कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों ने निवेशकों को किया हैरान, विशेषज्ञ ये दे रहे सलाह

Equity Markets: वैश्विक बेंचमार्क क्रूड (benchmark crude) शुक्रवार को बड़े स्तर को पार कर गया था, जबकि यूएस क्रूड फ्यूचर्स में भी तेजी आई.

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pixabay: कच्चे तेल की कीमतों में एक साल पहले की तुलना में 96 प्रतिशत की भारी वृद्धि हुई है. ब्रेंट क्रूड (brent crude) 2018 के बाद पहली बार लंदन में 85 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर चढ़ गया, जिससे वैश्विक ऊर्जा की कीमतों में बढ़ोतरी देखी है.

pixabay: कच्चे तेल की कीमतों में एक साल पहले की तुलना में 96 प्रतिशत की भारी वृद्धि हुई है. ब्रेंट क्रूड (brent crude) 2018 के बाद पहली बार लंदन में 85 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर चढ़ गया, जिससे वैश्विक ऊर्जा की कीमतों में बढ़ोतरी देखी है.

Equity Markets: बढ़ती महंगाई से सिर्फ आम आदमी ही परेशान नहीं बल्कि इस महंगाई ने निवेशकों को भी चिंता में डाल दिया है. बढ़ती हुई महंगाई शेयर बाजार के लिए अच्छे संकेत नहीं. बाजार से जुड़े विशेषज्ञों के अनुसार बढ़ती मुद्रास्फीति इक्विटी बाजार को प्रभावित कर सकती है. विश्लेषकों ने इसके लिए चेतावनी जारी की है और सतर्क रहने को कहा है. दरअसल यह चिंता विशेष रूप से कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के कारण बढ़ी है, जो इस सप्ताह 84 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर चला गया, जो तीन वर्षों में इसके उच्चतम स्तर पर है.

लंदन में 85 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर ब्रेंट क्रूड

बिजनेस स्टैंडर्ड की खबर के मुताबिक कच्चे तेल की कीमतों में एक साल पहले की तुलना में 96 प्रतिशत की भारी वृद्धि हुई है. ब्रेंट क्रूड (brent crude) 2018 के बाद पहली बार लंदन में 85 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर चढ़ गया, जिससे वैश्विक ऊर्जा की कीमतों में बढ़ोतरी देखी है.

वैश्विक बेंचमार्क क्रूड (benchmark crude) शुक्रवार को बड़े स्तर को पार कर गया था, जबकि यूएस क्रूड फ्यूचर्स में भी तेजी आई.

गैस और कोयले (coal) की कमी से बिजली बाजार से तेल उत्पादों की अतिरिक्त मांग बढ़ रही है, और कुछ बैंकों को उम्मीद है कि गैस और कोयले की कमी से सर्दियों के दौरान कीमतों में और वृद्धि होगा.

बाजार की तेजी नए निवेशकों के लिए खतरा

बाजार से जुड़े जानकारों का कहना है कि कच्चे तेल की कीमतों में तेजी का मतलब शेयरों के लिए जोखिम बढ़ रहा है. भारतीय फ्रंटलाइन इंडेक्स के मुताबिक अब तक 2021 में एसएंडपी बीएसई सेंसेक्स और निफ्टी 50 में क्रमशः 28 प्रतिशत और 31 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

शेयर बाजार की तेजी पर नजर डालें तो यह अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गए हैं और सेंसेक्स नए रिकॉर्ड बना रहा है. ऐसे बाजार से नए निवेशकों को निवेश से बचना चाहिए.

वहीं अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International monetary fund -IMF) ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे अब ठीक हो रही है.

भारत कोरोना महामारी के दो लहर की चपेट से बाहर आ गया है लेकिन अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के अधिकारियों ने भारत को मुद्रास्फीति के दबाव के प्रति आगाह किया है.

Published - October 17, 2021, 12:42 IST