किसानों (farmers) की मदद के लिए पांच निजी कंपनियों ने भारत सरकार से हाथ मिलाया है. कंपनियों का दावा है कि वो किसानों (farmers) के हित में काम करेंगी और उन्हें तकनीकी ज्ञान के साथ लाभकारी खेती के गुण सिखाएंगी. नई तकनीकों के द्वारा कृषि का आधुनिकीकरण जारी रहेगा, जिससे किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं. कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आज कृषि भवन में एक समझौता ज्ञापन हस्ताक्षर कार्यक्रम के दौरान यह बात कही.
किसानों के हित के उदेश्य के साथ मंगलवार को कृषि मंत्रालय ने सिस्को, आइडिया इंफोलैब्स प्राइवेट लिमिटेड (निंजाकार्ट), जियो प्लेटफॉर्म्स लि. (रिलायंस), एनसीडीईएक्स ई-मार्केट्स लि. (एनईएमएल) व आईटीसी लि. के साथ एक समझौता ज्ञापन(एमओयू) पर हस्ताक्षर किया है. इस मौके पर केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के साथ कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे और कैलाश चौधरी, सचिव संजय अग्रवाल, अपर सचिव विवेक अग्रवाल, राज्यों के अधिकारी, सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के कृषि विशेषज्ञ भी मौजूद थे.
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा कि कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय कृषि के लिए प्रौद्योगिकी क्षेत्र में प्राथमिकताओं को व्यापक रूप से पुन: संरेखित कर रहा है. कृषि क्षेत्र में नई और उभरती डिजिटल तकनीकों को लागू करने का प्रावधान पिछले वर्ष से शामिल किया गया है. कृषि पर मौजूदा राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस परियोजना (एनईजीपीए) में संशोधन किया गया है और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉक चेन, रिमोट सेंसिंग और जीआईएस, ड्रोन और रोबोट आदि जैसी नई तकनीकों को तैनात करने में राज्य सरकारों को सहायता करने वाले प्रावधानों को शामिल किया गया है.
उल्लेखनीय है कि जिन कंपनियों के साथ केन्द्र सरकार ने एमओयू किया है वह सभी कंपनियां किसानों को तकनीकी मदद देने के साथ उन्हें लाभकारी खेती करने के गुण सिखाएंगी. इन पायलट परियोजनाओं के आधार पर किसान सोच समझकर ये फैसले लेने में सक्षम हो जाएंगे कि कौन-सी किस्म के बीज उपयोग करने हैं और अधिकतम उपज के लिए कौन सी विधियां अपनानी हैं। कृषि आपूर्ति श्रृंखला से जुड़े लोग सही समय और समयबद्ध जानकारी पर अपनी खरीद और लॉजिस्टिक की योजना बना सकते हैं. किसान इस बारे में उचित फैसला ले सकते हैं कि अपनी उपज को बेचना है या भंडारण करना है और कब, कहां व किस कीमत पर बेचना है.
केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि के डिजिटल इकोसिस्टम की स्थापना के लिए नवाचार को प्रोत्साहन देने के अलावा इंटरऑपरेबिलिटी, डाटा गवर्नेंस, डाटा गुणवत्ता, डाटा मानक, सुरक्षा और निजता के पहलुओं पर एक दीर्घकालिक नजरिए की जरूरत होती है. एक विकेंद्रीकृत और संस्थागत व्यवस्था को अपनाना एक अहम आवश्यकता है, जिससे सेवा प्रदाताओं और सभी अन्य पक्षों की स्वायत्ता का भरोसा मिलता है और साथ ही इंटरआपरेबिलिटी सुनिश्चित होती है.
कषि में डिजिटलीकरण के महत्व को स्वीकार करते हुए विभाग एक संस्थागत फार्मर्स डाटाबेस तैयार कर रहा है और इस डाटाबेस के इर्दगिर्द विभिन्न सेवाओं को विकसित कर रहा है, जिससे कृषि का एक डिजिटल इकोसिस्टम तैयार किया जा सके. किसानों के संस्थागत डाटाबेस को देश भर के किसानों की जमीनों के रिकॉर्ड के साथ जोड़ा जाएगा, साथ ही विशेष फार्मर आईडी तैयार की जाएगी. इस एकीकृत डाटाबेस के अंतर्गत सभी किसानों के लिए केन्द्र व राज्य सरकार के सभी लाभों और विभिन्न योजनाओं के समर्थन से जुड़ी जानकारी रखी जाएगी और यह भविष्य में किसानों को लाभान्वित करने के उद्देश्य से जानकारियां हासिल करने का स्रोत बन सकता है. अभी तक, डाटाबेस लगभग 5.5 करोड़ किसानों के विवरण के साथ तैयार है.