो नौकरियां अब नजर आ रही हैं, वे फिर से लुप्त होने लग सकती हैं. अपने सिर को पानी से ऊपर रखने के लिए किसी को भी आपातकालीन धन की आवश्यकता होगी. इसलिए बचत और निवेश को विराम नहीं दिया जा सकता है.
खपत जरूरी है, लेकिन जरूरत से ज्यादा खपत करना खतरनाक होगा. वृहद दृष्टिकोण से भी बचत जरूरी है. अगर सकल घरेलू बचत घटती है, तो यह अर्थव्यवस्था के लिए खराब है. इससे देश पर बाहरी कर्ज का बोझ बढ़ जाएगा. लंबी अवधि की घरेलू बचत का उपयोग लंबी अवधि के परिसंपत्ति वित्तपोषण जैसे बुनियादी ढांचे के लिए किया जाता है, जिसकी देश को बहुत अधिक जरूरत है. घरेलू बचत दरों में गिरावट आने पर देश को विदेशों से उधार लेना पड़ता है. इस त्योहारी मौसम में मितव्यता की देवी की भी पूजा करें. रोशनी के त्योहार को अंधेरे के त्योहार की ओर नहीं बढ़ना चाहिए.