कृषि कानून के खिलाफ धरने पर बैठे किसान पिछले कुछ दिन से दिल्ली के जंतर मंतर पर हर सुबह आकर भारी पुलिस मुस्तैदी के बीच धरना दे रहे हैं. मंगलवार को किसानों ने यहां आवश्यक वस्तु अधिनियम कानून का विरोध भी किया. इस कानून को उन्होंने किसान विरोधी तक बताया. इस कानून में ऐसा क्या है? जिसके लिए महीनों से अपना घर छोड़कर विरोध प्रदर्शन पर बैठे हैं, आइए जानते हैं
पिछले साल पीएम मोदी की सरकार ने सदन में आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 को पारित करवाया था. जिसके तहत सरकार ने कुछ जरूरी चीजें जैसे आलू, प्याज, टमाटर, अरहर, उड़द समेत सारी दालों,सरसों और सभी तिलहन को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटा दिया. ऐसा करने से एक असर यह भी हुआ कि अब प्राइवेट क्षेत्र के खरीददार इन चीजों को स्टोर कर सकते हैं और उस पर सरकार का कोई कंट्रोल नहीं होगा. केवल युद्ध, अकाल या फिर प्राकृतिक आपदा के वक्त ही सरकार इन्हें नियंत्रित में ले सकती है.
व्यापारियों की मानें तो आवश्यक वस्तु कानून में संशोधन से बड़े बिजनेस मैन आवश्यक चीजों को स्टोर कर लेंगे जिससे जमाखोरी बढ़ने के साथ ही इन चीजों की कीमतें भी बढ़ जाएंगी.
वहीं कुछ लोगों का कहना है कि फसल में बंपर आवक होने पर किसान सीधे प्राइवेट क्षेत्र के खरीदारों को अपना सामान बेच सकेंगे. जिससे उन्हें समय पर सही दाम तो मिल ही जाएगा साथ ही इन आवश्यक वस्तुओं को स्टोर करने की भी चिंता नहीं रहेगी.
दरअसल इस कानून को जब बनाया गया था उस दौरान भारत खाद्य पदार्थों की भयंकर कमी से जूझ रहा था. इस कानून को बनाने का मकसद इन वस्तुओं की जमाखोरी और कालाबाजारी को रोकना था ताकि उचित मूल्य पर सभी को खाने का सामान मुहैया कराया जा सके. सरकार के अनुसार अब भारत इन वस्तुओं का पर्याप्त उत्पादन करता है, ऐसे में इन पर नियंत्रण की जरूरत नहीं है.