एक्साइज ड्यूटी कलेक्शन 48% बढ़ा, अतिरिक्त संग्रह ऑयल बॉन्ड देनदारी का 3 गुना

उत्पाद शुल्क संग्रह का बड़ा हिस्सा पेट्रोल-डीजल पर सेस से आता है. बिक्री में तेजी के साथ चालू वर्ष में संग्रह एक लाख करोड़ रुपये से अधिक बढ़ सकता है

excise duty collection hikes 48 percent during april to july duration of this fiscal

अप्रैल-जुलाई 2021 के दौरान उत्पाद शुल्क संग्रह एक लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया. यह पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 67,895 करोड़ रुपये था

अप्रैल-जुलाई 2021 के दौरान उत्पाद शुल्क संग्रह एक लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया. यह पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 67,895 करोड़ रुपये था

सरकार का पेट्रोलियम उत्पादों पर उत्पाद शुल्क संग्रह (excise duty collection on petroleum products) चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में 48 प्रतिशत बढ़ गया है. इस दौरान हासिल हुआ अतिरिक्त संग्रह पूरे वित्त वर्ष के दौरान तेल बॉन्ड देनदारी का तीन गुना है.

केंद्रीय वित्त मंत्रालय के तहत लेखा महानियंत्रक के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल-जुलाई 2021 के दौरान उत्पाद शुल्क संग्रह एक लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया. यह पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 67,895 करोड़ रुपये था.

वस्तु एवं सेवा कर (goods and services tax – GST) व्यवस्था लागू होने के बाद उत्पाद शुल्क केवल पेट्रोल, डीजल, ATF और प्राकृतिक गैस पर लगाया जाता है. इन उत्पादों को छोड़कर अन्य सभी वस्तुएं और सेवाएं GST के तहत हैं.

अतिरिक्त संग्रह ऑयल बॉन्ड देनदारी का तिगुना हुआ

वित्त वर्ष 2021-22 के पहले चार महीनों (अप्रैल-जुलाई) में 32,492 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई. यह पूरे साल की तेल बॉन्ड देनदारी (यानी 10,000 करोड़ रुपये) का तीन गुना है. कांग्रेस की अगुवाई वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने पेट्रोलियम ईंधन पर सब्सिडी देने के लिए तेल बॉन्ड जारी किए थे.

उद्योग सूत्रों ने कहा कि उत्पाद शुल्क संग्रह का बड़ा हिस्सा पेट्रोल और डीजल पर उपकर (cess) से आता है. बिक्री में तेजी के साथ ही चालू वर्ष में संग्रह एक लाख करोड़ रुपये से अधिक बढ़ सकता है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले दिनों कहा था कि पिछले कुछ वर्षों में इन ईंधनों पर दी गई भारी सब्सिडी के एवज में किए जा रहे भुगतान के कारण पेट्रोल, डीजल के दाम में कमी की ज्यादा गुंजाइश नहीं बची है.

संप्रग सरकार में पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस और केरोसिन की बिक्री उनकी वास्तविक लागत से काफी कम दाम पर की गई थी. तब की सरकार ने इन ईंधनों की सस्ते दाम पर बिक्री के लिए कंपनियों को सीधे सब्सिडी देने के बजाय 1.34 लाख करोड़ रुपये के तेल बॉन्ड जारी किए थे. उस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर निकल गए थे.

Published - September 5, 2021, 04:42 IST